आज का चिंतन(सुविचार) - fastnewsharpal.com
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आज का चिंतन(सुविचार)

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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠

🎋 *..15-03-2021*..🎋


✍🏻चिंता और चिता में केवल एक बिंदु का ही अंतर है, लेकिन चिता निर्जीव को जलाती है और चिंता जीवित को जलाती है।

💐 *Brahma Kumaris* 💐

🌷 *σм ѕнαитι*🌷


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  💥 *विचार परिवर्तन*💥


✍🏻जुनून आपसे वो करवाता है, जो आप नही कर सकते। हौसला आपसे वो करवाता है, जो आप करना चाहते है। अनुभव आपसे वो करवाता है, जो आपको करना चाहिए।

🌹 *σм ѕнαитι.*

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     ॐ शांति
*शरीर आज है, कल नहीं इसलिए जो सदा है। उस पर ध्यान दो।। वही मंगल है, उसमें ही मंगल है। शरीर का सीढ़ी की भाँति उपयोग करो।। लेकिन, शरीर गंतव्य नहीं है। शरीर में निवास करो - शरीर घर है।। लेकिन, शरीर ही मत हो जाओ - तुम शरीर नहीं हो। शरीर अस्वस्थ भी होगा मरेगा भी लेकिन, शरीर के साथ तुम्हें अस्वस्थ होने की ज़रूरत नहीं है।। और जब शरीर के अस्वस्थ होने पर भी पाओ कि तुम स्वस्थ हो, उसी दिन तुम जानना कि स्वस्थ हो। अन्यथा, शरीर की मृत्यु में तुम्हें स्वयं की मृत्यु की भ्रान्ति होगी।। अनेक बार - अनंत बार इसी भ्रान्ति में तो जन्मी और मरी हो। अब छोड़ो इस भ्रान्ति को अब तोड़ो इस अज्ञान को शरीर मरे और तुम जान सको कि तुम अमर हो, यही तो लक्ष्य है।। ध्यान का धर्म का इस लक्ष्य को सदा स्मरण रखो। बस, तुम इतना ही करो और शेष सब अपने आप हो जाता है।।*
        ॐ शांति
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अनमोल वचन:

मोह में फंसकर हम परमात्मा जैसे प्यारे रिश्ते को कैसे भूल जाते हैं ? संसार में अगर कोई  रिश्ता सच्चा है तो वह परमात्मा के साथ है क्योंकि वो हमारा सच्चा सच्चा मात- पिता है और हम सभी उसके बच्चे हैं। वह कभी भी पल भर के लिए भी हमें खुद से अलग नहीं करता और जीते जी और मरने के बाद भी हमारा साथ नहीं छोड़ता तो  हम उसे कैसे भूल सकते हैं ?इस दुनिया की हर चीज़ उन की दी हुई है अगर उससे कुछ मांगना ही है तो उसे ही मांग लो....

🙏ओम् शान्ति 🙏

💐आपका दिन शुभ हो 💐

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          ओम शांति
 *सामान्यतया आदमी दान का मतलब किसी को धन देने से लगा लेता है। धन के अभाव में भी आप दान कर सकते हैं। तन और मन से किया गया दान भी उससे कम श्रेष्ठ नहीं।*
  *किसी भूखे को भोजन, किसी प्यासे को पानी, गिरते हुए को संभाल लेना, किसी रोते बच्चे को गोद में उठा लेना, किसी अनपढ़ को इस योग्य बना देना कि वह स्वयं हिसाब किताब कर सके और किसी वृद्ध का हाथ पकड़ उसके घर तक छोड़ देना यह भी किसी दान से कम नहीं है।*
  *हम किसी को उत्साहित कर दें, आत्मनिर्भर बना दें या साहसी बना दें, यही भी दान है। अगर आप किसी को गिफ्ट का ना दे पायें तो मुस्कान का दान दें, आभार भी काफी है। किसी के भ्रम-भय का निवारण करना और उसके आत्म-उत्थान में सहयोग करना भी दान है।*
  
*किसी रोज प्यासे को पानी क्या पिला दिया।*
*लगा जैसे प्रभु ने अपना पता बता दिया॥*

     *रोशनी करने का ढंग बदलना है।*
*चिराग नहीं जलाने, चिराग बन कर जलना है ॥*
       ओम शांति
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💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*15 मार्च:-*_ सत्य के रस्ते में मुश्किलें अनेक आती है लेकिन ये निश्चय है के सत्य पथ पर चलने वालो को कोई भी नुकसान पोहचा नही सकता।
        🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
       🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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          ओम शांति
 *सामान्यतया आदमी दान का मतलब किसी को धन देने से लगा लेता है। धन के अभाव में भी आप दान कर सकते हैं। तन और मन से किया गया दान भी उससे कम श्रेष्ठ नहीं।*
  *किसी भूखे को भोजन, किसी प्यासे को पानी, गिरते हुए को संभाल लेना, किसी रोते बच्चे को गोद में उठा लेना, किसी अनपढ़ को इस योग्य बना देना कि वह स्वयं हिसाब किताब कर सके और किसी वृद्ध का हाथ पकड़ उसके घर तक छोड़ देना यह भी किसी दान से कम नहीं है।*
  *हम किसी को उत्साहित कर दें, आत्मनिर्भर बना दें या साहसी बना दें, यही भी दान है। अगर आप किसी को गिफ्ट का ना दे पायें तो मुस्कान का दान दें, आभार भी काफी है। किसी के भ्रम-भय का निवारण करना और उसके आत्म-उत्थान में सहयोग करना भी दान है।*
  
*किसी रोज प्यासे को पानी क्या पिला दिया।*
*लगा जैसे प्रभु ने अपना पता बता दिया॥*

     *रोशनी करने का ढंग बदलना है।*
*चिराग नहीं जलाने, चिराग बन कर जलना है ॥*
       ओम शांति
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*राजयोग का अभ्यास कँहा कर सकते है* ❓

🍁 जीवन पहले से ही विविधताओं से भरा हुआ है, बहुत सारी गतिविधियाँ और जिम्मेदारियाँ होती हैं। ऐसे में हम राजयोग अभ्यास के लीयए समय कैसे निकाल सकते हैं❓ यही तो राजयोग की सुन्दरता है कि इसे कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है।

🍁 *घर में*

राजयोग अभ्यास के लिए खास रूम अथवा जगह की आवश्यकता नहीं है। कोई भी एकान्त और शान्त स्थान या आरामदायक कुर्सी भी चल सकती है। अपनी आन्तरिक गहराई को समझने के लिए लगातार और नियमित समय निश्चित करें। कुछ ही समय में आपको ऐसी जगह मिलेगी जिसकी तरफ आप आकर्षित होने लगेंगे जहाँ पर आपने अपनी शान्ति की स्थिति से और आत्म चिन्तन के अभ्यास से शान्ति का वातावरण बनाया होगा। ऐसी नेयुक्त जगह पर आप जब ओर जितनी बार बी जाना चाहे तो जा सकते है ।

🍁 *आपके कार्य स्थल पर*

जहा भी आप कामकाज करते है, यदि आप थोड़ा सा असामान्य/ रचनात्म‍क तरीके से सोचेंगे तो ज़रूर आप को अपना  मैडिटेशन कहा और कैसे करना है, उस के लिए कोई अच्छा सुजाव निकलेगा | मिसाल के तोर पे पानी पीने के समय कुछ क्षणों के लिए अपने भीतर की शान्ति को सुनने का अभ्यास करें । या फिर किसी कार्य-वश एक जगा से दूसरी जगा जाते वक्त कुछ मिनटों के लिए  शान्ति का अनुभव कर सकते हैं । आपके सहकर्मियों को पता भी नहीं चलेगा कि आप मेडिटेशन कर रहे हैं लेकिन वो आपकी स्थिरतम शान्ति को ज़रूर महसूस करेंगे।

🍁 *सफर के दौरान*

एक जगह से दूसरी जगह जाने में जो समय आपको लगता है, चाहे पैदल, बस या ट्रेन का सफर हो, इसे हम इस्तेमाल कर सकते हैं, अपनी भीतरी निशब्दता और मौन की यात्रा कर सकते हैं। आंखे खुली रखकर राजयोग अभ्यास की पद्धति इस भीतरी यात्रा को सम्भव और व्यावहारिक बना देता है।

🍁 *अन्दर या बाहर*❓

आप किसी भी स्थान पे स्वात्मानुभति और परमात्मा के साथ जुड़ सकते हो। सम्परूण पृथ्वी योग करने के लिये उपयुक्त है। चाहे घर के अंदर या बाहिर - सूरज की रोशनी से भरा हुआ समुद्री किनारा हो या फिर किसी अस्पताल का प्रतिक्षा कक्ष हो । कहीं भी शान्ति और स्थिरता का अभ्यास कर सकते है। अपने पसन्द की कोई भी जगह चुन सकते हैं।

🍁 *भीड़ में भी शान्ति का अनुभव*

जैसे ही आप अपने भीतर की शांति  को बनाना सीख लेते हैं, आपको महसूस होगा कि आप किसी बी वक्त बहुत ही  सरलता से उस अवस्था को पा सकते हैं।  जब आपके आस-पास बहुत सारे लोग हों या फिर आपके आस-पास बहुत शोर शराब हों या फिर उपद्रव  हो तो भी आप आराम से आपने अंदर की  शान्ततम जगह में जा सकते हैं - जो आपकी आत्मा की मौलिक स्थिति है ।

