आज का चिंतन(सुविचार) - fastnewsharpal.com
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आज का चिंतन(सुविचार)

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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠

🎋 *..21-03-2021*..🎋


✍🏻विश्वास शब्द मे विष भी है ओर आस भी है, ये हम पर निभर्र करता है कि हम क्या बाटते है ओर हम क्या पाते है।

💐 *Brahma Kumaris* 💐

🌷 *σм ѕнαитι*

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  💥 *विचार परिवर्तन*💥


✍🏻अच्छे के साथ अच्छे बनें, पर  बुरे के साथ बुरे नहीं। क्योंकि हीरे से हीरा तो तराशा जा सकता है लेकिन कीचड़ से कीचड़  साफ  नहीं किया जा सकता।

🌹 *σм ѕнαитι.*🌹


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कितना जरुरी है लक्ष्य बनाना, 

Law of Success

एक बार एक आदमी सड़क पर सुबह सुबह दौड़ (Jogging) लगा रहा था, अचानक एक चौराहे पर जाकर जाकर वो रुक गया उस चौराहे पे चार सड़क थीं जो अलग रस्ते पे जाती थीं। एक बूढ़े व्यक्ति से उस आदमी ने पूछा – सर ये रास्ता कहाँ जाता है ? बूढ़े व्यक्ति ने पूछा- आपको कहाँ जाना है? आदमी – पता नहीं, बूढ़ा व्यक्ति – तो कोई भी रास्ता चुन लो क्या फर्क पड़ता है ।

वो आदमी उसकी बात को सुनकर निःशब्द सा रह गया, कितनी सच्चाई छिपी थी उस बूढ़े व्यक्ति की बातों में। सही ही तो कहा जब हमारी कोई मंजिल ही नहीं है तो जीवन भर भटकते ही रहना है।

जीवन में बिना लक्ष्य के काम करने वाले लोग हमेशा सफलता से दूर रह जाते हैं जबकि सच तो ये है कि तरह के लोग कभी सोचते ही नहीं कि उन्हें क्या करना है? हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में किये गए सर्वे की मानें तो जो छात्र अपना लक्ष्य बना कर चलते हैं वो बहुत जल्दी अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं क्यूंकि उनकी उन्हें पता है कि उन्हें किस रास्ते पर जाना है।

अगर सफलता एक पौधा है तो लक्ष्य ऑक्सीजन है, आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे कि लक्ष्य कितना महत्वपूर्ण है? कितना जरुरी है लक्ष्य बनाना?

1. लक्ष्य एकाग्र बनाता है – अगर हमने अपने लक्ष्य का निर्धारण कर लिया है तो हमारा दिमाग दूसरी बातों में नहीं भटकेगा क्यूंकि हमें पता है कि हमें किस रास्ते पर जाना है?

सोचिये अगर आपको धनुष बाण दे दिया जाये और आपको कोई लक्ष्य ना बताया जाये कि तीर कहाँ चलना है तो आप क्या करेंगे, कुछ नहीं तो बिना लक्ष्य के किया हुआ काम व्यर्थ ही रहता है। कभी देखा है की एक कांच का टुकड़ा धूप में किस तरह कागज को जला देता है वो एकाग्रता से ही सम्भव है।

2. आपकी प्रगति का मापक है लक्ष्य- सोचिये की आपको एक 500 पेज की किताब लिखनी है, अब आप रोज कुछ पेज लिखते हैं तो आपको पता होता है कि मैं कितने पेज लिख चूका हूँ या कितने पेज लिखने बाकि हैं।

इसी तरह लक्ष्य बनाकर आप अपनी प्रगति(Progress) को माप(measure) सकते हैं और आप जान पाएंगे कि आप अपनी मंजिल के कितने करीब पहुंच चुके हैं। बिना लक्ष्य के नाही आप ये जान पाएंगे कि आपने कितना progress किया है और नाही ये जान पाएंगे कि आप मंजिल से कितनी दूर हैं?

