अफवाह के बीच "कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे वन माँहि" वाली कहावत हुई चरितार्थ
अफवाह के बीच "कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे वन माँहि" वाली कहावत हुई चरितार्थ
सुरेन्द्र जैन / धरसीवा
अफवाहों का न कोई सिर होता है न पैर अफवाहों में आने वाले अपनी विवेकहीनता से कई बार अपना भारी नुकसान भी कर बैठते हैं बाबजूद इसके लोग स्वविवेक से काम नहीं लेते हो किसी की भी बातों में आ जाते हैं बच्चा चोरी की अफवाह के बीच सांकरा निको में गुरुवार को "कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे वन माहीं"वाली कहावत चरितार्थ हुई।
हुआ यूं कि सांकरा में किराए के रूम में रहने वाले कमल गेंदे का 12 वर्षीय पुत्र मनीष गेंदे गुरुवार दोपहर घर से टहलने निकला कुछ देर बाद वह वापस आकर अपने कमरे में सो गया घर के बाहर ही मौजूद परिजनों ने उसे टहलने जाते तो देखा लेक़ीन वापस आते नहीं देखा अचानक मातापिता के मन मे ख्याल आया कि उनका बेटा घण्टा डेढ़ घण्टा पहले टहलने निकला लेकिन अब तक आया नहीं ओर वह घर के अंदर तो देखने नहीं आये सीधे वाहर से ही इधर उधर देखने व लोगों से पूछने लगे किसी ने बोल दिया कि बच्चा चोर ले गए कोई दो नकाबपोश थे फिर क्या था घबराए माता पिता पुलिस चौकी सिलतरा पहुच गए मां को रोता बिलखता देख पुलिस तत्काल हरकत में आई चौकी प्रभारी प्रियेश जॉन अपने स्टाफ के अनिल प्रधान व अन्य के साथ खोजबीन में जुट गए सांकरा सिलतरा व आसपास पुलिस की टीम खोजने में लग गई खोजते हुए पुलिस टीम पुनः प्रार्थी के घर पहुची ओर कहा घर के अंदर देखे की नहीं तब अन्दर देखे तो बच्चा सो रहा था यानी "कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे वन मांही"वाली कहावत चरितार्थ हो गई लेकिन इससे पुलिस ही नहीं ग्रामीण भी इतने समय तक चिंता में डूब गए लगा कि जैंसे वास्तव में बच्चा चोर गिरोह गांव में आ गया है प्रधान आरक्षक अनिल प्रधान बताते हैं कि परिजनो को किसी ने बोल दिया था कि दो नकाबपोश उसके बच्चे को ले गए हैं अब हड़बड़ाहट में बच्चा खोजने में लगे मातापिता को यह भी ध्यान नहीं कि किसने उनसे ऐंसा कहा था यदि उस कहने वाले का पता चल जाये तो ऐंसी अफवाहों पर विराम लग सकता है।