आज का चिंतन(सुविचार)
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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..26-02-2021*..🎋
✍🏻मन और सोच का वास्तु जिनका सही है ,उनके घर का वास्तु भी सही ही रहता है ,खोट दिशाओं में नही ,सोचने की दशाओं में होता है,दिशा दशा बदल जाएगीं, आपके बदलते ही।
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💐 *Brahma Kumaris* 💐
🌷 *σм ѕнαитι*
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💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻किसी को देख कर या किसी के प्रभाव में आ कर अपनी सोच, बोल व कर्म कभी खराब न करें क्योंकि इनसे ही हम अपने भाग्य का निर्माण करते है।
🌹 *σм ѕнαитι.
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अनमोल वचन :
जो अपने भीतर नही देखता कि वो क्या करने जा रहा है गलत या सही?अगर हम अपने भीतर की आवाज़ को एक बार सुन ले तो कभी गलत नहीं करेंगें क्योंकि जब हम कुछ गलत करते है तो उस से पहले हमारी ही चेतना भीतर से एक बार हम को ज़रूर रोकती है पर हम उस चेतना पर ध्यान ना दे कर, सिर्फ गलत काम करने ने इतने मस्त हो जाते है,अपने भीतर की चेतना यानी आत्मा की आवाज़ को सुन ही नही पाते है,क्योंकि हमारी बुद्धि पर बुराई का पर्दा जो चढ़ चुका होता है...
🙏ओम् शांति🙏
💐आपका दिन शुभ हो 💐
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♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️
*विश्वासघात सबसे बड़ा छल होता है! पढिये एक सुन्दर एवं मार्मिक वृतांत 🏵️
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अंधे धृतराष्ट्र ने क्यों गंवाए सौ पुत्र- श्रीकृष्ण का उत्तर:-
महाभारत युद्ध समाप्त होने पर धृतराष्ट्र ने श्रीकृष्ण से पूछा- मैं अंधा पैदा हुआ, सौ पुत्र मारे गए भगवन मैंने ऐसा कौन सा पाप किया है जिसकी सजा मिल रही है. श्रीकृष्ण ने बताना शुरू किया- पिछले जन्म में आप एक राजा थे. आपके राज्य में एक तपस्वी ब्राह्मण थे. उनके पास हंसों का एक जोड़ा था जिसके चार बच्चे थे.
ब्राह्मण को तीर्थयात्रा पर जाना था लेकिन हंसों की चिंता में वह जा नहीं पा रहे थे. उसने अपनी चिंता एक साधु को बताई. साधु ने कहा- तीर्थ में हंसों को बाधक बताकर हंसों का अगला जन्म खराब क्यों करते हो. राजा प्रजापालक होता है. तुम और तुम्हारे हंस दोनों उसकी प्रजा हो. हंसों को राजा के संरक्षण में रखकर तीर्थ को जाओ.
ब्राह्मण हंस और उसके बच्चे आपके पास रखकर तीर्थ को गए. आपको एक दिन मांस खाने की इच्छा हुई. आपने सोचा सभी जीवों का मांस खाया है पर हंस का मांस नहीं खाया. आपने हंस के दो बच्चे भूनकर खा लिए. आपको हंस के मांस का स्वाद लग गया. हंस के एक-एक कर सौ बच्चे हुए और आप सबको खाते गए.अंततः हंस का जोड़ा मर गया.
कई साल बाद वह ब्राह्मण लौटा और हंसों के बारे में पूछा तो आपने कह दिया कि हंस बीमार होकर मर गए. आपने तीर्थयात्रा पर गए उस व्यक्ति के साथ विश्वासघात किया जिसने आप पर अंधविश्वास किया था. आपने प्रजा की धरोहर में डाका डालकर राजधर्म भी नहीं निभाया.
जिह्वा के लालच में पड़कर हंस के सौ बच्चे भूनकर खाने के पाप से आपके सौ पुत्र हुए जो लालच में पड़कर मारे गए. आप पर आंख मूंदकर भरोसा करने वाले से झूठ बोलने और राजधर्म का पालन नहीं करने के कारण आप अंधे और राजकाज में विफल व्यक्ति हो गए.
*श्रीकृष्ण ने कहा- सबसे बड़ा छल होता है विश्वासघात. आप उसी पाप का फल भोग रहे हैं..!!*
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