3. लक्ष्य आपको अविचलित रखेगा- लक्ष्य बनाने से हम मानसिक रूप से बंध से जाते हैं जिसकी वजह से हम फालतू की चीज़ों पर ध्यान नहीं देते और पूरा समय अपने काम को देते हैं। सोचिये आपका कोई मित्र विदेश से जा रहा हो और वो 9:00 PM पे आपसे मिलने आ रहा हो और आप 8 :30 PM पे अपने ऑफिस से निकले और अगर स्टेशन जाने में 25 -30 मिनट लगते हों तो आप जल्दी से स्टेशन की तरफ जायेंगे सोचिये क्या आप रास्ते में कहीं किसी काम के लिए रुकेंगे? नहीं, क्यूंकि आपको पता है कि मुझे अपनी मंजिल पे जाने में कितना समय लगेगा। तो लक्ष्य बनाने से आपकी सोच पूरी तरह निर्धारित हो जाएगी और आप भटकेंगे नहीं।

4. लक्ष्य आपको प्रेरित करेगा – जब भी कोई व्यक्ति सफल होता हैं, अपनी मंजिल को पाता है तो एक लक्ष्य ही होता है जो उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। आपका लक्ष्य आपका सपना आपको उमंग और ऊर्जा से भरपूर रखता है।

तो मित्रों बिना लक्ष्य के आप कितनी भी मेहनत कर लो सब व्यर्थ ही रहेगा जब आप अपनी पूरी energy किसी एक point एक लक्ष्य पर लगाओगे तो निश्चय ही सफलता आपके कदम चूमेगी। उम्मीद है दी गयी 
tips आपके काम आएँगी,

        ओम शांति
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अनमोल वचन :
*क्रोध, गुस्सा, नफरत ये सब Slow Poison हैं, इन्हें पीते हम खुद हैं और सोचते हैं मरेगा कोई दूसरा। ये तो नामुमकिन है। इससे अच्छा है खुशी और प्यार बाँटे। आओ इस पवित्र पर्व पर अपने आप से कुछ वादे करें जिससे खुद के और अपनों के सपने सच हों। किसी को धोखा देने से, किसी का दिल दुखाने से हम भी दूसरे भी दुखी हो जाते हैं। 

🙏ओम् शान्ति 🙏

💐आपका दिन शुभ हो 💐

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🙏 *ॐ शांति* 🙏

ईश्वर का वही बन सकता है... जिस पर *ईश्वर* की दृष्टि पड़े और उसकी *दृष्टि* हम पर पड़े... इसके लिये अपने हर सांसारिक कर्म में ईमानदारी *अनिवार्य* है।

🌸 सुप्रभात... 

💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐
💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*21 मार्च:-*_ पाप करके पश्चाताप करना और फिर दुबारा वही पाप करना अपने आप को धोखा देना है।
        🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
       🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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    ओमनःशांति
*विद्या यानी ज्ञान जहां से भी, जिस किसी भी व्यक्ति से, चाहे वो अच्छा हो या बुरा लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। ज्ञान से हम अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। ज्ञान प्राप्त होने पर हमारे लिए कुछ भी पाना ज्यादा कठिन नहीं रह जाता, लेकिन इसके लिए जरूरी है उस ज्ञान को अपने चरित्र में उतारना।*
*ज्ञान सिर्फ सुनने तक ही सीमित नहीं है, उसे अपने आचार-विचार, व्यवहार व जीवन में उतारने पर ही हम अपने लक्ष्य को आसानी से पा सकते हैं। ज्ञान ही हमें देश-दुनिया में लगातार हो रहे बदलावों के बारे में बताता है।* 
*इन बातों को जानकर ही हमारी मानसिकता भी बड़ी होती है। इसलिए विद्या जहां से भी मिले, उसे लेने का प्रयास करना चाहिए।* 
 ओम शांति
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दोस्तों, 

  जीवनशैली और बीमारी एक दूसरे से सम्बन्धित बातें हैं၊ 

  जीवनशैली का अपना अस्तित्व existence है परन्तु बीमारी का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है၊

  जिस बात का अस्तित्व है उस पर सफलतापूर्वक काम किया जा सकता है परन्तु जिसका अस्तित्व ही नहीं है उस पर कितना भी काम कर लिजिए सफलता कैसे सम्भव हो सकती है?

