आज का सुविचार
*आज का शुभ विचार*
रविवार, 6 सितंबर 2020
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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..06-09-2020*..🎋
✍🏻जिसकी नीति अच्छी होगी उसकी हमेशा उन्नति होगी। मैं श्रेष्ठ हू यह आत्मविश्वास है, लेकिन सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ, यह अहंकार है।
💐 *Brahma Kumaris* 💐
ओमशान्ति*🌷
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💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻एक पेड़ से लाखों माचिस की तीलियां बनती है, लेकिन एक तीली लाखों पेड़ जला देती है इसी प्रकार एक नकारात्मक विचार या शक आपके हज़ारों सपनों को जला सकता है।
🌹 *ओमशान्ति.*
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💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*06 सितम्बर:-*_ संसार तन को बंधक बना सकता है परन्तु मन को नहीं क्योकि मन का मालिक केवल उसकी आत्मा होती है।🇲🇰🌹🕉️शांति ÷
⭐ " *क्षमा" ** ⭐
*एक सेठ जी ने अपने छोटे भाई को तीन लाख रूपये व्यापार के लिये दिये। उसका व्यापार बहुत अच्छा जम गया, लेकिन उसने रूपये बड़े भाई को वापस नहीं लौटाये।*
*आखिर दोनों में झगड़ा हो गया, झगड़ा भी इस सीमा तक बढ़ गया कि दोनों का एक दूसरे के यहाँ आना जाना बिल्कुल बंद हो गया। घृणा व द्वेष का आंतरिक संबंध अत्यंत गहरा हो गया। सेठ जी, हर समय हर संबंधी के सामने अपने छोटे भाई की निंदा-निरादर व आलोचना करने लगे।*
*सेठ जी अच्छे साधक भी थे, लेकिन इस कारण उनकी साधना लड़खड़ाने लगी। भजन पूजन के समय भी उन्हें छोटे भाई का चिंतन होने लगा। मानसिक व्यथा का प्रभाव तन पर भी पड़ने लगा। बेचैनी बढ़ गयी। समाधान नहीं मिल रहा था। आखिर वे एक संत के पास गये और अपनी व्यथा सुनायी।*
*संतश्री ने कहाः- 'बेटा ! तू चिंता मत कर। ईश्वरकृपा से सब ठीक हो जायेगा। तुम कुछ फल व मिठाइयाँ लेकर छोटे भाई के यहाँ जाना और मिलते ही उससे केवल इतना कहना, 'अनुज ! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे "क्षमा" कर दो।'*
*सेठ जी ने कहाः- "महाराज ! मैंने ही उनकी मदद की है और "क्षमा" भी मैं ही माँगू !"*
*संतश्री ने उत्तर दियाः- "परिवार में ऐसा कोई भी संघर्ष नहीं हो सकता, जिसमें दोनों पक्षों की गलती न हो। चाहे एक पक्ष की भूल एक प्रतिशत हो दूसरे पक्ष की निन्यानवे प्रतिशत, पर भूल दोनों तरफ से होगी।"*
*सेठ जी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसने कहाः- "महाराज ! मुझसे क्या भूल हुई ?"*
*"बेटा ! तुमने मन ही मन अपने छोटे भाई को बुरा समझा– यही है तुम्हारी पहली भूल।*
*तुमने उसकी निंदा, आलोचना व तिरस्कार किया– यह है तुम्हारी दूसरी भूल।*
*क्रोध पूर्ण आँखों से उसके दोषों को देखा– यह है तुम्हारी तीसरी भूल।*
*अपने कानों से उसकी निंदा सुनी– यह है तुम्हारी चौथी भूल।*
*तुम्हारे हृदय में छोटे भाई के प्रति क्रोध व घृणा है– यह है तुम्हारी आखिरी भूल।*
*अपनी इन भूलों से तुमने अपने छोटे भाई को दुःख दिया है। तुम्हारा दिया दुःख ही कई गुना हो तुम्हारे पास लौटा है। जाओ, अपनी भूलों के लिए "क्षमा" माँगों। नहीं तो तुम न चैन से जी सकोगे, न चैन से मर सकोगे। क्षमा माँगना बहुत बड़ी साधना है। ओर तुम तो एक बहुत अच्छे साधक हो।"*
*सेठ जी की आँखें खुल गयीं। संतश्री को प्रणाम करके वे छोटे भाई के घर पहुँचे। सब लोग भोजन की तैयारी में थे। उन्होंने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा उनके भतीजे ने खोला। सामने ताऊ जी को देखकर वह अवाक् सा रह गया और खुशी से झूमकर जोर-जोर से चिल्लाने लगाः "मम्मी ! पापा !! देखो कौन आये ! ताऊ जी आये हैं, ताऊ जी आये हैं....।"*
