उद्योगों के चंगुल में सिसक रही जीवनदायिनी खारु,आजादी के लिए क्रांति सेना कर रही पदयात्रा
उद्योगों के चंगुल में सिसक रही जीवनदायिनी खारु,आजादी के लिए क्रांति सेना कर रही पदयात्रा
सुरेंद्र जैन/ धरसीवां
छत्तीसगढ़ की राजधानी सहित आसपास के सैंकड़ो गांवों के लिए खारुन जीवनदायिनी है लेकिन जन जन जीवनदान देने वाली खारुन उद्योगों के चंगुल में फंसकर सिसक सिसक कर दम तोड़ रही है पहली बार किसी संगठन ने खारुन की आजादी के लिए जमीनी संघर्ष शुरू किया तो समर्थन में ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा
दो ढाई दशक पहले तक जीवनदायिनी खारुन का पानी इतना साफ स्वच्छ था कि नदी में पानी के ऊपर से नीचे की सतह तक साफ दिखाई देती थी न कही जलकुंभी दिखती थी न पानी में कोई गंदगी थी साफ स्वच्छ जल को ग्रामीण पीने में भी उपयोग करते थे किसान सिंचाई करते थे
*उद्योगों के चंगुल में फंसी तो अस्तित्व पड़ा खतरे में*
राजधानी रायपुर के आसपास धरसीवां मुरेठी परसतराई उरला के आसपास के गांवों से होते हुए खारुन सोमनाथ में जाकर शिवनाथ नदी से मिली हैं संगम तट पर सोमनाथ मंदिर है जहां हजारों की संख्या में ग्रामीण तीज तिहार पर पहुंचते है श्रवण मास में यहां का विशेष महत्व है
लेकिन महादेव घांट के आगे से लेकर सोमनाथ के बीच तक खारुन औद्योगिक इकाइयों के चंगुल में फंसकर दम तोड़ने लगी है
मुरेठी गांव में खारुन पर स्टॉपडेम बना है स्टॉप डेम इसलिए बना ताकि पानी वहां अधिक मात्रा में रुका रहे ओर उसे औद्योगिक इकाइयां अपने उपयोग के लिए उद्योगों में ले जा सकें
*मंदिर हसौद के उद्योग तक जा रहा खारुन का पानी*
जीवन दायिनी खारुन का पानी मुरेठी तट से पंप हाउस के माध्यम से करीब पचास किलो मीटर दूर मंदिर हसौद की एक बड़ी औद्योगिक इकाई में भी जाता है साथ ही सिलतरा की कुछ बड़ी औद्योगिक इकाइयों में एवं इस्पात भूमि लिमिटेड के तालाब तक आने के बाद उद्योगों में पानी की सप्लाई होती है
खारुन का पानी जब से औद्योगिक इकाइयों में जाना शुरू हुआ तभी से खारुन मैली होने लगी क्योंकि रायपुर से शुरू हुआ छोकरा नाला भी औद्योगिक इकाइयों के आसपास से होते हुए मुरेठी में जाकर खारुन में मिलता है उसी छोकरा नाले में औद्योगिक इकाइयां अपना केमिकल युक्त पानी छोड़ती हैं इसके अलावा उरला बोरझरा में भी एक बड़ी औद्योगिक इकाई का केमिकल युक्त पानी खारुन में पहुंचने से खारुन सिसक रही है अपना अस्तित्व खोती जा रही है एक ओर जहां खारुन का जल केमिकल युक्त होने से दुर्गंध दे रहा है तो वहीं उसके ऊपर अत्यधिक जल कुंभी होने से खारुन हरी घांस के मैदान की तरह दिखाई देती है उद्योगों के चंगुल में फंसने के बाद से खारुन का इतनी अधिक प्रदूषित हो चुकी है कि इसका पानी न तो ग्रामीण निस्तारी के लिए उपयोग कर सकते न पी सकते न खेतों में फसलों में उपयोग कर सकते क्योंकि केमिकल युक्त होने से यह सभी के लिए हानिकारक हो होगा बाबजूद इसके ग्रामीण निस्तारी में उपयोग करते हैं और बीमारियों में जकड़ते रहते हैं
*क्रांति सेना ने शुरू की आजादी पदयात्रा*
जीवनदायिनी खारुन को उद्योगों के चंगुल से मुक्त कराने क्रांति सेना ने पदयात्रा शुरू की है यह पदयात्रा धरसीवां के विभिन्न गांवों से होते हुए राजधानी रायपुर के करीब पहुंच चुकी है 5जून को महादेव घांट में खारुन दाई की आजादी की यह पदयात्रा विशाल जनसभा में तब्दील होगी
*खारुन का मां की तरह ध्यान रखते तो न होता कभी विरोध*
जिस तरह एक मां बच्चे को जन्म देने के बाद उसका लालन पालन करती है ठीक उसी तरह जीवनदायिनी खारुन ने भी अपने सभी बच्चों का लालन पालन में पूरा पूरा ध्यान रखा लेकिन जिस तरह बच्चे मां को मान सम्मान देते हैं उनका सेहत का पूरा ध्यान रखते हैं बीमार होने पर बच्चे उनका तत्काल अच्छे से अच्छा इलाज कराते हैं उस तरह खारुन दाई का ध्यान नहीं रखा गया समय समय पर साफ सफाई कराना तो दूर उसे बीमार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी केमिकल युक्त गंदा पानी नालों का पानी खारुन दाई में छोड़ने से खारुन दाई सिसक रही है यदि उद्योगों ने खारुन दाई के आशीर्वाद से करोड़ो कमाने के बाद उसमें से समुचित रख रखाव में लाखों भी खर्च किए होते तो आज खारुन की यह दुर्दशा न होती न ही ग्रामीणों ओर क्रांति सेना को आंदोलन करने की जरूरत पड़ती।