गरियाबंद में भव्य गोवर्धन पूजा का आयोजन,
गरियाबंद में भव्य गोवर्धन पूजा का आयोजन,
सैकड़ों श्रद्धालुओं ने की गौधन की आराधना,गाय के गोबर से बनी आकृतियों पर चढ़े 56 भोग, पारंपरिक वेशभूषा में ग्वालों ने किया नृत्य
गरियाबंद
दीपावली के अगले दिन गांधी मैदान गरियाबंद में गोवर्धन पूजा उत्सव समिति के तत्वावधान में भव्य आयोजन हुआ, जिसमें यादव समाज के सैकड़ों लोगों ने मिलकर परंपरा और आस्था का शानदार संगम प्रस्तुत किया।
यादव समाज अपनी परंपरा को निभाते हुए गाय के गोबर से गोधन-गोधनी के साथ सूर्य, चंद्रमा, गौ माता और चौकीदार की आकृतियां बनाई गईं। उन्हें तिलक लगाकर 56 भोग का अर्पण किया गया।
पार्षद एवं समाजसेवी छगन यादव ने बताया कि “गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीला का स्मरण कराती है। उन्होंने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर देवर्षि इंद्र के घमंड को तोड़ा था। इसी दिन से ब्रजवासी हर वर्ष गोवर्धन पूजा करते हैं। यह पर्व प्रकृति और पशुधन के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।”
प्रह्लाद यादव उर्फ गुंचू ने कहा कि “यह पर्व हमारे सांस्कृतिक जीवन की आत्मा है। महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर समूह में पूजा-अर्चना करती हैं, गोवर्धन की परिक्रमा करती हैं और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं।”
गांधी मैदान में मंगल गीतों की गूंज के साथ गोवर्धन की परिक्रमा की गई। श्रद्धालु महिलाओं ने दीपक जलाकर आरती उतारी। पारंपरिक प्रथा के अनुसार गोधन को कूटने और उसे छलांग लगाकर पार करने की परंपरा का भी पालन हुआ। पूरे मैदान में उत्सव जैसा माहौल बना रहा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अभिमान तोड़ने के लिए ब्रजवासियों से गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा था। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने भीषण वर्षा की, तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सात दिनों तक ब्रजवासियों को शरण दी थी। सातवें दिन उन्होंने पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव मनाने का संकल्प लिया।
इस वर्ष दीपावली दो दिवस पड़ने के कारण गोवर्धन पूजा बुधवार को की गई। गांधी मैदान में भव्य आयोजन के साथ साथ नगर एंव ग्रामीण क्षेत्र के घर-घर और मंदिरों में गौधन की पूजा कर लोगों ने समृद्धि की कामना की। अन्नकूट पर्व के माध्यम से लोगों ने प्रकृति, पशुधन और अन्नदाता के प्रति आभार व्यक्त किया।
गोवर्धन पूजा उत्सव समिति में बीरू यादव, टिकेश्वर यादव, छगन यादव, प्रह्लाद यादव, अयोध्या यादव, लच्छीराम यदु, सुदामा यादव, प्रदीप यादव, रमेश यादव, हरिअर्जुन यादव, बेनु यादव, बिहारी यादव, अमृत यादव, संतोष यादव, हरिशचंद धूरू, हरिश नायक, वरुण प्रह्लाद यादव, प्रेम यादव, उत्तम यादव, घनश्याम यादव, मुकेश यादव, श्रवण यादव, शुभम यादव, करण यादव, दीपक यादव, निकी यादव, शिवम यादव, देवेन्द्र यादव, नरेंद्र यादव, खेमराज यादव, दिना यादव, सुदर्शन यादव, शोयम यादव, सूरज यादव, तरुण यादव, नवीन यादव, ललित यादव, पुंटी यादव, जयप्रकाश, सोहन यादव, कान्हा यादव, मोलू यादव, बसंत यादव, दीपेश यादव, देवनाथ यादव, मधु यादव, अजय यादव, सुनील यादव, कमलेश यादव, उत्तपल यादव, पुरुषोत्तम यादव, छोटू यादव, टंकू यादव, बालमुकुंद यादव, शतियाम यादव, लक्की यादव, केदार यादव समेत समस्त यादव बंधु उपस्थित रहे।