🍁 अकेले में या किसी के साथ
योग का सर्वश्रेष्ठ और सुन्दर अनुभव तब हो सकता है जब आप अकेले उस एक परमात्मा के साथ हों। आप चाहो तो ये अभ्यास स्वयं बैठकर  कर सकते हैं , या फिर औरो  के साथ मिलकर भी कर सकते हैं । विश्व भर में  ब्रह्माकुमारीज़ के सेन्टर्स हैं जहाँ पर मैडिटेशन हॉल / रूम  बने हुए हैं जहाँ  आप कभी भी जाकर शान्ति के उन क्षणों को अनुभव कर सकते हैं। कुछ ब्रह्माकुमारीज़ सेन्टर्स को इनर स्पेश भी कहा जाता है।

🍁 विश्व भर में एक विचारधारा के लोग कभी-कभी एकसाथ मिलकर मेडिटेशन करना चाहते हैं। इस समझ के साथ कि सभी मिलजुल कर एक ही समय पर किये गये सकारात्मक विचारों के योगदान से उनके शुभ कामनायें की शक्ति और पोहोंच ओर भी अदिक बड़ सकती हैं।

🍁 सम्पूर्ण विश्व के लिए एक घण्टा योग
1978 में विश्व भर में हर जगह पर एक घण्टे तक शान्ति से बैठकर योगाभ्यास करने की यह प्रथा शुरू हुई जो महीने के हर तीसरे रविवार को होती  है। इसक लक्ष्य है कि हम अपने  शान्ति , प्रेम और सकारात्मक प्रकम्पनों का दान  विश्व और हमारे अनमोल पृथ्वी वासियों  को करें।  अगर हम यह  याद रखें कि विश्व हमारा अपना घर है तो हम सभी मिलजुलकर  विश्व के घाव भरके  एक आशा की किरण फैला सकते हैं।

🍁 *रिट्रीट – शान्ति देने वाले स्थान*

पूरे दिन में शान्ति और सुकून का वातावरण खुद बनाने के अलावा कभी-कभी हम अपनी नियमित दिनचर्या से समय निकालकर एक आध्यात्मिक रिट्रीट के स्थान पर भी जासकते हैं।

🍁 किसी भी प्रकार की रिट्रीट में  जाना पुनः अपने भीतर  से  जुड़ने की दिशा में  रखा गया पहला कदम हो सकता है। कभी कभी अपने आपको परिस्थिति से अलग करने  का विचार आता  है ।  विशेष समय निकालकर  बाहरी तौर पर भौतिक रूप से कुछ परिवर्तन करने का ख्याल आता है। लेकिन वास्तविक रिट्रीट का, क्या जिसमें हम अपने भीतर की गहराईयों तक उतर जायें? जब हम अपने ऊपर काम करते हैं तब हम अपनी भीतर की शान्त जगह पर लौटते हैं जहाँ हम अपने वास्तविक स्व के साथ पुन: जुड़ सकते हैं। यह हमारा आध्यात्मिक स्व है जो हमारे अन्तर में है। 

🍁 *स्वयं के लिए विशेष समय निकालना यह मेडिटेशन के सफर की प्रक्रिया है। मेडिटेशन हमें अपने आन्तरिक स्व के सन्तुलन की शक्ती प्रदान करता है*

