*नगर में चल रहे भागवत में सुदामा चरित एवं तुलसी वर्षा एवम शोभा यात्रा से हरि कथा में भक्ति रस छलका* - fastnewsharpal.com
फास्ट न्यूज हर पल समाचार पत्र,

*नगर में चल रहे भागवत में सुदामा चरित एवं तुलसी वर्षा एवम शोभा यात्रा से हरि कथा में भक्ति रस छलका*

 *नगर में चल रहे भागवत में सुदामा चरित एवं तुलसी वर्षा एवम शोभा यात्रा से हरि कथा में भक्ति रस छलका*



*आरंग

 सातवा दिवस श्रीमद्भागवत महापुराण गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल आरंग व्यासपीठ से भागवत के आचार्य पंडित गजानन अवस्थी महाराज ने श्री कृष्ण एवं सुदामा की मित्रता की मिसाल देते हुए कहा कि आज भी ये प्रसंग प्रासंगिक है, सुशीला ने अपने पति सुदामा से कहा कि मैं तुम्हें श्री कृष्ण से कुछ मांगने के लिए नहीं भेज रही हूं तुम केवल दर्शन करके आओ पर सुदामा संकोच किए जा रहे हैं और कहते हैं मैं तो यहां बैठ कर भी मन से हमेशा उनका दर्शन करते रहता हूं पर  पत्नी के पत्नी के सत्याग्रह पर वह द्वारिका जाने को तैयार हुए सुदामा द्वारपालो को कहते हैं मैं द्वारिकाधीश से कुछ मांगने नहीं अपितु मित्र भाव से मिलने आया पंडित अवस्थी ने कहां की यह विशुद्ध प्रेम बस देना ही जानता है अपितु कुछ मांगने की इच्छा नहीं करता और सुदामा शब्द सुनते ही भगवान बिना देरी किए द्वार की ओर दौड़ पड़ते हैं उन्होंने प्रेरित करते हुए कहा कि भगवान मानव के वस्त्र ,संपन्नता नहीं हृदय देखते है, यदि जीवात्मा अपने अहम का परित्याग कर दे तो भक्तवत्सल भगवान अर्थात ईश्वर भी अपना अस्तित्व एक और रख देते हैं और दरिद्र नारायण के सामने नारायण हाथ जोड़ लेते है, उन्होंने मार्मिक चित्रण करते हुए कहा सुदामा की विरह दशा देखकर भगवान भी अत्यंत भावुक हो गए वह भूल गए कि वह परमात्मा है राजाधिराज हैं और अपने ही हाथों से सुदामा के पैरों से कांटा निकालते हैं और अपने नैनो के जल से चरण पखारते है उन्होंने कहा कि शारीरिक मिलन तुच्छ है और मन का मिलन ही दिव्य है तथा वासना ही पुनर्जन्म का कारण है ,उन्होंने सुदामा को त्रेता युग का केवट बताया तथा रामचरित मानस से कहा कि केवट ने उतराई नहीं ली और कहा कि जब मैं तेरे घाट में आऊंगा तब भवसागर पार लगा देना ।महराज गजानंद ने कहा कि सुकदेव मुनि परीक्षित को ज्ञान देते है की जो इस लोक में आएगा वो जायेगा ही और भगवान को भी परम धाम जाना पड़ा और जीवन मरण विवाह को पूर्व से निश्चित बताया और बहेलिए को पूर्व जन्म का बाली बताया और परीक्षित मोक्ष में कहा सुकदेव मुनि के जाते ही काल ने तक्षक के रूप में प्रवेश किया ,महराज अवस्थी ने जीवन मृत्यु का दर्शन कराते हुवे कहा की जीवन भर वासनाएं मनुष्य का पीछा नही छोड़ती तथा कर्मबंधन में पड़ा रहता है और भागवत मर्म दिग्दर्शन कराते हुवे कहा की जब सबको राम के घर जाना है तो घबराना कैसा एवम निस्काम कर्म भक्ति पर प्रकाश डाला पारायण आचार्य नवीन अवस्थी ने प्रभु राधा रमण के नामों से तुलसी वर्षा कराकर आरती के पश्चात महाप्रसादी वितरण किया गया । छत्तीस गढ़ के प्रसिद्ध छाली वुड सिने अभिनेता कलाकार अनुज शर्मा ने भी मधुर भजन के साथ अपनी भाव्यांजलि अर्पित की, भीष्म देव,यशवंत चतुर्वेदी परिवार ने जानकारी दी कल गीता महत्त्याम और यज्ञ हवन आदि कार्यों में भगवत कथा प्रेमियों को सादर आमंत्रित किया है। शोभा यात्रा में नगरवासी, माताओं ,बहनों,युवाओं, गणमान्य नागरिक जनो की अच्छी उपस्थिति रही ।

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads