आज का चिंतन(सुविचार) - fastnewsharpal.com
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आज का चिंतन(सुविचार)

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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠

🎋 *..10-03-2021*..🎋


✍🏻संदेह मुसीबत के पहाड़ों का निर्माण करता हैं और विश्वास पहाड़ों में से भी रास्ते का निर्माण करता।

💐 *Brahma Kumaris* 💐

🌷 *σм ѕнαитι*🌷


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  💥 *विचार परिवर्तन*💥

✍🏻पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसको समस्या न हो और पृथ्वी पर कोई समस्या ऐसी नहीं है जिसका कोई समाधान न हो मंजिल चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हो, रास्ते हमेशा पैरों के नीचे ही  होते हैं।
🌹 *σм ѕнαитι.*
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💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*10 मार्च:-*_ अगर आप जीवन में निर्भीक होकर चलना चाहते है तो जीवन के हर मोड़ पर *सत्य* को साथी बना लीजिये।
        🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
       🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
💥🇲🇰💥🇲🇰💥🇲🇰💥🇲🇰💥🇲🇰

🙏 *ॐ शांति* 🙏

यदि लालच को छोड़ नहीं सकते तो न छोड़े, केवल एक *परिवर्तन* लाएं... इच्छाएं पूर्ण करने का एक ही *स्रोत* रखें... भगवान! अनुभव कहता है वह हमें सब कुछ देता है। हमें बस *सब्र* रख कर उसको *फॉलो* करने का पुरुषार्थ करना है।

🌸 सुप्रभात... 

💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐
*God👆🏻💫 Has*
*Chosen* you👩🏻
to make you a
*Blessings*
*to👬🏼👫🏻👭🏻👨‍👩‍👧‍👦🌍 many*

Don't *Blame* your *Situation* Don't *Discourage* or *Panic*..
Just *Wait* & *Hold* on to *God👆🏻💫*...Everything has a *Reason* & *Season*.

*You Are👩🏻 Special - God's Dearest - An🧚🏻‍♂️ Angel💫Soul*

```तू खुद💫 की खोज में निकल``` 
 ```तू किस लिए🤦🏻‍♀️ हतास है``` 
 ```तू चल🚶🏻‍♀️ तेरे👸🏻 वजूद की``` 
 ```समय🕰️ को भी तलाश है``` 
 ```समय को भी तलाश है``` 

 ```जो तुझसे लिपटी बेड़ियां``` 
 ```समझ ना इनको वस्त्र तू``` 
 ```यह बेडियाँ पर पिघाल के``` 
 ```बना ले इनको शस्त्र तू``` 
 ```बना ले इनको शस्त्र तू``` 
 ```तू खुद की खोज में निकल``` 
 ```तू किसलिए हताश है``` 
 ```तू चल तेरे वजूद की``` 
 ```समय को भी तलाश है``` 
 ```समय को भी तलाश है``` 

 ```चरित्र जब पवित्र है``` 
 ```तो क्यों है यह दशा तेरी``` 
 ```यह पापियों को हक नहीं``` 
 ```कि ले परीक्षा तेरी``` 
 ```कि ले परीक्षा तेरी``` 
 ```तू खुद की खोज में निकल``` 
 ```तू किस लिए हतास है``` 
 ```तू चल तेरे वजूद की``` 
 ```समय को भी तलाश है``` 
 ```समय को भी तलाश है``` 

 ```जलाकर भस्म कर उसे``` 
 ```जो क्रूरता का जाल है``` 
 ```तू आरती  कि लो नहीं``` 
 ```तू शांति की मसाल है``` 
 ```तू शीतलता का मसाल है``` 
 ```तू खुद की खोज में निकल``` 
 ```तू किस लिए हतास है``` 
 ```तू चल तेरे वजूद की``` 
 ```समय को भी तलाश है``` 
 ```समय को भी तलाश है``` 


