छत्तिसगढ़ी राजभाषा दिवस पर त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम की विशेष विचार संगोष्ठी सम्पन्न--
छत्तिसगढ़ी राजभाषा दिवस पर त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम की विशेष विचार संगोष्ठी सम्पन्न--
राजिम-
राजभाषा दिवस के अवसर पर अञ्चल के सक्रिय साहित्यिक संस्था त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम नवापारा के द्वारा राजभाषा दिवस मनाया गया इस अवसर पर समिति के द्वारा एक विचार संगोष्ठि का आयोजन स्थानीय यादव धर्मशाला में किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति अध्यक्ष मकसुदन साहू बरिवाला ने किया, कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ शारदे के सामने दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया, कवि भारत लाल साहू ने सुमधुर सरस्वती वन्दना प्रस्तुति देकर कार्यक्रम का आगाज किया|इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के आसंदी से बोलते हुए शिक्षक एवम साहित्यकार किशोर निर्मलकर् ने छत्तिसगढ़ी भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुये सभी लोगों को महतारी बोली में दिनचर्या अपनाने पर जोर दिया, कवि श्रवण कुमार साहू, "प्रखर" ने छत्तिसगढ़ी भाषा के वर्तमान स्थिति पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि आज बड़े बड़े राजनीतिज्ञ केवल वोट मांगने के लिए इसका उपयोग करते हैं लेकिन जितने के बाद वही लोग इनकी उपेक्षा कर देते है|कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बरिवाला ने साहित्यकारों से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग अधिक से अधिक को छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रयोग अपनी लेखनी में करते हुए लोगों को जागरूक करें, इस अवसर पर तुषार शर्मा "नादान",रोहित माधुर्य, मोहन लाल मानिकपन, भावुक, रामेश्वर रंगीला, केवरा यदु,कोमल सिंह साहू,युगल किशोर साहू एवम छग्गु यास अडिल ने छत्तीसगढ़ी भाषा को रेखांकित करने वाले एक से बढ़कर एक गीत, गजल एवम गीतों के माध्यम से कार्यक्रम को ऊँचाई प्रदान किया|कार्यक्रम संचालन रामेश्वर रंगीला ने किया,आभार छग्गु यास अडिल ने व्यक्त किया|