कोरोना पर भारी गरीब मजदूर की आस्था - fastnewsharpal.com
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कोरोना पर भारी गरीब मजदूर की आस्था

 कोरोना पर भारी गरीब मजदूर की आस्था




   सुरेन्द्र जैन धरसीवां

    दुनिया मे भारत ही एकमात्र ऐंसा देश है जहां ईश्वरीय शक्ति के प्रति अटूट आस्था है तभी तो चाहे अपनी ही सरकारों की कुनीतियों की बात हो या फिर  सारे विश्व को झकझोरने वाली कोरोना महामारी की बात हो गरीबो की आस्था को कभी डगमगा नही पाई और सैंकड़ों किलो मीटर भी पैदल क्यों न  चलना पड़ा हो लेकिन गरीब मजदूरों ने अंततः अपनी मंजिल को प्राप्त कर ही लिया है तो फिर नवरात्रि में कैसे कोरोना भक्तों की भक्ति को रोक पाता।

   जी हां नही रोक पाया कोरोना भी गरीब मजदूर की अटूट आस्था को ओर चल पड़ा मजदूर सरें भरते हुए जगत जननी मां जगदंबा के दर्शन करने।

     मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहवासी श्रमिक जगन्नाथ सिलतरा ओधोगिक क्षेत्र सिलतरा के फैस टू स्थित वासवानी इंडस्ट्रीज नामक फेक्ट्री में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार की रोजी रोटी चलाते हैं सांकरा से फेक्ट्री की दूरी करीब तीन किलो मीटर है माँ दुर्गा के प्रति उनमे अटूट आस्था है नवरात्रि में सरें यानी परिप्रक्रमा करते हुए उन्होंने सांकरा पहुचकर मां दुर्गा के दर्शनों की मन मे ठान ली और सुबह 7 बजे ही सरें भरते हुए श्रीफल हाथ मे लेकर निकल पड़े उनकी आस्था को देख उनका मित्र राजेश कुमार उनके साथ पैदल चलने लगा वासवानी से  घनकुल के सामने से महेंद्रा चौक,नाकोड़ा चौक,सोंडरा चौक बजरंग चौक होते हुए जगन्नाथ अपना पूरा शरीर धरती से स्पर्श कराते हुए सरें भरते हुए अटल चौक स्थित सर्व दुर्गोत्सव समिति द्वारा स्थापित मां दुर्गा के दर्शनार्थ पहुचा ओर शक्ति की भक्ति कर अपने आपको कृतार्थ किया 

   जगन्नाथ ने बताया कि उसकी कोई मनोकामना नही बल्कि मां के दर्शनों की लालशा है इसलिए सरें भरते हुए दर्शनों को निकला था मां के दर्शन पूजन करूँ यही बहुत है । 

    *आस्था हमेशा भारी रही है*

 भारतवर्ष में गरीबो मजदूरो की ईश्वर के प्रति सच्ची आस्था हमेशा सब पर भारी ही रही है कोरोना कॉल में यह देखा भी गया है कि सरकारों की कुनीतियाँ भी गरीब मजदूरों के कदम नही रोक पाई केंद्र सरकार ने जब अचानक से लॉक डाउन की घोषणा की ओर यातायात के सभी साधन बन्द किये तब इन गरीब मजदूरो के बारे में शायद सरकार ने बिल्कुल निहि सोचा था कि उनका क्या होगा लेकिन इन गरीब मजदूरों ने भोजन पानी की चिंता किये बिना ही तपती धूप में अपनी मंजिल तक  पैदल ही पहुचने ईश्वर के ऊपर सब छोड़कर चलना शुरू कर दिया था यह ईश्वर के प्रति ही उनकी अटूट आस्था थी कि वह सबकुछ ऊपर वाले पर छोड़कर चलना शुरू किए और उन्हें ईश्वर ने भूखा भी नही रहने दिया कहीं न कहीं अपने भक्तों को गरीब मजदूरों की सेवा में भेजते रहे और अंततः गरीब मजदूरों ने सैंकड़ो किलो मीटर पैदल चलकर भी  अपनी मंजिल को प्राप्त किया ओर यह दुनियाभर में सिर्फ भारत मे हुआ जहां एक तरफ कोरोना दूसरी तरफ सरकार की कुनीतियाँ तब भी गरीब मजदूरों की आस्था बरकरार रही और उन्होंने मंजिल प्राप्त की।

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