*श्री कृष्ण की बाल लीला रासलीला एवं महारास लीला के आध्यात्मिक विवेचन से श्रोता गण हुए अभिभूत* - fastnewsharpal.com
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*श्री कृष्ण की बाल लीला रासलीला एवं महारास लीला के आध्यात्मिक विवेचन से श्रोता गण हुए अभिभूत*

 *श्री कृष्ण की बाल लीला रासलीला एवं महारास लीला के आध्यात्मिक विवेचन से श्रोता गण हुए अभिभूत*



आरंग

नगर में चल रहे श्रीमद्भागवत महापुराण गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रांगण व्यास गद्दी से भागवताचार्य गजानंद अवस्थी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के अंतर्गत यशोदा एवं नंद बाबा का प्रेम गोप गोपियों की क्रीडा आसुरी शक्ति पूतना का वध,कालिया नाग का नाथना, गोवर्धन पर्वत उठाना, राक्षस राज कंस का वध आदि प्रसंगों के माध्यम से कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है प्रभु श्री हरि धरती का भार उतारने के लिए अवतरित होते हैं उन्होंने कहा कि भक्तवत्सल भगवान केवल भाव के ही भूखे होते हैं अन्यथा 56 व्यंजन के भोग भी उन्हें नहीं भाते, माता शबरी एवं भक्त प्रहलाद की कथाओं से यह प्रमाणित है वही हनुमान जी की आदर्श भक्ति ने उन्हें भक्त शिरोमणि बनाया रामचरितमानस से उद्धरण लेते हुए कहा कि निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र न भावा,





इस प्रकार यह स्पष्ट है कि भगवान की भक्ति में छल कपट अभिमान आदि का कोई स्थान नहीं है यदि मन निर्मल है अभिमान रहित है तो भक्ति रस का आनंद आपके जीवन में परिलक्षित होता चला जाएगा और श्री कन्हैया तो लीलाधारी पुरुषोत्तम है अपने भक्तो के प्रेम में बंधकर विविध रूपों में आधी, व्याधि ,विपत्ति,आपत्ति को पल में ही हर लेते है इसलिए उनके अनंत नाम है।घर घर माखन,घर घर कन्हैया,घर घर तुलसी,घर घर रामधुन का आव्हान कर व्यंगात्मक स्वर में कहा कि आज जाने कितने कालिक नाग है जो गंगा,नर्मदा,गोदावरी पवित्र नदियों को प्रदूषित कर रहे है इन्हे नाथने की अत्यंत आवश्यकता है ।दुर्ग जिला उतई से पधारे अवस्थी महराज ने रास व महारास लीला का आध्यात्मिक भाव व्यक्त करते हुवे कहा कि यह भक्ति,प्रेम और समर्पण की उत्कृष्ट अवस्था है ,भोलेनाथ शिव भगवान भी गोपी बन रासलीला में शामिल हुवे और गोपेश्वर महादेव कहलाए । रास पंचाध्याई के बारे में प्रकाश करते हुवे कहा की यह कोई दैहिक लीला नही है ,उन्होंने कहा कि जो समस्त इंद्रियों से कृष्ण रस का पान करे वही गोपी भाव है और महारास लीला जीव और ईश्वर का हार्दिक मिलन है ,इस रासलीला  से जो आध्यात्मिक रस प्राप्त होता है उससे ही मोक्ष प्राप्त होता है ।

 वही परायण करता महराज नवीन अवस्थी ने संस्कृत के भजनों से प्रभु का गुणों का गायन किया। आयोजक मंडल भीष्म देव,यशवंत चतुर्वेदी परिवार ने जनमानस से अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर सत्संग लाभ लेने के लिए प्रेरित किया है ।

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