आज का सुविचार
आज का सुविचार(चिन्तन)
गुरुवार, 6 मई 2021
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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..06-05-2021*..🎋
✍🏻संदेह मुसीबत के पहाड़ों का निर्माण करता हैं और विश्वास पहाड़ों में से भी रास्ते का निर्माण करता।
💐 *Brahma Kumaris* 💐
🌷 *σм ѕнαитι*
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💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻✍🏻प्रेरणा वो ऊर्जा है जो हम शब्दों के द्वारा दूसरों तक पहुँचाते हैं परंतु जो इन शब्दों को सत्य मानकर उन्हें अपनी सोच बना लेते हैं, वही प्रेरित होते हैं। इसलिए प्रेरित करने वाली बातों को न सिर्फ सुनें बल्कि उसे अपनी सोच का एक हिस्सा बनाएँ।
🌹 *σм ѕнαитι.*🌹
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*⚜️●● OM SHANTI ●●⚜️*
_★ आज हम देखते हैं की हर एक मनुष्य किसी न किसी बुरी आदत का शिकार है । हरेक में कोई न कोई विकार और बुरा संस्कार है । कोई किसी दूर्व्यसन में फंसा है, कोई किसी वासना में । एक मनुष्य को सिगरेट की ऐसी लत पड़ी है कि वह चाहता तो है कि इस आदत को छोड़ दे परंतु यह उसके लिए संभव नहीं हैं । दूसरा कोई काम विकार का नशा पीये रहता है और उसकी दृष्टि तथा वृत्ति में काम सदा डेरे जमाये रहता है । तीसरे का स्वभाव ऐसा है कि वह छोटी-छोटी बातों पर भी अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है और आवेश तथा क्रोध में आकर अपनी आकृति-प्रकृति को विकृति में ले आता है तथा अन्य लोगों को भी अशांत करता है । चौथा व्यक्ति अर्थ-वित्त के लोभ में ही फंसा हुआ है और सदा अतृप्त एवं असंतुष्ट अनुभव करता है तथा अपने लिए माल बटोरने में ऐसा लगा रहता है कि दूसरों के भले का जरा भी ख्याल नहीं करता । पांचवें को हम देखते हैं कि वह मोह-ममता में ही जकड़ा है । मां अपने पुत्र के, पिता अपने सुत के शारीरिक संबंध में ऐसे तो आसक्त हैं कि वो थोड़ा ही उनकी आंखों से दूर हो तो उनका मन व्याकुल हो उठता है । छठवाँ सदा अहंकार का मद पिए रहता है । जब भी उससे बात करो उसके मुख से अभिमान की दुर्गंध आती है । वह स्वयं को ऐसा समझता है कि उस जैसा अन्य कोई संसार में है ही नहीं । सातवां ऐसा आलसी है कि वह कार्य सेवा का तो परम शत्रु है । सदा ऐसा बैठा रहता है जैसे उसने भांग का बड़ा प्याला पी डाला हो । ओ सुस्ती, तेरा ही आसरा, यही उसके जीवन का मूल सूत्र मालूम होता है । आठवें को हम देखते हैं कि उसके मुंह को बोतल लग गई है । वह शराब और कबाब उड़ाने में ही लगा रहता है ।_
_◆ इस प्रकार सभी नर-नारी, युवा, वृद्ध, बालक-बालिकायें किसी ना किसी संस्कार, विकार, व्यसन या आदत रूपी पिंजरे में कैदी हैं ।_
_★ वास्तव में अपने आदिम स्वरूप में तो हर एक आत्मा पवित्र है और इन दुर्व्यसनों से मुक्त है । परंतु इस संसार में जन्म-मरण के चक्कर में आकर वह देह दृष्टि और मोह ममता के अधीन होते होते-होते इन विकारों और व्यसनों के कुचक्र में फंस जाती है । फिर वह संगदोष, अन्नदोष आदि दोषों के कारण इनकी दलदल में और अधिक धँसती जाती है । एक समय ऐसा आता है कि सभी आत्माएं रूपी स्वतंत्र पंछी इन पिंजरों की लोह दीवारों के कैदी हो जाते हैं और कोई भी मुक्त नहीं रहता जो छुड़ा सके । तभी सभी परमात्मा से प्रार्थना करते हैं हे प्रभु विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।_
_★ वर्तमान समय में विकारों की जंजीरों में सभी जकड़े हुए हैं । अतः किसी ने सच कहा है मनुष्य ने जब जन्म लिया तो स्वतंत्र था परंतु अब वह अपने को कई प्रकार की बेड़ियों में जकड़ा हुआ पाता है ।_
