आज का सुविचार
आज का चिंतन(सुविचार)
السبت، 16 يناير 2021
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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..16-01-2021*..🎋
✍🏻कितनी भी महँगी गाड़ी में घूम लो, अंतिम सफर तो बाँस से बनी अर्थी पर ही करना पड़ेगा, यही जीवन का सत्य है।
💐 *Brahma Kumaris* 💐
🌷 *σм ѕнαитι*
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💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻कुछ लोग जीवन मे सर्वश्रेष्ठ आनंद प्राप्त करते है। इसलिए नहीं, केवल अच्छी चीजें उनके ही रास्ते आती हैं, लेकिन, क्योंकि वे अपने रास्ते में आने वाली हर चीज में अच्छा ढूँढ लेते है।
🌹 *σм ѕнαитι.*🌹
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हर कोशिश💊 में शायद❌ सफलता न मिल पाए,
लेकिन हर💊💉✌🏻 सफलता का कारण कोशिश🚶🏻♀️😷🚶🏻♂️ही होती है.. ..
दो गज🚶🏻♀️😷🚶🏻♂️की दूरी बहुत बहुत है जरूरी, आप है भारत के कभी ना❌हार माननेवाले👩🏻💫👦🏻 वीर।
*गीता का दूसरा अध्याय*
*Episode - 1*
श्रीमद् भगवत गीता के *दूसरे अध्याय*✌🏻 में परमात्मा किस तरह का ज्ञान अर्जुन को विषाद के लिए देते हैं और साथ ही साथ एक *रीलाइजेशन* 😌जो अर्जुन को कराते हैं । *पहला अध्याय विषाद योग था अभी दूसरा अध्याय शांख्य योग है* । सांख्य योग का मतलब है *आत्मा की वास्तविकता का ज्ञान*🎇 (आत्मा का बोल ) । भगवान ने अर्जुन को जो बातें बताई शायद आज के जीवन में हमारे जीवन में *जो संघर्ष चल रहा है* ⚓ उस संघर्ष के लिए भी आत्मा का ज्ञान कितना महत्व रखता है उस बात को समझेंगे ताकि हम भी उसका *प्रैक्टिकल एप्लीकेशन* 🚨अपने जीवन में कर सकें तो जीवन की उलझन जैसे कि *समाप्त हो जाए ।*
इस अध्याय में बताया गया है कि *आत्मा का ज्ञान और आत्मा का परिचय*🎇 जीवन के अंदर आत्मा का स्वयं का परिचय और उसका *धर्म का एप्लीकेशन कर्म में* 🤞🏻और जब प्रैक्टिकल में उसको अप्लाई करते हैं तो *बुद्धि हमारे कैसे स्थिर हो जाते हैं*🧎♀️ ? स्टेबल माइंड और स्टेबल इंटेलेक्ट वाले हम बन सकते हैं । अर्जुन कहता है कि हे प्रभु आप ही मेरे विषाद को दूर करो। सरेंडर हो जाता है । बात ये है कि हम भी जब तक अपने अंदर क्वेश्चन खड़ा करते रहेंगे तो कभी-कभी ईश्वर की जो प्रेरणा आती हैं उसको कभी कैच नहीं कर सकते तो *क्वेश्चन समाप्त करके* 🙅🏻♂️जब हम सरेंडर करते हैं उस वक्त फिर *भगवान टेकओवर करते* 💥हैं ।
इसीलिए दिखाया है कि *गॉड इज द बेस्ट लिस्नर*
( *GOD IS THE BEST LISTENER*)
जज को भी यही काम करना पड़ता है। जब हम अपने मन को शांत करते हैं तो *भगवान को हमें रास्ता दिखाना पड़ता है*। यह अध्याय गीता का सार है जो दर्शाता है कि योग के अंतर्गत विस्तार पूर्वक विचार किए गए हैं जैसे *कर्म योग ज्ञान योग सांख्य योग और आत्म योग* । इस तरह से अगर देखा जाए तो जब सरेंडर हो गए भावार्थ जब मनुष्य अपने आप में *हारा हुए* 🚶🏻♀️महसूस करता है निर्णय नहीं ले पाते हैं और असमर्थ बुद्धि महसूस करते हैं तो कभी-कभी कई लोग डिप्रेशन में भी चले जाते हैं । और इसीलिए *मन को शांत करना* 🧘🏻♂️अत्यधिक आवश्यक है।
आज मनुष्य *ऑक्यूपाईड* 👨🏻🏫 है अपने विचारों में, ईश्वर जो कुछ कहना चाहते हैं वह हम सुन नहीं पाते। उसको सुनने के लिए *मन को शांत करना जरूरी है* 🧎♀️। तभी कहा जाता है
*Silence is the only way to communicate with God*
इसी तरह जब अर्जुन ने *समर्पण* 🧎🏼♂️किया और उसका मन शांत हो गया ।
तब सबसे पहले *श्री कृष्ण* 🤴🏻11 वें श्लोक में यह बात बिल्कुल स्पष्ट करते हैं और कहते हैं कि
अर्जुन , ना *तो ऐसा ही है कि मैं किसी काल में नहीं था, तू नहीं था अथवा यह राजा लोग नहीं थे और ना तो ऐसा ही है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेंगे* ।
मना यहां *श्रीकृष्ण* अपने *पुनर्जन्म*🙇🏼♂️ की बातें कर रहे हैं की बहुत जन्मों से मैं भी था तुम भी था और यह लोग भी थे और आगे भी तुम भी रहेंगे मैं भी रहूंगा और यह सब लोग भी रहेंगे ।
अलग-अलग स्वरूप में रहेंगे और चौथे अध्याय में जब श्री कृष्ण कहते हैं कि *मैं अजन्मा हूं*
*I AM BEYOND BIRTH AND DEATH*
और यह *दोनों श्लोक कंट्रोवर्शियल*⚔️ नजर आए और जब लोगों को यह महसूस हुआ कि कई श्लोक गीता के अंदर कंट्रोवर्शियल हैं तो *लोग कंफ्यूज हो गए* 🙇🏼♂️।
⛥ ओम शांति ⛥
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