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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..18-01-2021
🙏🏻 🌹🌻🌹🌹🌹🥀🥀🌹 शुभ प्रभात🌹🌹🌹🌻🌹🌻🌹🌻
“अपने वर्तमान के बुरे दिनों को देखकर, कभी भी अपने भविष्य का अनुमान मत लगाना। क्योंकि कल में इतनी ताक़त है कि, वो एक कोयले के टुकड़े को भी हीरे में बदल सकता है।"🤴🙏👇
💐 *Brahma Kumaris* 💐
🌷 *σм ѕнαитι*
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💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻जो खुश नहीं होना चाहते उन्हें कोई खुश नहीं कर सकता और जो खुश रहने का हुनर जानते हैं, उन्हें कोई खुश रहने से नहीं रोक सकता।
🌹 *ॐ शान्ति*🌹
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👏🌹😊अनमोल मोती-
सारे धर्म तथा सर्व ज्ञान का मूल ही मानवता होता है, अतः जिसमें मानवता नही वह ज्ञानी नही
*ओम शांति, सुप्रभात*
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🙏 *ॐ शांति* 🙏
जब मनुष्य सृष्टि की वृत्ति व प्रवृति आध्यात्मिकता पर आधारित होती है तो वह धरा *स्वर्ग* कहलाती है। अतः स्वर्ग *धरा* पर लाने के लिये.... कोई *पर्वत* उठाने की आवश्यकता नहीं, केवल अपने हर संकल्प व *कर्म* में आध्यात्मिक ज्ञान को *सम्मिलित* करने की जरूरत है।
🌸 सुप्रभात...
💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐
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अनमोल वचनः
मनुष्य के मन में संतोष होना स्वर्ग की प्राप्ति से बढ़कर है, संतोष ही सबसे बड़ा सुख है!संतोष यदि मन में भली भाँति प्रतिष्ठित हो जाए तो उससे बढ़कर संसार में कुछ भी नहीं है | जैसे कछुआ अपने अंगों को सब ओर से सिकोड़ लेता है,उसी प्रकार जब मनुष्य अपनी सब इचछाओं को समेट लेता है,तब उस समय उसकी ज्योति स्वरूप आत्मा प्रकाशित हो जाती है !!!
🙏ओम् शांति🙏
☘️आपका दिन शुभ हो☘️
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💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*18 जनवरी:-*_ अगर कोई आपकी गलती बताये तो अपमानित मेहसूस न कर उससे उपयोगी बातो को लेकर अपनी कमियो को अवश्य सुधारे।
🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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*गीता का दूसरा अध्याय*
*Episode - 2*( *एडजस्ट करने की कला*)
इसी अध्याय में युद्ध का विधि विधान बताते हैं कि जीवन में संघर्ष का विधि विधान क्या है । बहुत सुंदर बात यहां कही है भगवान ने और यहां भगवान कहते हैं -- *सुख-दुख गर्मी सर्दी मान अपमान को सहन करना एक भारतवंशी पर निर्भर करता है* । यहां भगवान *अर्जुन को भारत कह* 🔮कर संबोधित करते हैं क्योंकि यह ज्ञान सभी *भारत वासियों के लिए है और यह केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं था* और इस लिए कहा कि भारतवंशी। सुख दुख मिलता है हमें साधनों से ।आज हमारे पास साधन है सुख है कल अगर सारे साधन लाइफ बदलते हैं ना, एनर्जी पर चलते हैं । वह *एनर्जी फेलियर*🚛 हो जाता है तो दुख भी मिलता है नेचुरल है लेकिन वहां व्यक्ति रिएक्ट नहीं करता है *एडजस्ट कर लेता है ।*✅
उदाहरण के लिए गाड़ी में जा रहा है लेकिन एनर्जी खत्म हो गई पेट्रोल खत्म हो गया , पेट्रोल नहीं मिलता है तो *एडजस्ट कर लेता* है ,पैदल चला जाता है या साइकिल चला लेता है।
इसी तरह *सर्दी गर्मी* 🌌जो प्रकृति से मिलता है आज बहुत सर्दी है गर्म कपड़े लगा देते हैं बहुत गर्मी है एसी फैन चालू कर लेते हैं । वह अगर नहीं हुआ तो हाथ का पंखा भी लेकर के घुमा लेते हैं। *एडजस्ट कर लेते हैं रिएक्ट नहीं करते*।
मनुष्य के द्वारा *मान मिला* 👨🏻🏫बड़ी *खुशी* 💃🏻हुई और *अपमान* 👎🏻मिला तो *दुख* 😠हुआ , पर सहन नहीं होता तो भगवान आत्मा की वास्तविकता समझाते हैं कि जीवन के संघर्ष में गर्मी सर्दी सुख-दुख यह उतार चड़ाव जीवन में आने हैं। *उसे सहन करना भारतवंशी के ऊपर निर्भर करता है।* 👍🏻
अब सोचने की बात है कि अगर *युद्ध का मैदान* 🏞️हो तो वहां अगर व्यक्ति *सहन करें तो तो हार जाएगा* लेकिन जीवन के संघर्ष में सहन करना इसमें विजय है। *सहन करने में विजय* ✌🏻हुई है । एडजस्ट करने में विजय है। ये जीवन जीने की कला सिखाता है । कितनी सुंदर बात भगवान यहां अर्जुन को समझाने का प्रयत्न करते हैं यानी *हम सभी को* कि *सुख-दुख सर्दी गर्मी मान अपमान को सहन करना यह जीवन के संघर्ष का युद्ध का विधि विधान है*। उसमें विजय हो सकते हैं । *रिएक्ट करने में विजय नहीं है*।🙅🏻♂️