_◆ वर्तमान स्थिति पर यह चरितार्थ होती है । सचमुच एक कलयुग के अंत में मनुष्य की ऐसी हो जाती है कि आखिर परमात्मा को भक्तजनों को भँवर से निकालने और पतितों को पावन करने के लिए आना पड़ता है । ऐसे समय को कलयुग का अंत कहते हैं । अब परमपिता परमात्मा मनुष्य को ऐसा योग सिखा रहे हैं जिससे वह इन सभी जंजीरों या पिंजरो से मुक्त हो सकता है ।_
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*🎊★ ओम शान्ति ★🎊*
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अनमोल वचन:
हम एक आत्मा हैं और शरीर इस संसार को महसूस करने का माध्यम है। इंद्रियों का सुख सदा काल का नहीं रहता,सच्चे सुख का आधार है सही और अच्छी सोच...। इसलिये जब हमारे विचार शुद्ध होने लगते हैं और तब हमें सच्चे सुख और शांति का अनुभव होने लगता है ।
🙏ओम् शांति🙏
💐आपका दिन शुभ हो💐
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*🙏🏻ओम शांति🙏*
*जिंदगी के उतार चढाव के बावजूद भी..*
*जो आपका साथ न छोड़े,*
*वही आपकी सही मायने मे*
*कद्र करता है बाकी*
*तो बस नाम के रिश्ते है...!!* 🙏
*अंधेरा वहां नहीं है, जहां तन गरीब है!*
*अंधेरा वहां है, जहां मन गरीब है..!!*
*ना बुरा होगा, ना बढ़िया होगा!*
*होगा वैसा, जैसा नजरिया होगा..!!*
*हजार महफिलें हों, लाख मेले हों!*
*पर जब तक खुद से न मिलो,*
*अकेले हो..!!* 🙏
*उत्तम से सर्वोत्तम*
*वही हुआ है...*
*जिसने बड़ा दिल*
*रखकर आलोचनाओं*
*को सुना और सहा है।* 🙏
*अहंकार की*
*बस एक ख़राबी है ….!*
*ये कभी आपको*
*महसूस ही*
*नहीं होने देता कि*
*आप ग़लत हैं....!!* 🙏
*🌹🙏ॐ शांति🙏🌹*
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🙏 *ॐ शांति* 🙏
आपकी खुशी व गम एक *भावना* है और हर भावना का उद्गम है *विचार* अर्थात जैसी सोच वैसी *भावना* इसलिये आज से चेक करें आपके कौन से विचार आपको *विचलित* करते हैं, उनको बदलने से मन की स्थिति बदल जाती है और स्थिति बदलने से जीवन *बदल* जाता है।
🌸 सुप्रभात...
💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐
खूबसूरत है वो👄 लब जिन पर दूसरों के लिए कोई🤲🏻 दुआ आ जाए,
खूबसूरत है वो😊 मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए,
खूबसूरत है वो❤️ दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए,
खूबसूरत है वो👬🏻👭🏻👫🏻👨👩👦👦🤝🏻एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो जाए,
खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती👬🏻👭🏻👫🏻🤝🏻 और प्यार👩❤️👨 की किस्से, कहानियाँ,
खूबसूरत है वो👩🏻👦🏻आँखे जिनमे किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए,
खूबसूरत है वो हाथ👬🏻👭🏻👫🏻🤲🏻🤝🏻जो किसी के लिए मुश्किल🤦🏻♀️🤦🏻♂️ के🚶🏻♀️😷🚶🏻♂️ वक्त🕰️ सहारा बन जाए,
खूबसूरत है वो🤱🏻 दामन जो🌍 दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए.
दो गज🚶🏻♀️😷🚶🏻♂️ दूरी बहुत बहुत है स्वस्थ रहे, अपनों👬🏼👭🏻👫🏻के साथ मस्त रहे, अपना👩🏻💫👦🏻 खयाल रखें। Good👆🏻💫🇲🇰🌌🧘🏻♀️🧘🏻♂️ night😊
♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️
*कोरोना -गुणात्मक वृद्धि 🏵️
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एक बार मुगल बादशाह अकबर और उनका अति प्रिय बुद्धिमान मंत्री बीरबल दोनों शतरंज खेलने बैठे । दोनों के बीच यह शर्त लगी कि उनमें से जो भी व्यक्ति शतरंज की यह बाजी हारेगा, उसे जीतने वाले की इच्छा के अनुसार जुर्माना चुकाना होगा । इसी क्रम में पहले बीरबल बोला जहांपनाह यदि आप जीत गए और मैं हार गया तो हुकुम फरमाएं कि मैं आपको क्या जुर्माना चुकाऊंगा ? बादशाह ने जवाब दिया बीरबल यदि यह बाजी मैं जीता और तुम हारे तो तुम्हें, जुर्माना स्वरूप मुझे सौ स्वर्ण मुद्राएं सौंपनी होगी । इस पर बीरबल ने हां में गर्दन हिलाई । अब बारी बीरबल की थी, वह बोला जहांपनाह यदि इस बाजी में आप हारे और मैं जीता तो आप मुझे जुर्माने के रूप में शतरंज के 64 खानों में गेहूं के दाने रखकर चुकाएंगे लेकिन इसमें मेरी एक छोटी सी शर्त यह रहेगी कि आपको शतरंज के पहले