*सजी-धजी बैलगाड़ियों में निकली टीकमचंद की बारात,बाराती से ज्यादा देखने वालों की लगी भीड़* - fastnewsharpal.com
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*सजी-धजी बैलगाड़ियों में निकली टीकमचंद की बारात,बाराती से ज्यादा देखने वालों की लगी भीड़*

 *सजी-धजी बैलगाड़ियों में निकली टीकमचंद की बारात,बाराती से ज्यादा देखने वालों की लगी भीड़*



      *राजिम :-* 

आज के इस आधुनिक युग में शादी के मौके पर हर कोई अपना रुतबा दिखाने के लिए कई तरह की आकर्षक चीजों को लगवाकर शादी में लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करते हैं कहीं पर दूल्हे की बारात महंगी गाड़ी बीएमडब्लूय ले जाते हैं तो कभी खुले आसमान में आलीशान रिसेप्शन के साथ शादी कर अपनी शादी को यादगार बनाते हैं। 







लेकिन हम आज आपको राजिम तहसील में हुई एक ऐसी शादी में लेकर चलते हैं जहां पर दूल्हे की बारात किसी महंगी गाड़ी में नहीं बल्कि पुरानी परंपरा के अनुसार बैलगाड़ी मैं बारात निकाली, बता दें बारात ग्राम पंचायत भेंडरी (कोपरा) की है। इस बारात में लगभग पांच बैलगाडिय़ों और बैलों को सजाया गया है, वहीं दूल्हा बने टीकमचंद साहू इन सुसज्जित बैलगाड़ी से अपनी बारात ग्राम भेंडरी से लेकर अपनी जीवन संगिनी मोहनी के घर ग्राम सहसपुर ले गए, इस बैलगाड़ी से निकली बारात में दूल्हे के रिश्तेदार भी मस्ती में नाच रहे थें, सभी को इस बात की खुशी है कि यह बारात बैलगाड़ी से निकाली जा रही है वही बैलगाड़ी पर निकली बारात को देखने वाले हर कोई आश्चर्यचकित हो गया है कि आज के इस युग में भी कोई अपनी बारात बैलगाड़ी पर निकाल रहा है।


*बारात में शामिल हुए  जनप्रतिनिधिगण*


इस विशेष बारात में बाराती बनने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी रुचि दिखाई क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य एवं भाजपा नेता चंद्रशेखर साहू,पूर्व जनपद उपाध्यक्ष एवं ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रूपेश साहू,जनपद सदस्य दीपक साहू एवं सरपँच मोहन साहू,उपसरपंच आनंद साहू आदि इस बारात में शामिल हुए । सभी जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि जिस तरह से आज के इस चकाचौंध की दुनिया में लोक फिजूलखर्ची कार चकाचौंध भरी बारात लेकर जाते हैं लाखों करोड़ों रुपए खर्च करते हैं इस फिजूलखर्ची से बचने के लिए टीकमचंद साहू की बारात बैलगाड़ी पर निकाली है यह आज के दौर में अच्छा प्रयोग है।बारात निकालने से पुरानी संस्कृति को जीवित रखने की एक पहल की गई है व गौ संरक्षण का संदेश भी देने की कोशिश की है, महंगी गाड़ियों से जो फिजूलखर्ची होती है इन सबसे बचने के लिए एवं पुरानी परंपरा को बचाने के लिए यह अनुकरणीय प्रयास है।

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