  *अपनी आदर्श जीवनशैली lifestyle में जब हम किसी अल्पकाल के स्वार्थ वश वा किसी अन्य को सन्तुष्ट करने के लिए (जो सम्भव नहीं है) किसी भी प्रकार का जोडतोड manipulation वा समझोता compromise करते हैं तो वह जोडतोड वा समझोता जिन लक्षणों symptoms  के द्वारा हमारे शरीर में प्रत्यक्ष/अभिव्यक्त manifest होता है उन लक्षणों को हम बीमारी वा समस्या कहते हैं၊* 

   आज हम बीमारी वा लक्षणों को ही ठीक करने का, उन पर जीत पाने का पुरुषार्थ कर रहे हैं जो असम्भव है क्योंकि जिसका अपना अस्तित्व ही नहीं है उस पर जीत पा ही नहीं सकते၊

   जीवनशैली का अपना अस्तित्व है, यदि हम उसे ठीक/उचित बनाकर जीने का पुरुषार्थ करे तो बीमारी अपने आप गायब हो जायेगी अर्थात्‌ जहाँ से आई थी फिर वही वापस चली जायेगी क्योंकि जीवनशैली का परिवर्तन ही बीमारी वा स्वास्थ के रूप में प्रत्यक्ष होता है၊

  

  जीवनशैली में केवल हमारे आहार, दिनचर्या, जीवन का स्तर status, कार्य के तरिके, दवाईयां, व्यायाम, परिश्रम इनका ही अन्तर्भाव नहीं होता परन्तु _हमारे सोचने के तरिके thought patterns, मन की मान्यतायें belief systems, दृष्टिकोण attitudes, स्मृतियां memories, संस्कार, ... का भी अन्तर्भाव होता है၊_ 

  

   जरा चेक किजिए / अपने आपसे पूछिए कि सारे जीवन में हम उपरोक्त non-matarial बातों को ठीक वा परिवर्तन करने के लिए कितना पुरुषार्थ करते हैं? इसके उत्तर से ही हम समझ सकेंगे कि हमारी बीमारियां कब तक हमारा साथ देंगी၊


  आज की दुनिया में हम कम्प्यूटर का प्रयोग करते हैं, इसके दो पहलू हैं - एक है *software* और दूसरा है *hardware* 

  Software अदृश्य है, hardware दृश्य है၊

  Hardware चाहे कितना भी अच्छा हो परन्तु Software के बिना कार्य performance नहीं कर सकता၊ यदि software में virus है तो भी hardware का कार्य धीमा हो जाता वा थम जाता है၊

   यदि software सुसंगत compatible नहीं है तो hardware अधिकतम कार्य optimum output नहीं कर सकता၊


  कम्प्यूटर प्रणाली जैसे मनुष्य जीवन का ही प्रतिबिम्ब है၊ मनुष्य का जीवन भी चैतन्य आत्मा और जड प्रकृति इन दोनों से बना है၊

  आत्मा/soul जिसके लिए कहा जाता है *SOUL IS A POINT OF LIGHT AND MIGHT INVISIBLE TO PHYSICAL EYES* 

  इतनी छोटी सी सूक्ष्म subtle आत्मा आंखों से दिखती भी नहीं परन्तु इतने बडे शरीर का संचालन करती है - कैसे?

