संत कबीर का संदेश आज भी प्रासंगिक,,, दीवान
संत कबीर का संदेश आज भी प्रासंगिक,,, दीवान
आरंग,
, सदगुरू की कृपा बिना परमात्मा का दर्शन व ज्ञान की प्राप्ति बहुत कठिन है साथ ही संत कबीर ने पाखंडी व लोभी गुरुओं से सावधान रहने की शिक्षा दी है उन्होंने कहा कि यदि गुरु लोभी तथा शिष्य लालची हो तो दोनों को नरक की प्राप्ति होती है उक्त प्रेरक विचार भगवताचार्य पं छत्रधर दीवान के हैं वे संत कबीर की जयंती पर स्थानीय स्तर पर बोल रहे थे उन्होंने कहा कि संत कबीर के प्राकट्य को लेकर विद्वानों में काफी मतभेद है पर उनके प्रधान शिष्य धरमदास ने साहेब का जन्म संवत 1455 को माना है कुछ विद्वानों ने उनका जन्म संवत 1456 ज्येष्ठ पूर्णिमा को माना है वे गृहस्थ होकर भी आजीवन अपने उपदेशों के द्वारा लोक मंगल के कार्य में लगे रहे और यह साबित कर दिया कि गृहस्थ ईश्वर प्राप्ति में बाधक नहीं हैं उन्होंने निर्गुण निराकर ब्रह्म की उपासना पर जोर देते हुए कहा कि यदि मन में आस्था श्रद्धा नहीं है तो सिर्फ पत्थर की पूजा करने से भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती संत कबीर ने कहा कि वेद शास्त्र व पुराणों को पढ़ने मात्र से कोई ज्ञानी नहीं होता जो प्रेम की परिभाषा को जान ले वही सच्चा ज्ञानी है द्वैत भाव मिटे बिना न तो सच्चा सुख मिलेगा और न ही अलौकिक आनंद की प्राप्ति होगी उन्होंने कहा कि मनुष्य के मोह व अहंकार का कोई अंत नहीं है इन्हीं आशा व तृष्णा की पूर्ति नहीं होने के कारण मानव समाज दुखी है छः सौ वर्षों के बाद भी संत कबीर के उपदेशों को जीवन में आत्मसात कर उनके बताए मार्ग पर चलकर आत्मकल्याण संभव है