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गरियाबंद में उल्लास और श्रद्धा से मनाया गया भाई दूज पर्व

 गरियाबंद में उल्लास और श्रद्धा से मनाया गया भाई दूज पर्व



पुराना मंगल बाजार में बहनों ने भाइयों की दीर्घायु की कामना की,परंपरा, प्रेम और आस्था से सराबोर रहा भाई-बहन के स्नेह का त्योहार


गरियाबंद

 भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक पर्व भाई दूज (यम द्वितीया) गुरुवार को नगर सहित ग्रामीण अंचलों में हर्ष, भक्ति और परंपरा के रंगों में डूबकर मनाया गया। गरियाबंद के पुराना मंगल बाजार इलाके में सुबह से ही घरों में पर्व का उल्लास दिखाई दिया। बहनों ने स्नान कर उपवास रखा और भगवान श्री गणेश तथा यमदेव की पूजा-अर्चना कर भाइयों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखद जीवन की कामना की। तिलक, आरती और मिठाई के साथ यह दिन भावनाओं और अपनत्व से सराबोर रहा।


बहनों ने अपने भाइयों को तिलक लगाते हुए पारंपरिक गीत गाए—“भैया मोर दीर्घायु रहिबे, सुख समृद्धि आशीष पाबे।” भाइयों ने भी बहनों को उपहार भेंट कर उनके स्नेह का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर पुराना मंगल बाजार, मैनपुर रोड, चांदी चौक और बस स्टैंड क्षेत्र में भी भाई दूज की रौनक देखने को मिली। हर घर में पूजा की थाली, दीया-बाती और रंगोली से सजा वातावरण प्रेम और संस्कार की मिसाल बना रहा।


ग्रामीण क्षेत्रों में भी पारंपरिक रंग में डूबा भाई दूज पर्व विशेष रहा। गांव-गांव में महिलाओं ने समूह बनाकर गाय के गोबर से यमदेव की आकृति बनाई और विधिपूर्वक पूजा की। यमदेव की कथा सुनाते हुए उन्होंने भाइयों की दीर्घायु की कामना की। इस दौरान मंगलगान और लोकगीतों की मधुर स्वर लहरियों से पूरा वातावरण भक्तिभाव से भर उठा।


बुजुर्ग महिला धर्मीन बाई सिन्हा ने कहा — “भाई दूज अपन मया, संस्कार अउ आस्था के त्योहार हे। ए दिन बहिनी मन अपन भाई बर जो पूजा करथें, वो सिर्फ़ रिवाज नई ये, अपन संस्कृति के पहचान हे।” उन्होंने बताया कि पहले जमाने में बहनें मिट्टी के दीपक में रुई की बत्ती जलाकर भाइयों की आरती करती थीं और घर के आँगन में यमदेव की आकृति बनाकर पूजा करती थीं, ताकि घर में सुख-शांति बनी रहे।


वहीं लक्ष्मी सिन्हा ने भावनात्मक लहजे में कहा — “हम हर साल भाई दूज मनाथन, फेर हर बार अपन भाई ला देखके मन में नवा अपनत्व जाग जाथे। ए बंधन जीवन भर के सुरक्षा जइसन हे।” उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को भी इस पर्व का भाव समझना चाहिए, क्योंकि इसमें प्रेम, जिम्मेदारी और परिवार की एकता का सुंदर संदेश छिपा है।


धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पर्व यमराज और उनकी बहन यमुना के स्नेह से जुड़ा है। कहा जाता है कि यमराज अपनी बहन यमुना के घर इसी दिन मिलने गए थे। यमुना ने प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया और भाइयों की दीर्घायु के लिए व्रत रखा। इस प्रसन्नता से प्रभावित होकर यमराज ने वरदान दिया कि इस दिन जो भाई-बहन व्रत और पूजन करेंगे, उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से यह पर्व भाई दूज के रूप में मनाया जा रहा है।


नगर में दिनभर भाई दूज की रौनक बनी रही। दुकानों में मिठाइयों की खुशबू, पूजा सामग्री की रौनक और घरों में सजावट से पूरा वातावरण उत्सवमय नजर आया। बच्चों ने भी भाइयों-बहनों की रस्मों में उत्साह से भाग लिया।

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