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जानिए इस उल्कापिंड का नाम
यह उल्कापिंड 46,400 KM की रफ्तार से धरती की तरफ आ रहा है। बताया जा रहा है कि यह उल्कापिंड 24 जून की दोपहर 12 बजे की करीब धरती के करीब से गुजरेगा। नासा के अनुसार, यह उल्कापिंड धरती से करीब 37 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा। नासा के वैज्ञानिक उन सभी उल्कापिंड को धरती के लिए खतरा मानते हैं, जो धरती से 75 लाख किलोमीटर की दूरी के अंदर निकलते हैं।
पहले कोरोना महामारी फिर अम्फानी चक्रवात के बाद एक और बड़ी आफत आने वाली है।
الاثنين، 22 يونيو 2020
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नई दिल्ली। पहले कोरोना महामारी फिर अम्फानी चक्रवात के बाद एक और बड़ी आफत आने वाली है। ये आसमान से आने वाली आफत है और 2 दिन बाद धरती के बगल से गुजरेगा। जी हां 24 जून को धरती के बगल से एक बहुत बड़ा एस्टेरॉयड (उल्कापिंड) गुजरेगा। यह एस्टेरॉयड दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार से चार गुना और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से तीन गुना बड़ा है। आपको बता दें कि जून में धरती के बगल से गुजरने वाला ये तीसरा एस्टेरॉयड है। इससे पहले 6 और 8 जून को धरती के बगल से एस्टेरॉयड गुजरे थे।
NASA के मुताबिक इस उल्कापिंड का नाम 2010NY65 है।
यह 1017 फीट लंबा है ये उल्कापिंड
नासा द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक यह उल्कापिंड 1017 फीट लंबा है। आपको बता दें कि स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी 310 फीट और कुतुबमीनार 240 फीट लंबा है। आपको बता दें कि सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले छोटे-छोटे खगोलीय पिंडों को एस्टेरॉयड या क्षुद्रग्रह कहते हैं। ये मुख्य तौर पर मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मौजूद एस्टेरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं। कई बार इनसे धरती को नुकसान भी होता है।
अगर बदल गई उल्कापिंड की चाल तो होगी बड़ी तबाही
उल्लेखनीय है कि साल 2013 में रूस में चेल्याबिंस्क नामक का एक क्षुदग्रह गिरा था, जिसके कारण एक हजार से अधिक लोग घायल हुए थे और जिस जगह यह गिरा था उसके आस पास के इलाकों में मकानों को काफी नुकसान पहुंचा था। 2010 NY65, चेल्याबिंस्क से 15 गुना बड़ा है। ऐसे में अगर यह उल्कापिंड किसी कारण अपनी चाल बदलता है और पृथ्वी की तरफ बढ़ता है तो यह भारी तबाही मचा सकता है।
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