माखन चोरी की लीला का प्रारंभ किया, यूं तो यशोदा मैया उन्हें भर भरकर माखन खिलाया--सन्त राम बालक दास - fastnewsharpal.com
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माखन चोरी की लीला का प्रारंभ किया, यूं तो यशोदा मैया उन्हें भर भरकर माखन खिलाया--सन्त राम बालक दास

माखन चोरी की लीला का प्रारंभ किया, यूं तो यशोदा मैया उन्हें भर भरकर माखन खिलाया--सन्त राम बालक दास


 

प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में श्री राम बालक दास जी द्वारा किया गया, जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर सुंदर-सुंदर भजनों की प्रस्तुति किए, रामचरित मानस की चौपाइयों का गायन हुआ,भक्तजनों और साधकों ने बाबाजी के समक्ष अपनी जिज्ञासाए भी रखी और उनका समाधान प्राप्त किया

        ऋचा  बहन ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर जिज्ञासा रखते हुए श्री कृष्ण के माखन चोरी लीला के रहस्य को जानने की विनती बाबाजी से की,  भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला में माखन चोरी लीला का वर्णन करते हुए, बाबा जी ने बहुत ही सुंदर, एवं प्रेम पूर्ण बोली में इस लीला का वर्णन किया,  बाबा जी ने बताया कि भगवान एवं संत जब अवतार लेते हैं तो उनकी विभिन्न लीलाएं होती है तो उनके पीछे कोई ना कोई रहस्य अवश्य छुपा होता है संदेश अवश्य छुपा होता है कृष्ण जी ने स्वयं कहा है कि हम जैसा आचरण करेंगे उसका पालन सब करेंगे अतः आने वाले समय को स्मरण रखते हुए अपने जीवन को संदेश पूर्ण बनाना चाहिए ताकि लोग आपका अनुसरण करें यदि भगवान कृष्ण माखन चोरी नहीं करते तो आज सु मधुर भजन पद कहां से हमें प्राप्त हो पाते यह उनकी सबसे माधुर्य एवं आनंददायक प्रसंग है माखन चोरी की लीला जब वे  घुटनों पर चलते थे तब ही से शुरू कर दी गई थी,  वे प्रतिदिन अपनी मैया को माखन निकालते देखते और देखते कि वे गोले बना बना कर उसे ऊपर सिंकें पर रख दिया करती थी कन्हैया सोचते बाकी सब सामान तो मैया नीचे रखती है तो इसे क्यों ऊपर रखती है तब उन्होंने देखा कि मैया इसे बिल्ली से बचाने के लिए ऊपर रख देती उन्होंने अपने बाल मन से सोचा कि क्या बिल्ली का हक इस पर नहीं तो उन्होंने लीला रचाई की कुछ स्वयं भी खा लिया जाए कुछ बिल्ली को भी दे दिया जाए इस प्रकार श्री कृष्ण जी ने माखन चोरी की लीला का प्रारंभ किया, यूं तो यशोदा मैया उन्हें भर भरकर माखन खिलाया ही करती थी परंतु उन्होंने पाया कि जो चोरी करके खाने में मजा है वह प्रेम पूर्वक कहां, और जैसे-जैसे श्री कृष्ण बड़े होते गये  तो अपनी टोली के साथ उन्होंने माखन चोरी के लिए पिरामिड की रचना करना प्रारंभ कर दिया इसमें वह बलदाऊ भैया जो कि उनके बड़े भाई थे का साथ भी लिया,जब सतयुग में श्री राम जी विष्णु भगवान के अवतार हुए तो शेषनाग उनके छोटे भाई लक्ष्मण जी के अवतार हुए 

 स्वधाम  गमन के समय श्री राम जी ने लक्ष्मण जी से अपने पूरी लीलाओं में उनका साथ देने हेतु उन्हें वरदान मांगने की अनुमति प्रदान करी  तब शेषनाग अवतार लक्ष्मण जी ने वरदान मांगा कि सर्वप्रथम तो जब आप दिव्य अवतार ले तो मैं हमेशा आपका भाई बनु  और जब भी आप और अवतार ले  तो अब मैं आपका बड़ा भाई बनु, तो द्वापर युग में श्री कृष्ण छोटे हुए और शेषनाग अवतार बलदाऊ बड़े हुए श्रीकृष्ण से 1 वर्ष पूर्व बलदाऊ का जन्म हुआ जो की अद्भुत लीला हुई वह देवकी के सातवे  पुत्र थे तब योग माया की लीला द्वारा उनका कर्षण कर उन्हें रोहिणी माता के गर्भ में स्थापित किया गया और इनका जन्म हुये,  इधर श्री कृष्ण देखते हैँ कि सभी गोकुल वासी दिन भर मेहनत करके अपनी गायों के दूध द्वारा माखन निकालते और उसे कंस की नगरी में छोड़ कर आ जाते तब उन्होंने निश्चय किया कि यह कीमती माखन हम कंस को क्यों दे इसे गोकुल के ही लोग खाए,लेकिन उन्होंने पाया कि ऐसा नहीं हो सकता तब उन्होंने यह लीला रची कि यहां का माखन वहां नहीं जाएगा और वे सब की हंडीयां तोड़ कर उस माखन को खा लिया करते थे ताकि वह कीमती माखन  यही रहे और गोकुल वासियों को ही वह प्राप्त हो 

 इस प्रकार आज का अद्भुत कृष्ण लीला से भरा हुआ सत्संग पूर्ण हुआ

 जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

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