         🍁🍁ओम शांति 🍁🍁

♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️


*कोरोना -गुणात्मक वृद्धि 🏵️                                                  

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एक बार मुगल बादशाह अकबर और उनका अति प्रिय बुद्धिमान मंत्री बीरबल दोनों शतरंज खेलने बैठे । दोनों के बीच यह शर्त लगी कि उनमें से जो भी व्यक्ति शतरंज की यह बाजी हारेगा, उसे जीतने वाले की इच्छा के अनुसार जुर्माना चुकाना होगा । इसी क्रम में पहले बीरबल बोला जहांपनाह यदि आप जीत गए और मैं हार गया तो हुकुम फरमाएं कि मैं आपको क्या जुर्माना चुकाऊंगा ? बादशाह ने जवाब दिया बीरबल यदि यह बाजी मैं जीता और तुम हारे तो तुम्हें, जुर्माना स्वरूप मुझे सौ स्वर्ण मुद्राएं सौंपनी होगी । इस पर बीरबल ने हां में गर्दन हिलाई ‌। अब बारी बीरबल की थी, वह बोला जहांपनाह यदि इस बाजी में आप हारे और मैं जीता तो आप मुझे जुर्माने के रूप में शतरंज के 64 खानों में गेहूं के दाने रखकर चुकाएंगे‌ लेकिन इसमें मेरी एक छोटी सी शर्त यह रहेगी कि आपको शतरंज के पहले खाने में गेहूं का एक दाना रखना होगा, दूसरे खाने में पहले के दुगने दो दाने, तीसरे खाने में दो के दुगने चार दाने, चौथे खाने में चार के दुगने आठ दाने, पांचवें खाने में आठ के दुगने सोलह दाने । ऐसे करते हुए शतरंज के सभी चौसठ खानों में गेहूं के दाने रख कर वे सारे गेहूं के दाने जुर्माना स्वरूप मुझे सौंप दें । बस यही मेरी शर्त है । बीरबल की इस छोटी सी मांग को सुनकर बादशाह अकबर ने जोरदार ठहाका लगाया और बोला बीरबल मुझे तुम्हारी यह शर्त मंजूर है । इसके बाद शतरंज का खेल शुरू हुआ । अब संयोग देखिए कि शतरंज की उस बाजी में बीरबल जीत गया और बादशाह अकबर को हार का मुंह देखना पड़ा । अब बारी आई हारने वाले को जीतने वाले का जुर्माना चुकाने की । हारने वाले अकबर बादशाह ने बड़े ही अहंकार के साथ अपने खजांची को हुकुम दिया कि वह बीरबल को शर्त के अनुसार शतरंज के चौसठ खानों में गेहूं के दाने रख कर कुल दाने चुका दें । बीरबल की इस शर्त को पूरी करने के दौरान अकबर बादशाह का खजांची थोड़ी ही देर में पसीने-पसीने हो गया । फिर वह अकबर बादशाह के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और बोला जहांपनाह हम हुकूमत का सारा खजाना खाली कर लें तो भी बीरबल की इस शर्त को पूरी नहीं कर पाएंगे । अकबर याने सुल्तान-ए-हिन्द को खजांची की बात पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब खुद उसने 64 खानों की जोड़ लगाई तो उसका मुंह खुला का खुला रह गया ।

     आप भी शायद मेरी बात से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं । चलिए मैं आपको समझाता हूं । बीरबल की शर्त के अनुसार जहां शतरंज के पहले खाने में गेहूं का केवल एक दाना, दूसरे खाने में दो दाने, तीसरे खाने में चार दाने ऐसे रखे गये थे वहीं शतरंज के सबसे आखिरी अकेले चौसठवें खाने में गेहूं के 9223372036854775808 दाने रखने पड़ रहे थे और एक से लगा कर चौसठ तक के सभी खानों में रखे जाने वाले गेहूं के कुल दानों की संख्या हो रही थी 18446744073709551615. जिनका कुल वजन होता है 1,19,90,00,00,000 मैट्रिक टन जो कि वर्ष 2019 के सम्पूर्ण विश्व के गेहूं के उत्पादन से 1645 गुणा अधिक है ।

     साथियों, वृद्धि दो तरह की होती है । पहली संख्यात्मक वृद्धि और दूसरी होती है गुणात्मक वृद्धि !! यदि शतरंज के चौसठ खानों में क्रमशः 1, 2, 3…..62, 63, 64 कर के प्रत्येक खाने में उसकी संख्या के अनुसार गेहूं के दाने रखे जाते तो सभी 64 खानों में रखे गेहूं के कुल दानों का योग होता मात्र 2080 दाने और यह कहलाती है संख्यात्मक वृद्धि जबकि बीरबल के द्वारा बताई गई गणना कहलाती है गुणात्मक वृद्धि । जहां संख्यात्मक वृद्धि में 64 खानों का योग मात्र 2080 दाने होते हैं वहीं गुणात्मक वृद्धि में तो मात्र 11 खानों का योग ही 2047 दाने हो जाता है ।

     साथियों, ना मैं गणित की टीचर हूं ना ही विज्ञान की लेकिन कोरोनावायरस की तेज वृद्धि और उसके विश्वव्यापी दुष्प्रभाव का आंकलन करने पर  यह पोस्ट बनाने का विचार आया । कोरोना वायरस की वृद्धि को आप संख्यात्मक वृद्धि समझने की भूल कभी मत करना । हकीकत में कोरोना वायरस की वृद्धि एक गुणात्मक वृद्धि है इसलिए *आप सभी से हाथ जोड़कर विनंती है कि कोरोनावायरस को हल्के में ना लें । इस सम्बन्ध में हम जरा गम्भीर हो जाएं और कम से कम 15 दिन तक अपने परिवार के साथ अपने घरों में ही बने रहें । इससे ना केवल आप खुद सुरक्षित रहेंगे अपितु इस महामारी को फैलने से रोकने की आप एक अहम कड़ी भी बनेंगे क्योंकि इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए एक कड़ी को तोड़ना ज्यादा फायदेमंद है, ज्यादा जरूरी है । यही इसे रोकने का एकमात्र उपाय है*


*सदैव प्रसन्न रहिये*

*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*



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