*माता-पिता ने दरवाजे की तरफ देखा। सोचा, 'कहीं हम सपना तो नहीं देख रहे !' छोटा भाई हर्ष से पुलकित हो उठा, 'अहा ! पन्द्रह वर्ष के बाद आज बड़े भैया घर पर आये हैं।' प्रेम से गला रूँध गया, कुछ बोल न सका। सेठ जी ने फल व मिठाइयाँ टेबल पर रखीं और दोनों हाथ जोड़कर छोटे भाई को कहाः- "भाई ! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे क्षमा करो ।"*
*"क्षमा" शब्द निकलते ही उनके हृदय का प्रेम अश्रु बनकर बहने लगा। छोटा भाई उनके चरणों में गिर गया और अपनी भूल के लिए रो-रोकर क्षमा याचना करने लगा। बड़े भाई के प्रेमाश्रु छोटे भाई की पीठ पर और छोटी भाई के पश्चाताप व प्रेममिश्रित अश्रु बड़े भाई के चरणों में गिरने लगे।*
*क्षमा व प्रेम का अथाह सागर फूट पड़ा। सब शांत, चुप, सबकी आँखों से अविरल अश्रुधारा बहने लगी। छोटा भाई उठ कर गया और रूपये लाकर बडे भाई के सामने रख दिये। बडे भाई ने कहा "भाई! आज मैं इन कौड़ियों को लेने के लिए नहीं आया हूँ। मैं अपनी भूल मिटाने, अपनी साधना को सजीव बनाने और द्वेष का नाश करके प्रेम की गंगा बहाने आया हूँ ।*
*मेरा आना सफल हो गया, मेरा दुःख मिट गया। अब मुझे आनंद का एहसास हो रहा है।"*
*छोटे भाई ने कहाः- "भैया ! जब तक आप ये रूपये नहीं लेंगे तब तक मेरे हृदय की तपन नहीं मिटेगी। कृपा करके आप ये रूपये ले लें।*
*सेठ जी ने छोटे भाई से रूपये लिये और अपने इच्छानुसार अनुज बधू , भतीजे व भतीजी में बाँट दिये । सब कार में बैठे, घर पहुँचे।*
*पन्द्रह वर्ष बाद उस अर्धरात्रि में जब पूरे परिवार, का मिलन हुआ तो ऐसा लग रहा था कि मानो साक्षात् प्रेम ही शरीर धारण किये वहाँ पहुँच गया हो।*
*सारा परिवार प्रेम के अथाह सागर में मस्त हो रहा था। "क्षमा" माँगने के बाद उस सेठ जी के दुःख, चिंता, तनाव, भय, निराशारूपी मानसिक रोग जड़ से ही मिट गये और साधना सजीव हो उठी।*
*हमें भी अपने दिल में "क्षमा" रखनी चाहिए अपने सामने छोटा हो या बडा अपनी गलती हो या ना हो क्षमा मांग लेने से सब झगडे समाप्त हो जाते है।*
मेरी भूलो के लिये मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।
🌹 *क्षमा वीरस्यभूषणम*👏🏻
*मौन की शक्ति का चमत्कार*
वाणी कर ली पूर्ण शांत, किया मौन को धारण
जीवन की हर समस्या का, मैंने पाया निवारण
मन बुद्धि की सब परतों को, देखा मैंने हटाकर
कौनसे गुण अवगुण मैंने, रखे हैं इनमें छुपाकर
मन की गहराई में जाकर, हुई खुद की पहचान
अब तक तो था मैं, अपने आप से ही अनजान
मौन में आते ही मैं, पहुंचने लगा खुद के समीप
जलता हुआ दिखने लगा, मैं बनकर आत्मदीप
प्राण ऊर्जा के अपव्यय का, समापन होने लगा
शांति के निज स्वधर्म में, पल पल मैं खोने लगा
मन में लगा रहता था, हर पल मेला विचारों का
एक दो चार नहीं, ये झुण्ड था लाख हजारों का
छंटने लगी व्यर्थ विचारों की, मन बुद्धि से धूल
इन्हीं विचारों द्वारा मैंने, स्वयं को चुभाये थे शूल
प्रकृति के सानिध्य में जाकर, मैंने समय बिताया
कुछ सुनी प्रकृति की, और कुछ अपना सुनाया
मौन के बल को मैंने, संजीवनी बूटी तुल्य पाया
दिव्य अलौकिक शक्ति से, भरपूर नजर मैं आया
मन की एकाग्रता से, संकल्पों को पवित्र बनाया
सम्पूर्ण सत्यता का बल, मैंने अन्तर्मन में जगाया
भांति भांति के व्यर्थ विचार, हुए मौन में विलीन
आत्म चेतना के भीतर हुआ, मैं पूरा ही तल्लीन
बढ़ने लगा मन मेरा, एकरस अवस्था की ओर
मौन की लहरें ले गई मुझे, परमशक्ति की ओर
मौन की शक्ति को मैंने, जीवन का अंग बनाया
प्रभु मिलन का सुख मैंने, इसी अवस्था में पाया
*ॐ शांति*
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