 ```चुनर उड़ा के ध्वज बना``` 
 ```गगन भी कपकपाएगा``` 
 ```अगर तेरी चुनर गिरी``` 
 ```एक भूकंप आएगा``` 
 ```एक भूकंप आएगा``` 
 ```तू खुद की खोज में निकल``` 
 ```तू किस लिए हतास है``` 
 ```तू 🚶🏻‍♀️चल तेरे👆🏻💫🇲🇰🏛️🚶🏻‍♀️👩🏻👩‍🦰👳🏻‍♀️🧕👷‍♀️💂🏻‍♀️🕵🏻‍♀️👩🏻‍⚕️👩‍🌾👩🏻‍🍳👩🏻‍🎓👩🏻‍🎤👩🏻‍🏫👩🏻‍💻👩🏻‍🔬👩🏻‍⚖️👰🏻👸🏻 वजूद की``` 
 ```समय को भी तलाश है``` 
 ```समय को भी तलाश है``` 


मनुष्य का सम्मान
      *उन शब्दों में ❌नहीं*
            *जो उसकी*
      *उपस्थिति में कहें जाएं।*
                  *बल्कि*
             *उन शब्दों में है,*
                *जो उसकी*
     *अनुपस्थिति में बोले जाएं*🌹🌹
 ✍आपकी नियत से👆🏻💫🇲🇰 ईश्वर प्रसन्न होते हैं और दिखावे👭👬👫 से इंसान 

यह आप पर निर्भर करता है आप किसे प्रसन्न करना चाहते है 
    रफ़्तार कुछ इस कदर तेज है जिन्दगी की.

*की सुबह🌅 का दर्द शाम को, पुराना हो जाता है..*.                             शुभरात्रि👆🏻💫🇲🇰🌌🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♂️.




♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️


 *👉🏿आत्म मूल्यांकन* 🏵️

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*एक बार एक व्यक्ति कुछ पैसे निकलवाने के लिए बैंक में गया। जैसे ही कैशियर ने पेमेंट दी* कस्टमर ने चुपचाप उसे अपने बैग में रखा और चल दिया। उसने एक लाख चालीस हज़ार रुपए निकलवाए थे। उसे पता था कि कैशियर ने ग़लती से एक लाख चालीस हज़ार रुपए देने के बजाय एक लाख साठ हज़ार रुपए उसे दे दिए हैं लेकिन उसने ये आभास कराते हुए कि उसने पैसे गिने ही नहीं और कैशियर की ईमानदारी पर उसे पूरा भरोसा है चुपचाप पैसे रख लिए।


इसमें उसका कोई दोष था या नहीं लेकिन पैसे बैग में रखते ही 20,000 अतिरिक्त रुपयों को लेकर उसके मन में  उधेड़ -बुन शुरू हो गई। एक बार उसके मन में आया कि फालतू पैसे वापस लौटा दे लेकिन दूसरे ही पल उसने सोचा कि जब मैं ग़लती से किसी को अधिक पेमेंट कर देता हूँ तो मुझे कौन लौटाने आता है ???


बार-बार मन में आया कि पैसे लौटा दे लेकिन हर बार दिमाग कोई न कोई बहाना या कोई न कोई वजह दे देता पैसे न लौटाने की।


लेकिन इंसान के अन्दर सिर्फ दिमाग ही तो नहीं होता… दिल और अंतरात्मा भी तो होती है… रह - रह कर उसके अंदर से आवाज़ आ रही थी कि तुम किसी की ग़लती से फ़ायदा उठाने से नहीं चूकते और ऊपर से बेईमान न होने का ढोंग भी करते हो। क्या यही ईमानदारी है ?


उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। अचानक ही उसने बैग में से बीस हज़ार रुपए निकाले और जेब में डालकर बैंक की ओर चल दिया।


उसकी बेचैनी और तनाव कम होने लगा था। वह हल्का और स्वस्थ अनुभव कर रहा था। वह कोई बीमार थोड़े ही था लेकिन उसे लग रहा था जैसे उसे किसी बीमारी से मुक्ति मिल गई हो। उसके चेहरे पर किसी जंग को जीतने जैसी प्रसन्नता व्याप्त थी।


रुपए पाकर कैशियर ने चैन की सांस ली। उसने कस्टमर को अपनी जेब से हज़ार रुपए का एक नोट निकालकर उसे देते हुए कहा, ‘‘भाई साहब आपका बहुत-बहुत आभार ! आज मेरी तरफ से बच्चों के लिए मिठाई ले जाना। प्लीज़ मना मत करना।”


‘‘भाई आभारी तो मैं हूँ आपका और आज मिठाई भी मैं ही आप सबको खिलाऊँगा ’’ -  कस्टमर  बोला।


कैशियर ने पूछा - ‘‘ भाई आप किस बात का आभार प्रकट कर रहे हो और किस ख़ुशी में मिठाई खिला रहे हो ?’’


कस्टमर ने जवाब दिया -  ‘‘आभार इस बात का कि बीस हज़ार के चक्कर ने मुझे आत्म-मूल्यांकन का अवसर प्रदान किया। आपसे ये ग़लती न होती तो, न तो मैं द्वंद्व में फँसता और न ही उससे निकल कर अपनी लोभवृत्ति पर क़ाबू पाता। यह बहुत मुश्किल काम था। घंटों के द्वंद्व के बाद ही मैं जीत पाया। इस दुर्लभ अवसर के लिए आपका आभार।”


मित्रों, कहाँ तो वो लोग हैं जो अपनी ईमानदारी का पुरस्कार और प्रशंसा पाने का अवसर नही चूकते और कहाँ वो जो औरों को पुरस्कृत करते हैं। 


*ईमानदारी का कोई पुरस्कार नहीं होता अपितु ईमानदारी स्वयं में एक बहुत बड़ा पुरस्कार है।* 


*अपने लोभ पर क़ाबू पाना कोई सामान्य बात नहीं। ऐसे अवसर भी जीवन में सौभाग्य से ही मिलते हैं अतः उन्हें गंवाना नहीं चाहिए अपितु उनका उत्सव मनाना चाहिए।*



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