खाने में गेहूं का एक दाना रखना होगा, दूसरे खाने में पहले के दुगने दो दाने, तीसरे खाने में दो के दुगने चार दाने, चौथे खाने में चार के दुगने आठ दाने, पांचवें खाने में आठ के दुगने सोलह दाने । ऐसे करते हुए शतरंज के सभी चौसठ खानों में गेहूं के दाने रख कर वे सारे गेहूं के दाने जुर्माना स्वरूप मुझे सौंप दें । बस यही मेरी शर्त है । बीरबल की इस छोटी सी मांग को सुनकर बादशाह अकबर ने जोरदार ठहाका लगाया और बोला बीरबल मुझे तुम्हारी यह शर्त मंजूर है । इसके बाद शतरंज का खेल शुरू हुआ । अब संयोग देखिए कि शतरंज की उस बाजी में बीरबल जीत गया और बादशाह अकबर को हार का मुंह देखना पड़ा । अब बारी आई हारने वाले को जीतने वाले का जुर्माना चुकाने की । हारने वाले अकबर बादशाह ने बड़े ही अहंकार के साथ अपने खजांची को हुकुम दिया कि वह बीरबल को शर्त के अनुसार शतरंज के चौसठ खानों में गेहूं के दाने रख कर कुल दाने चुका दें । बीरबल की इस शर्त को पूरी करने के दौरान अकबर बादशाह का खजांची थोड़ी ही देर में पसीने-पसीने हो गया । फिर वह अकबर बादशाह के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और बोला जहांपनाह हम हुकूमत का सारा खजाना खाली कर लें तो भी बीरबल की इस शर्त को पूरी नहीं कर पाएंगे । अकबर याने सुल्तान-ए-हिन्द को खजांची की बात पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब खुद उसने 64 खानों की जोड़ लगाई तो उसका मुंह खुला का खुला रह गया ।
आप भी शायद मेरी बात से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं । चलिए मैं आपको समझाता हूं । बीरबल की शर्त के अनुसार जहां शतरंज के पहले खाने में गेहूं का केवल एक दाना, दूसरे खाने में दो दाने, तीसरे खाने में चार दाने ऐसे रखे गये थे वहीं शतरंज के सबसे आखिरी अकेले चौसठवें खाने में गेहूं के 9223372036854775808 दाने रखने पड़ रहे थे और एक से लगा कर चौसठ तक के सभी खानों में रखे जाने वाले गेहूं के कुल दानों की संख्या हो रही थी 18446744073709551615. जिनका कुल वजन होता है 1,19,90,00,00,000 मैट्रिक टन जो कि वर्ष 2019 के सम्पूर्ण विश्व के गेहूं के उत्पादन से 1645 गुणा अधिक है ।
साथियों, वृद्धि दो तरह की होती है । पहली संख्यात्मक वृद्धि और दूसरी होती है गुणात्मक वृद्धि !! यदि शतरंज के चौसठ खानों में क्रमशः 1, 2, 3…..62, 63, 64 कर के प्रत्येक खाने में उसकी संख्या के अनुसार गेहूं के दाने रखे जाते तो सभी 64 खानों में रखे गेहूं के कुल दानों का योग होता मात्र 2080 दाने और यह कहलाती है संख्यात्मक वृद्धि जबकि बीरबल के द्वारा बताई गई गणना कहलाती है गुणात्मक वृद्धि । जहां संख्यात्मक वृद्धि में 64 खानों का योग मात्र 2080 दाने होते हैं वहीं गुणात्मक वृद्धि में तो मात्र 11 खानों का योग ही 2047 दाने हो जाता है ।
साथियों, ना मैं गणित की टीचर हूं ना ही विज्ञान की लेकिन कोरोनावायरस की तेज वृद्धि और उसके विश्वव्यापी दुष्प्रभाव का आंकलन करने पर यह पोस्ट बनाने का विचार आया । कोरोना वायरस की वृद्धि को आप संख्यात्मक वृद्धि समझने की भूल कभी मत करना । हकीकत में कोरोना वायरस की वृद्धि एक गुणात्मक वृद्धि है इसलिए *आप सभी से हाथ जोड़कर विनंती है कि कोरोनावायरस को हल्के में ना लें । इस सम्बन्ध में हम जरा गम्भीर हो जाएं और कम से कम 15 दिन तक अपने परिवार के साथ अपने घरों में ही बने रहें । इससे ना केवल आप खुद सुरक्षित रहेंगे अपितु इस महामारी को फैलने से रोकने की आप एक अहम कड़ी भी बनेंगे क्योंकि इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए एक कड़ी को तोड़ना ज्यादा फायदेमंद है, ज्यादा जरूरी है । यही इसे रोकने का एकमात्र उपाय है*
*सदैव प्रसन्न रहिये*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
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