आदिवासी के डर से राम वनगमन रथ का रूट बदला,घण्टों तक इंतजार करते रहे बाइकर्स और कांग्रेसी - fastnewsharpal.com
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आदिवासी के डर से राम वनगमन रथ का रूट बदला,घण्टों तक इंतजार करते रहे बाइकर्स और कांग्रेसी

 आदिवासी के डर से राम वनगमन रथ का रूट बदला,घण्टों तक इंतजार करते रहे बाइकर्स और कांग्रेसी



जयलाल प्रजापति/सिहावा-नगरी

 सरकार की महत्वकांक्षी योजना राम वन गमन पथ यात्रा और बाईक रैली दक्षिण के रामाराम से निकलकर आगे बढ़ रही है चूंकि भगवान श्री राम का आगमन धमतरी जिले के सप्तऋषियों की तपोभूमि सिहावा क्षेत्र में भी हुआ था.लिहाजा बाईक रैली और रथ जिले के सिहावा क्षेत्र में भी पहुँचना था लेकिन कांकेर में आदिवासियों के विरोध के चलते एन वक्त पर यात्रा रूट बदल दी गई.ये यात्रा नेशनल हाईवे से धमतरी जिले पहुँची.ऐसे यहां पहले से स्वागत में तैयार कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित श्रद्धालुओं में मायूसी नजर आई.



दरअसल जिले में राम वन गमन पथ पर विराट बाईक रैली और पर्यटन रथयात्रा का आयोजन 16 दिसंबर को किया गया था.यह यात्रा जिले की नगरी के बांसपानी से शुरू होकर मगरलोड के लोमश ऋषि आश्रम पर सम्पन्न होनी थी.इसके लिए प्रशासन ने तमाम तैयारियां और व्यवस्था कर रखी थी.वही कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन के साथ जिले के तमाम कांग्रेस कार्यकर्ता भी जुटे हुए थे.


इधर इस यात्रा के विरोध में आदिवासी समाज के लोग अलग अलग स्थानों में विरोध की तैयारी भी कर रहे थे.जैसे ही कांकेर में इसका विरोध शुरू हुआ.उसके बाद यात्रा मार्ग ही बदल दी गई.जबकि सिहावा क्षेत्र में कार्यक्रम के लिए पहले तय स्थान बाँसपानी में न बाइक रैली पहुँची और न रथ.घंटो इंतजार के बाद रथ नही पहुँची तो स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बाइक रैली निकाल कर औपचारिकता निभाई.


सिहावा विधायक कहना है की आदिवासी समाज रथ का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि मिट्टी ले जाने का विरोध कर रहे थे बल्कि वे खुद स्वागत करने की तैयारी में थे.....


आदिवासी प्रमुखों का कहना है कि हमारा क्षेत्र ट्रेवल क्षेत्र में आता है और कोई भी देवी देवताओं का मिट्टी गायता पुजारी ग्राम पटेल के बिना मिट्टी नहीं उठा सकते और बगैर अनुमति के मिट्टी उठाए हैं इसलिए आदिवासी समाज इसका विरोध कर रहे हैं यदि मिट्टी उठाए हैं तो आदिवासियों को वापस कर दे


फिलहाल आदिवासियों के भारी विरोध को देखते हुए यात्रा मार्ग बदल दिया गया है.यह यात्रा कांकेर से सिहावा न जाकर नेशनल हाईवे होते हुए धमतरी जिले पहुंची और रुद्री में कार्यक्रम के बाद यह यात्रा मगरलोड की ओर आगे बढ़ गई है.



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