आज का सुविचार(चिन्तन) - fastnewsharpal.com
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आज का सुविचार(चिन्तन)

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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠

🎋 *..21-08-2021*..🎋


✍🏻किसी का दिल दुखाना समुद्र में फेंके गए पत्थर के समान है। वो पत्थर कितना गहरा जाएगा अंदाजा लगाना मुश्किल है।

💐 *Brahma Kumaris Daily Vichar* 💐

🌷 *σм ѕнαитι*🌷

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  💥 *विचार परिवर्तन*💥


✍🏻जिंदगी परिवर्तनों से ही बनी है, किसी भी परिवर्तन से घबराएं नहीं, बल्कि उसे स्वीकार करे! कुछ परिवर्तन आपको सफलता दिलाएंगे, तो कुछ सफल होने के गुण सिखाएंगें।

🌹 *Brahma Kumaris Daily Vichar*🌹

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💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*21 अगस्त:-*_ परिवार को संतुष्ट करने के लिए सिर्फ छोटी सी बात है, "रिगार्ड दो और रिगार्ड लो" "Give Respect Take Respect"।
        🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
       🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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*ऊंचा होने का गुमान और , छोटा होने का मलाल मिथ्या है..l*

*खेल🚶🏻‍♀️😷🚶🏻‍♂️ खत्म होने के बाद शतरंज♟️ के सभी मोहरे एक ही डिब्बे में रखे जाते हैं* ll
*जब तक एक👬🏼👭🏻👫🏻👨‍👩‍👧‍👦🤝🏻 दूसरे की*
*मदद करते रहेंगे,*
*तब तक कोई👭🏻👬🏻👫🏻👨‍👩‍👧‍👦 भी❌ नही गिरेगा*।

*चाहे💺 व्यापार हो,*
*परिवार👨‍👩‍👧‍👦 हो या फिर🌍 समाज!*।                                        

good👆🏻💫🇲🇰🌌🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♂️ night😊
*ओम शांति ब्रह्मा मुख द्वारा निराकार शिव भगवानुवाच l*

 ♥ मीठे बच्चे याद की यात्रा में उड़ो, बनके रूहानी परिंदाl इस यात्रा में उड़ नहीं सकते हैं वह, जिनको है देह अभिमान का फंदा l🕸️ 

📒ईश्वरीय पढ़ाई में है वह अंधा जो एक दूसरे की करते हैं निंदा l यह संस्कार है बहुत गंदा lफिर माया भी चलाती है उनसे अपना धंधा l 💰

🪆ऐसी आत्माएं, सुख शांति खुशी का, मांगती है चंदाl इस ईश्वरीय विद्यालय का, है यह कायदा, श्रीमत पर चलने वालों को ही है, अनगिनत फायदाl🧭

 🪅बेहद के रहनुमा है बाप खुदा l उनसे छुप नहीं सकती, किसी की भी अदा l♉ 

👥अब सच्चे बाप के साथ सच्चा रहने का, करो सौदा l भगवान बाप भी ऐसे बच्चों को, परिवर्तन करने का करते हैं वादा l🧎🏻 

🇲🇰भगवान बाप का भी है यही, पक्का इरादा l तुम बच्चे कभी नहीं हो सकते मुझसे जुदा l☺️

🚶🏻‍♂️सिर्फ श्रीमत पर चलने की, कभी नहीं छोड़ना मर्यादा l फिर  संसार के हर आंधी तूफानों में, मैं सर्वशक्तिमान रहूंगा, तुम बच्चों के साथ सदा l🤝🏻
🙏 *ॐ शांति* 🙏

अच्छा कार्य करने के लिये भी *ज्ञान* चाहिये। यदि हम अच्छा करने के लिये किसी गरीब को कुछ धन दें और वो उस धन का किसी *अनैतिक* कार्यों में व्यय करे, तो यह भी हमारा *पाप* कर्म हुआ। अतः हर कर्म का ध्यान रहे, *श्रीमत* अनुसार ही सब हो तो *पुण्य* ... अन्यथा *पाप* ...

🌸 सुप्रभात...

💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐



👏🌹😊अनमोल मोती-
21-08-2021
*गौर करें तो,- हम खुश होते हैं, अथवा दुखी होते हैं, सिर्फ अपने सोचने के तरीके के कारण, अर्थात हम जैसा सोचते वैसे ही एहसास से भर जाते हैं, अतः अगर हम सुखी होना चाहते हैं, तो बस हमें अपने सोचने का तरीका बदलना होगा।*
🙏🏻🌹 *ओमशान्ति, सुप्रभात*👍💖

♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️        


*👉🏿"अति वाचालता का  🏵️दुष्परिणाम "*

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          एक राजा बहुत अधिक बोलता था। उसका मन्त्री विद्वान् और हितचिन्तक था। इसलिये सोचता रहता था कि राजा को कैसे इस दोष से मुक्त करूँ और वह ज्ञान दूँ, जो कि मनुष्य के हृदय में बहुत गहराई से उतरकर उसके स्वभाव का अंग बन जाता है। मन्त्री हमेशा राजा के हित की सोचता रहता था और उचित अवसर की तलाश में था कि राजा को अपने इस दोष का आभास हो और उसके द्वारा होनेवाली हानि को समझकर उसमें से निकल जायँ।

          एक दिन की बात है, राजा मन्त्री के साथ उद्यान में घूमते हुए एक शिला पर बैठ गया। शिला के ऊपर एक छायादार पेड़ था। उस आमके पेड़ पर कौवे का एक घोंसला था, उसमें काली कोयल अपना अण्डा रख गयी।

          कोयल अपना घोंसला नहीं बनाती, वरन् कौवे के घोंसले में ही अण्डा रख देती है। कौवी उस अण्डे को अपना समझकर पालती रहती है। आगे चलकर उसमें से कोयल का बच्चा निकला। कौवी उसे अपना पुत्र समझकर चोंच से चुग्गा ला, उसे पालती थी। कोयल के बच्चे ने असमय जबकि उसके पर भी नहीं निकले थे, कोयल की आवाज की।

          कौवी ने सोचा- 'यह अभी विचित्र आवाज करता है, बड़ा होने पर क्या करेगा ?' कौवी ने चोंच से मार-मारकर उसकी हत्या कर दी और घोंसले से नीचे गिरा दिया। राजा जहाँ बैठा था, वह बच्चा वहीं उसके पैरों के पास गिरा।

          राजा ने मन्त्री से पूछा-'मित्र ! यह क्या है ?' मन्त्री को राजा की भूल बताने का यह अवसर मिल गया। इसी अवसर का फायदा उठाकर मन्त्री ने कहा- 'महाराज ! अति वाचाल (बहुत बोलनेवालों) की यही गति होती है।'

          पूछने पर मन्त्री ने पूरी बात राजा को समझाकर बतायी कि कैसे यह बच्चा असमय आवाज करने से नीचे गिरा और मृत्यु को प्राप्त हुआ। यदि यह चुप रहता तो यथा समय घोंसले से उड़ जाता। इतना कहकर मन्त्री ने राजा को मौका देखकर उसकी वाचालता दूर करने के लिये यह प्रत्यक्ष उदाहरण बताकर नीति बतायी।

          'चाहे मनुष्य हो, चाहे पशु-पक्षी; असमय अधिक बोलने से इसी तरह दुःख भोगते हैं।' उसने वाणी के अन्य दोष और उसके दुष्परिणाम राजा को बताये।

          'दुर्भाषित वाणी हलाहल विष के समान ऐसा नाश करती है, जैसा तेज किया हुआ शस्त्र भी नहीं कर सकता। इसीलिये बुद्धिमान् व्यक्ति को चाहिये कि वाणी की समय- असमय रक्षा करे। अपने समकक्ष व्यक्तियों से कभी अधिक बातचीत न करे। जो बुद्धिमान् समय पर विचारपूर्वक थोड़ा बोलता है, वह सबको अपने वश में कर लेता है।'

          बुद्धिमान् और प्रज्ञावान् मन्त्री की बात सुनकर राजा अति वाचालता के दोष को दूर कर मितभाषी हो गया और सुखपूर्वक राज्य करने लगा, उसने प्रसन्न होकर मन्त्री को मान और वैभव से कृतार्थ किया।

 


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