आज अक्षय पुण्यवर्धक तिथि है -- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री
आज अक्षय पुण्यवर्धक तिथि है -- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री
नवापारा राजिम
आज अक्षय तृतीया है, ज्योतिष शास्त्र की काल गणना में जब वैशाख मास में सूर्य व चन्द्र अपनी उच्च राशि में होते हैं तो यह योग बनता है, इस तिथि का अपना पौराणिक महत्व भी है, पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री कहते हैं यह युगादि तिथि है, चतुर्युगी का प्रारम्भ इसी तिथि से हुआ था, भगवान नर नारायण, परशुराम और हयग्रीव के अवतार भी अक्षय तृतीया को हुए थे,अपनी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य देव ने पांडवों को इसी दिन अक्षय पात्र दिया था, जिसका भोजन कभी खत्म नहीं होता था, ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार आज गंगा अवतरण की तिथि भी है, महाभारत के रचयिता वेदव्यास ने इसी तिथि से महाभारत की रचना शुरूबकी थी, जिसका लेखन गणेश जी ने किया था, इन्हीं सब कारणों से इस तिथि को अक्षय सुख समृद्धि की प्राप्ति करने के लिए, अक्षय पुण्य कमाने के लिए लोग इस दिन नए कार्य का शुभारंभ, सोने चांदी, जमीन जायदाद आदि स्थाई संपत्ति खरीदने, गृह प्रवेश करने और अपनी कन्या का विवाह करने के लिए इस तिथि को प्रशस्त कहा गया है, शास्त्री जी ने कहा कि आज के दिन जो भी धर्म कर्म , स्नान दान, जप तप किया जाता है वह कभी खत्म नहीं होता, अक्षय रहता है , इसलिए गृहस्थ अपने जीवन का सबसे बड़ा दान कन्या दान आज करना चाहता है, इसलिए शादी ब्याह का यह अबूझ सावा माना जाता है, देश और दुनिया में रहने वाले सनातन धर्मावलंबी आज के दिन अपने विवाह योग्य लड़के लड़कियों की शादी करते हैं, वैशाख मास में आज जल से भरा हुआ घड़ा,छाता, पंखे, चरण पादुकाएं, अन्न, खरबूजा, आम , तरबूज आदि फलों का दान भी किया जाता है, हमारे चारों धामों में से एक भगवान बद्रीनाथ के कपाट भी आज खुलते हैं और साल भर में मात्र एक बार आज के ही दिन बृंदावन के बांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी आज ही होते हैं