जो बार बार सोचते हैं वही हमारे जीवन का हिस्सा बनता है । क्रोधी व्यक्ति को बदलने का सबसे सहज साधन स्वयं को शांत रखना-- ब्रह्मा कुमार नारायण भाई
जो बार बार सोचते हैं वही हमारे जीवन का हिस्सा बनता है । क्रोधी व्यक्ति को बदलने का सबसे सहज साधन स्वयं को शांत रखना-- ब्रह्मा कुमार नारायण भाई
अलीराजपुर
,हम हमेशा दूसरों को सुधारने के प्रयास मे लगे रहते हैं या फिर दूसरों को सलाह देते रहते हैं ये करना चाहिए, ऐसे करना चाहिए। परन्तु हम स्वयं को सुधारना या स्वयं को सलाह देना भूल जाते हैं की हमें क्या करना चाहिए।*तो चलिए आज से एक नया अभ्यास करें यदि सच में किसी को सुधारना चाहते हैं तो पहले स्वयं को सुधारें जैसे किसी को क्रोध मुक्त करना चाहते हैं तो स्वयं शांत रहना सीख जाये पहले खुद को क्रोध मुक्त कर लें फिर हमारी शांत अवस्था को देख वह व्यक्ति भी धीरे -धीरे परिवर्तन होने लगेगा इसे कहा जाता हैं गुणों का दान l यह सर्वश्रेष्ठ दान हैं lकिसी भी गुण को या अच्छे विचारों को अपना बनाने का एकमात्र तरीका है उन्हें बार बार पढ़ना, लिखना बोलना और सुनना इसी को एकाग्रता कहा जाता है। जिससे अच्छे विचार मन का हिस्सा बनते जाते हैं क्योंकि हम जो और जैसा बार बार सोचेंगे वही हमारे मन पर छपता जाता है और फिर वही हमारे आचरण में दिखता है। इसलिए संस्कार बदलने है अच्छे गुण धारण करने वा कराने हैं तो पहले हम अपनी सोच बदलें और किसी को बोल के नही अपने गुणों और कर्मों से दूसरों को बदलने की प्रेरणा दें गुण दान करें। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने गुणदान का जीवन में महत्व विषय पर दीपा की चोकी में स्तिथ ब्रहमा कुमारी सभागृह में नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया कि संस्कार और सभ्यता हमारे व्यक्तित्व की पहचान होते है l जिसके आधार पर ही हम समाज, घर -परिवार और अपने कार्यस्थल पर अपनी पहचान बनाते हैं l भगवान द्वारा समझाई हुई कुछ मुख्य बातें जिससे हम अपने व्यक्तित्व को और निखार सकते हैं और इस समाज में सुसंस्कृत कहला सकते हैं -*जब भी किसी से मिले चाहे घर में या बाहर, सदैव हमारे चेहरे में मुस्कान*हो l हर्षितमुख चेहरा सभी को अच्छा लगता है l
*सदैव कम बोलो, मीठा बोलो एवं धीरे बोलो l *वाणी की मधुरता भी सभी को प्रिय लगती है l *सत्यता की शक्ति धारण करना है l सत्य को कभी सिद्ध नही किया जाता, सत्य का प्रकाश स्वतः ही चारों ओर फैलता है l.क्रोध अज्ञान की शक्ति है और ज्ञान की शक्ति शांति है और सहनशक्ति है तो किसी भी परिस्थिति मे क्रोध का चुनाव ना हो बल्कि शांति और सहनशक्ति का चयन हो ।l