  शरीर है hardware और आत्मा इसे संचालित करती है अपने software के द्वारा၊ 

  आत्मा के software को संक्षेप में TEAM कहा जाता है၊

T - thoughts विचार

E - emotions भावनायें

A - attitudes दृष्टिकोण

M - memories स्मृतियाँ

  हमारा TEAM रूपी software यदि सुसंगत  है या updated है या virus मुक्त है तो हम अपने शरीर रूपी hardware से optimum output ले सकते हैं၊ 

  जीवन के किसी भी क्षेत्र में जैसे स्वास्थ, सम्बन्ध, व्यवहार, परमार्थ, ... में यदि हम स्वयंसे optimum output चाहते हैं तो हमें हमारा TEAM रूपी software अद्ययावत updated और virus मुक्त रखना होगा၊

   

  TEAM की चारों ही बातें सूक्ष्म non-matarial हैं परन्तु सारे स्थूल material जगत पर TEAM का पूर्ण प्रभाव रहता है၊


  हमारे शरीर के स्वास्थ की स्थिति हमारे TEAM की अभिव्यक्ति manifestation ही है၊ 

  Virus प्रभावित TEAM वा पुरानी कालबाह्य मान्यताओं से preoccupied TEAM वा किसी अल्पकाल के स्वार्थवश जोडतोड manipulation की गई TEAM जिन लक्षणों के द्वारा प्रकट हो रही है उसको हम बीमारी कहते हैं, दवाईयों के द्वारा उन लक्षणों को ठीक करने की कोशिश करते हैं၊

  लक्षण अल्पकाल के लिए मिट गए तो समझते हैं हम ठीक हो गए၊ परन्तु लक्षण लौटकर आ रहे हैं, bypass surgery करने के बाद भी फिर ब्लॉक बन रहे हैं, stone निकालने के बाद भी फिर से बन रहे हैं, कैंसर ठीक होने के बाद भी फिर से लौट रहे हैं, ... क्योंकि बीमारी का आधार/जड/root TEAM में हैं जो दिन प्रतिदिन गलत दिशा में पक्का होते जा रहा है၊ इसिलिए जितना हम बीमारीयों के उपचार करते जा रहे हैं उतनी बीमारियां स्थायी/जीर्ण/chronic होती जा रही हैं और दवाईयां बेअसर होती जा रही हैं၊

  इसलिए *यदि बीमारी को ठीक करना है वा स्वयं को heal स्वस्थ बनाना है तो दवाई लेने के साथ-साथ हमें हमारी TEAM (आत्मा का software) के स्तर पर श्रेष्ठ परिवर्तन भी करना ही होगा तब ही दीर्घकालीन long term ऊंचे परिणाम मिलेंगे၊* 

 

 सभी अपने जीवन के अनुभवों के साथ जोडकर इन बातों पर गहराई से विचार सागर मंथन करें तो स्वास्थ रूपी मक्खन निकल आयेगा၊  



           ओम शांति




सुखमय जीवन जीने की कला सीखाता है राजयोग


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जीवन को सुखमय बनाये




💁 *खुश रहने के खास टिप्स-*


🍀 – परिवार में बच्चों के साथ खेलें और उनके साथ समय बितायें।

🍂 – नेचर से दोस्ती करें। बाहर निकलें और गार्डन में कुछ समय शांत मन से बितायें।

🍀 – अपनी हॉबी के लिए भी समय निकालें। आप कभी भी कुछ नया सीखने के लिए बड़े नहीं होते l 

🍂 – बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद करें, फिर चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो। 

🍀 – आप दूसरों की तुलना में कितने भाग्यशाली हैं, इस बात को कभी न भूलें।

🍀 – किताबों से भी दोस्ती कर लें। कोई भी प्रेरणा देने वाली किताब पढ़ें।

🍂 – आप कैसा भी महसूस कर रहे हो, लेकिन हमेशा मुस्कुराते रहिये।

🍀 – दिन में कम से कम एक बार एक्सरसाइज़ ज़रूर करें।

🍂 – मेडिटेशन करें। यह आपके मन को शांति और सुख दिलायेगा।

🍂 – खाना आराम से बनायें और उतने ही आराम से खायें। 


🙏❣️ *ओम शांति* ❣️🙏


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