प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, ओम शांति कॉटेज, हेमूनगर, बिलासपुर द्वारा नगर में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह और 'शिक्षा में आध्यात्मिकता का महत्व' पर कार्यक्रम
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, ओम शांति कॉटेज, हेमूनगर, बिलासपुर द्वारा नगर में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह और 'शिक्षा में आध्यात्मिकता का महत्व' पर कार्यक्रम
ब्रह्माकुमारीज़ बिलासपुर
एक शिक्षक वह कुम्हार है, जो नन्हीं-नन्हीं प्रतिभाओं को आकार देकर समाज का निर्माण करता है। इसलिए, आइए इस योगदान का उत्सव मनाएं।" उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ हेमूनगर सेवाकेंद्र की उप-संचालिका ब्रह्माकुमारी . उमा बहन ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, ओम शांति कॉटेज, हेमूनगर, बिलासपुर के तत्वावधान में होटल रेड डायमंड में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह और 'शिक्षा में आध्यात्मिकता का महत्व' कार्यक्रम में कही। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कैरियर पॉइंट, बिलासपुर के प्रिंसिपल फरहान अहमद जी, विशिष्ट अतिथि हॉलीक्रॉस स्कूल, बिलासपुर की प्रिंसिपल सिस्टर क्लैरिटा डिमेलो जी, राजयोगिनी छाया दीदी जी संचालिका, ब्रह्माकुमारीज़ उसलापुर सेवाकेंद्, नारायण उभरानी जी, मनीष उभरानी जी,रेलवे इंग्लिश मीडियम 1 एवम 2, परिजात स्कूल, फ्रेगरेंस स्कूल एवम भारत माता स्कूल के प्राचार्य एवम ब्रह्मकुमारिस हेमुनगर सेवाकेंद्र के आस-पास 36 स्कूलों 90 शिक्षक उपस्थित थे जिन्हे मां सरस्वती के संज्ञा से नवाजा गया।
फरहान अहमद जी ने मन की शक्ति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मन को व्यवस्थित करने की प्रेरणा दी। सिस्टर क्लैरिटा डिमेलो जी ने शिक्षकों के महत्व को बताते हुए कहा कि विद्यार्थी जब इंजीनियर, डॉक्टर बनते हैं, तो इसमें शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक समाज के विकास में आर्किटेक्ट का कार्य करता है। छाया दीदी जी ने मन की शक्तियों के बारे में बताया और कहा कि मानव जिस चीज़ को आँखों के माध्यम से देखता है, उसका उसके जीवन पर तीव्र गति से प्रभाव पड़ता है।
कार्यक्रम में बच्चों द्वारा सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसका सभी ने भरपूर आनंद लिया। संस्था के छात्रों द्वारा 'वर्तमान समय में शिक्षकों की स्थिति' विषय पर सुंदर नाटक प्रस्तुत किया गया। उमा दीदी जी ने कहा, "जैसे आपके बच्चे खुद को आप शिक्षकों के सामने समर्पित कर देते हैं, और परिणाम आप जानते हैं, वैसे ही हमें भी उस परम शिक्षक, परमपिता परमात्मा शिव के सामने समर्पित करना होता है। तब हमारी जिम्मेदारी भी उनकी हो जाती है, और जब हमारी जिम्मेदारी उस परवरदिगार के पास हो, तो निसंदेह जीवन अच्छा होता है। हम भी उसी शिक्षक के छात्र हैं, इसलिए हमारा जीवन भी अच्छा होने लगता है जब हम उस प्यारे सर्वोच्च शिक्षक को याद करते हैं और अपने जीवन में परिवर्तन का अनुभव करते हैं।"
तत्पश्चात, सभी को 3 मिनट का राजयोग ध्यान कराया गया और शिक्षा से संबंधित रचनात्मक गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनका सभी ने भरपूर आनंद लिया। सभी अतिथियों को श्रीफल, ब्रह्माकुमारीज़ की ओर से सर्टिफिकेट और मिठाई देकर सम्मानित किया गया और राजयोग अभ्यास के लिए सेवाकेंद्र आने का निमंत्रण दिया गया।