जिस तरह मान लो आज *पानी*💧 को मटके में डालो तो *मटके का आकार ले* 🏮लेगा , जग में डालो जग का आकार ले लेगा🍶 ,पतीले में डालो पतीले का आकार ले लेगा,🍚 *पानी का अपना कोई आकार नहीं है* 💦। जैसा सांचा वैसा अपना आकार बना लेता है लेकिन इसी तरह *हमारी कॉन्शसनेस का भी अपना कोई आकार नहीं है*🧠 । जिस तरह का आप समझा देंगे उस तरह वो अपना आकार बना देगा । चॉयस कौन सा है *सकारात्मक सांचा में डालो या नकारात्मक* । अगर *नकारात्मक* सांचे में डालेंगे तो हमारी चित्त इंद्रियां *नेगेटिव*😡 हो जाएंगी *डीएक्टिव* हो जाएंगी और हमें ही परेशान करना आरंभ कर देगी । जीवन का संघर्ष बहुत मुश्किल हो जाएगा और अगर वहां कभी हार हुई तो शायद उसको बर्दाश्त भी नहीं कर पाएंगे और इसीलिए भगवान कहता है कि *उसको सकारात्मक सांचे में डालो पॉजिटिव सांचे में ढालो हमारी चित्तवृत्ति अभी पॉजिटिव हो जाएंगी*➕ तो हमारी सहन करने की क्षमता बढ़ जाएगी और जब अंदर की क्षमता बढ़ जाएगी तो *रेएक्टिव होने की बजाय वह एक्टिव* हो जाएंगे । इतनी डीप बात जीवन के संघर्ष के लिए दूसरे अध्याय के आरंभ में ही भगवान अर्जुन को समझाते हैं कि चित्त वृत्तियों का अपना कोई आकार नहीं है तुम जैसे सांचे में डालोगे वैसे ही वह आकार बना देता है । इसलिए आप देखेंगे जैसे बच्चे होते हैं निर्दोष लेकिन जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं जो जैसा माहौल उनको मिलता है इस माहौल में बड़ा होते जाता है । अगर नेगेटिव माहौल मिला नेगेटिव वृत्ति उसको छोटी-छोटी बातों में भी चिढ़ चिड़ा पन आने लगेगा, फिर बाद में महसूस करता है कि पहले मुझे गुस्सा नहीं आता था लेकिन आजकल बहुत गुस्सा आने लगा है क्योंकि उसने वह *सांचे में डाल दिया* अब उसे से निकलना उसके लिए बहुत मेहनत लगती है इसलिए पहले से ही हम अपने लिए सर्च करें कि * *मुझे अपने चित्त वृत्तियों को किस सांचे में डालना* * ।
⛥ओम शांति ⛥

♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी
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👉 संगर्स ओर चुंनोतियां 🏵️
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*एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया !कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए,कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये!हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये!*
*एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा,देखिये प्रभु,आप परमात्मा हैं,लेकिन लगता है आपको खेती-बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये , जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो,फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा!* *परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है,जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा!*
*किसान ने गेहूं की फ़सल बोई,जब धूप चाही,तब धूप मिली,जब पानी तब पानी !तेज धूप, ओले,बाढ़,आंधी तो उसने आने ही नहीं दी,समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी !* *किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, की फ़सल कैसे करते हैं,बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे.*
*फ़सल काटने का समय भी आया,किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया,लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया!गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था,सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी,बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा,प्रभु ये क्या हुआ ?*
*तब परमात्मा बोले*
*ये तो होना ही था,तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया,ना तेज धूप में उनको तपने दिया,ना आंधी ओलों से जूझने दिया,उनको किसी प्रकार की चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया,इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए,जब आंधी आती है,तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है,उर्जा देता है,उसकी जीवटता को उभारता है.सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी से पिटने,गलने जैसी चुनोतियो से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है,उसे अनमोल बनाती है !*
*उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो,चुनौती ना हो तो आदमी खोखला ही रह जाता है,उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता !ये चुनोतियाँ ही हैं जो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं,उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं,अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनौतियो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे.*
*अगर जिंदगी में प्रखर बनना है,प्रतिभाशाली बनना है ,तो संघर्ष और चुनोतियाँ का सामना तो करना ही पड़ेगा*
*बिना संघर्ष और चुनौतियों के हम कभी अपनी मंजिल को नही पा सकते यह भी एक परीक्षा है जीवन की जिसके बिना हमें उसी तरह ज्ञान नही होता जिस तरह एक बच्चा परीक्षा दिए बिना अगली कक्षा में नही जा पाते,संघर्ष और जीवन की चुनौतियों का सामना तो इस धरा पर आकर श्री राम और श्री कृष्ण जी ने भी किया*
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