आज का चिंतन(सुविचार)
🍃🏵🍃🏵🍃🏵🍃🏵🍃
💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..19-12-2020*..🎋
✍🏻कभी भी लोग आपके बारे में टिप्पणी करें तो घबराना मत, बस ये बात याद रखना की हर एक खेल में दर्शक ही शोर मचाते है, खिलाडी नही।
💐 *Brahma Kumaris* 💐
🌷 *σм ѕнαитι*🌷
🍃🏵🍃🏵🍃🏵🍃🏵🍃
♻🍁♻🍁♻🍁♻🍁♻
💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻चाहे कितनी भी बार दांत जीभ को काटे, फिर भी वे दोनों साथ रहते हैं और साथ काम करते हैं। यही क्षमा और संबंध की भावना है।
🌹 *σм ѕнαитι.*🌹
♻🍁♻🍁♻🍁♻🍁♻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
ओम शांति
*तारिफ के मोहताज नही होते सच्चे लोग*
*असली फुलो पर इत्र छिड़का नही जाता*
*इत्र, मित्र, चित्र और चरित्र,*
*किसी की पहचान के मोहताज नहीं*
*ये चारों अपना परिचय स्वयं देते हैं*
ॐ शांति
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🕊️🕊️🕊️🕊️🕊️🕊️🕊️
ओम शांति
*जीव का आखिरी सत्य*
*अर्थी पर पड़े हुए शव को बाँधा जा रहा है। गिरती हुई गरदन को सँभाला जा रहा है। पैरों को अच्छी तरह रस्सी बाँधी जा रही है, कहीं रास्ते में मुर्दा गिर न जाए। गर्दन के इर्दगिर्द भी रस्सी के चक्कर लगाये जा रहे हैं। *लेकिन यह गाँठ भी कब तक रहेगी? रस्सियाँ भी कब तक रहेंगी? अभी जल जाएँगी और रस्सियों से बाँधा हुआ शव भी जलने को ही जा रहा है धिक्कार है इस नश्वर जीवन को! धिक्कार है इस नश्वर देह की ममता को! धिक्कार है इस शरीर के अभिमान को!*
*हो गया हमारे पूरे जीवन की उपलब्धियों का अंत। आज तक हमने जो कमाया था वह हमारा न रहा। आज तक हमने जो जाना था वह मृत्यु के एक झटके में छूट गया। हमारे इन्कम टेक्स (आयकर) के कागजातों को, हमारे प्रमोशन और रिटायरमेन्ट की बातों को, हमारी उपलब्धि और अनुपलब्धियों को सदा के लिए अलविदा होना पड़ा*
*हाय रे मनुष्य! तेरा श्वास! हाय रे तेरी कल्पनाएँ! हाय रे तेरी नश्वरता! हाय रे मनुष्य; तेरी वासनाएँ! आज तक इच्छाएँ कर रहा था कि इतना पाया है और इतना पाँऊगा, इतना जाना है और इतना जानूँगा, इतना को अपना बनाया है और इतनों को अपना बनाँऊगा, इतनों को सुधारा है, औरों को सुधारुँगा।*
*यात्रा की तैयारी हो रही है। लोग रो रहे हैं। चार लोगों ने अर्थी को उठाया और घर के बाहर हमें ले जा रहे हैं। पीछे-पीछे अन्य सब लोग चल रहे हैं।*
*कोई स्नेहपूर्वक आया है, कोई मात्र दिखावा करने आये है। कोई निभाने आये हैं कि समाज में बैठे हैं तो पाँच-दस आदमी सेवा के हेतु आये हैं। उन लोगों को पता नहीं कि उनकी भी यही हालत होगी। अपने को कब तक अच्छा दिखाओगे? अपने को समाज में कब तक ‘सेट’ करते रहोगे? सेट करना ही है तो अपने को परमात्मा में ‘सेट’ क्यों नहीं करते भैया?*
*अपने मन को समझाया करो कि तेरी भी यही हालत होनेवाली है। तू भी इसी प्रकार उठनेवाला है, इसी प्रकार जलनेवाला है। बेईमान मन! तू अर्थी में भी ईमानदारी नहीं रखता? जल्दी करवा रहा है? घड़ी देख रहा है? ‘आफिस जाना है… दुकान पर जाना है…’ अरे! आखिर में तो शमशान में जाना है ऐसा भी तू समझ ले। आफिस जा, दुकान पर जा, सिनेमा में जा, कहीं भी जा लेकिन आखिर तो शमशान में ही जाना है। तू बाहर कितना जाएगा?*
ॐ शांति
🕊️🕊️🕊️🕊️🕊️🕊️🕊️
🦢🦢🦢🦢🦢🦢🦢
ओम शान्ति
*प्रत्येक लोग छोटा या महान सभी से सम्मान चाहते है।*
*इतनी बड़ी दुनिया में कोई न कोई उनके विपरीत बोल ही देता है. जिसे वह अपना अपमान समझ लेते है और अंदर ही अंदर आहत होते रहते हैं।*
*बोलते बहुत अच्छा है, परन्तु मन से अपमान की गांठ जाती नहीं।*
*कुछ लोग झूठे वादे भी करते है। उन्हे पता होता है यह कार्य पूरा होने वाला नहीं है।*
*उनका यह झूठ मन में कांटे की तरह चुभता रहता है, जिससे उन के मन में सूक्ष्म घाव बन जाता है, जो कि शरीर में विकार के रूप में प्रकट होता है।*
*ऐसे ही प्रत्येक व्यक्ति के मन में अपमान, झूठ, लाचारी, निराशा, झूठे आरोप या कोई और नकारात्मक बात मन में चलती रहती है।*
*प्रायः लोग 'बोला' शब्द से आहत होते रहते है।*
*इसने बोला, उसने बोला, क्यो बोला, कैसे बोला, उसकी यह मजाल यह हिम्मत....।*
*ये शब्द शरीर व मन में रोग बना देते हैं।*
*हमारी सोच हमे सकारात्मकता या नकारात्मकता भाव तक लेकर जाती है*
*लेकिन आचरण हमें सकारात्मक भाव तक...!!*
ॐ शांति
🦢🦢🦢🦢🦢🦢🦢