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बेमौसम बारिस ने तोड़ी किसानो की कमर,क्या सुध लेगी सरकार

 बेमौसम बारिस ने तोड़ी किसानो की कमर,क्या सुध लेगी सरकार



 सुरेन्द्र जैन/ धरसीवां

 क्षेत्र के गांवों में दो दिन पूर्व हुई बारिश ने किसानो की कमर तोड़ दी है

 दो दिन पूर्व देर रात से अचानक क्षेत्र में तेज बारिश हुई दूसरे दिन सुंबह से दोपहर  व शाम तक बारिस हुई। पखवाड़े भर के भीतर बारिस के पानी मे दूसरी बार धान की फसल पानी में डूब गई। अचानक हुए बेमौसम बारिश से धान की फसलें नष्ट होने की कगार पर पहुंच चुकी है। फिर भी मुआवजा तो दूर फसलों की सुध लेने वाला भी कोई नहीं है। ऐसे में किसानों का चिंतित होना लाजिमी है। बेमौसम बारिश और ऊपर से धान खरीदी में लेट होने से किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। खेतों और खलिहानों में पानी ही पानी नजर आ रहा है। धान की खड़ी फसलें बारिश से जमीन पर लेट गई है। बालियां भी गिर रही है। कटी फसलों के ऊपर पानी भर चुका है। खलिहानों में रखे धान भी भींग रही है। फसलों में कीट-प्रकोप की भी आशंका है। खेत की मिट्टी गीली हो चुकी है। जिससे आगामी कुछ दिनों तक मशीनें खेतों में नहीं जा सकते। ऐसे में तेजी से चल रहे लुवाई-मिजाईं की कार्यों में कुछ दिनों के लिए विराम लगने की भी संभावना है। किसानों की मानें तो कुछ फसलें अभी भी हरें है जिनकी कटाई में अभी विलंब है लिहाजा इन फसलों को बारिश से ज्यादा नुकसान होगी। मौसम में एकाएक बदलाव और ठंडी हवाओं के साथ हो रही मूसलाधार बारिश से फसलें खराब हो रही है। किसानों ने कहा कि छोटे वर्ग के किसानों के पास बारिश से धान को बचाने पर्याप्त साधन नहीं है इसलिए खलिहानों में सूखाने के लिए रखे धान भींग कर खराब हो रही है बाद में इसे बेचने के समय भी उन्हें दिक्कतें होगी। खेतों में पानी भरने से उनके सूखनें तक का इंतजार करना होगा तभी उनकी कटाई हो पाएगी।


प्रशासन से मुआवजे की मांग


अंचल के किसान खराब हुए फसलों की मुआवजा देने की मांग शासन-प्रशासन से की है। किसानों का कहना है कि पानी में डूबे फसलों का अतिशीघ्र मुआयना कर प्रभावित किसानों को तत्काल मुआवजा दिया जाए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। किसानों ने यह भी कहा कि हफ्ते भर पहले हुई बारिश से भी उनकी फसलें चौपट हो गई है लेकिन उनकी सुध लेने अभी तक कोई जिम्मेदार अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में आए नहीं है। जिम्मेदार विभागों के लापरवाही और उदासीनता के कारण भी किसान मुआवजे से वंचित हो जा रहे है।

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