चारों धाम की तीर्थयात्रा करना, एक अलौकिक आध्यात्मिक अनुभव --- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री
चारों धाम की तीर्थयात्रा करना, एक अलौकिक आध्यात्मिक अनुभव --- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री
नवापारा--राजिम
उत्तराखंड में अवस्थित चारों धाम , यमनोत्री, गंगोत्री, श्री केदारनाथ और श्री बद्री विशाल की यात्रा एक दुर्गम और जोखिमों से भरी हुई यात्रा है, माइनस डिग्री तापमान से जूझना, ऑक्सीजन की कमी होना और असमय की बरसात व दुर्घटनाएं घट जाना एक आम बात है, चारों धाम की तीर्थयात्रा करके सकुशल लौटे ब्रह्मदत्त शास्त्री ने अपने मनोभाव श्री संकटमोचन सुंदरकांड जनकल्याण समिति के द्वारा आयोजित अपने आत्मीय स्वागत अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए, इस कार्यक्रम में समिति एवं नगर के गणमान्य लोग भी उपस्थित थे,
विप्रकुल के आचार्य डाक्टर रमाकांत शर्मा व आर बी शर्मा सर ने सभी का सबसे पहले तिलक वंदन किया और चारों धाम की महिमा के विषय में बताया, तत्पश्चात समिति के ललित पांडे, संजय शर्मा व अशोक अग्रवाल, देवरी वाले, हेमराज पारख, भागचंद बंगानी मोहन गोविंद अग्रवाल, अशोक गंगवाल, डॉक्टर राजेंद्र गाड़िया ओमप्रकाश सारडा, अमित माखीजा ने भी सभी को भेंट उपहार देकर सम्मानित किया, इस से अभिभूत ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कहा कि पूरे नगर वासियों का हृदय से आभारी हूं, उन्होंने कहा कि प्रत्येक सनातन धर्मी की यह हार्दिक इच्छा होती है, कि वह अपने जीवन में एक बार चारों धाम की तीर्थयात्रा अवश्य करे, प्रभु की असीम कृपा से अपने परिवार के बेटे, बेटी, बहु, जंवाई, पोते पोती, दो य ता, दो य ती के साथ जन्मोत्री,गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम के दर्शन हो गए, अत्यन्त दुर्गम, जोखिमों से भरी हुई और रोमांचक यात्रा में कदम कदम पर खतरा और दुर्घटना का अंदेशा था, हमारे साथ 4 छोटे बच्चे, जिसमें 2 तो 4 साल के थे, एक 6 साल और एक 10 साल उनको लेकर चलना बहुत ही परेशानियों भरा अनुभव रहा, हम सभी सतत प्रभु स्मरण करते चलते थे और हमें प्रभु कृपा की सहज साक्षात् अनुभूति भी होती रही और 13 दिनों की यह यात्रा निर्विघ्न सानंद सम्पन्न हुई, सभी उपस्थित जनों को अनमोल ब्रह्मदत्त शर्मा ने प्रसाद वितरित किया, आभार श्रीमती प्रतिभा संजय शर्मा ने व्यक्त किया