आज का सुविचार(चिन्तन) - fastnewsharpal.com
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आज का सुविचार(चिन्तन)

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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠

🎋 *..19-06-2021*..🎋


✍🏻कभी भी लोगों की टीका टिप्पणी से घबराना नही चाहिए क्योंकि खेल में दर्शक ही शोर मचाते हैं खिलाडी नहीं।

💐 *Brahma Kumaris* 💐

🌷 *σм ѕнαитι*

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  💥 *विचार परिवर्तन*💥


✍🏻अपनी ग़लती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है। इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा में आज आप अधिक समझदार है। इसलिए सदा अपनी गलती को स्वीकार करें छिपाए नहीं।

🌹 *σм ѕнαитι.*🌹


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💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*19 जून:-*_ सतकार्यो के माध्यम से समाज में परिवरवर्तन लाने का विचार ही आज की आवस्यकता है।
        🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
       🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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अनमोल वचन: 

जब हम अपनी हजार गलतियों के बाद भी अपने आप से इतना प्रेम करते हैं...  तो दूसरों की एक गलती से इतनी नफरत क्यों ??

🙏ओम् शांति🙏 

🍁आपका दिन शुभ हो💐

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*🙇🏻‍♀Soul Reflection🙇🏻‍♂*          
 *🗣(Episode - 03)🌄*      
 *🧚🏻‍♀(Sister Shivani)🧚🏻‍♀*

*•* आज हमारी Life का उद्देश्य क्या हैं हम दूसरों को प्रभावित करने के लिए ये दिखाते हैं कि हमें बहुत कुछ पता हैं एक ये बाहरी दुनियाँ है बहुत बड़ी जहाँ बहुत कुछ हो रहा हैं। लेकिन क्या मुझे ये पता हैं कि मेरी दुनियाँ में क्या हो रहा है...? 

*•* हम बाहरी दुनियाँ में क्या हो रहा हैं बदल नहीं सकते सिर्फ शिकायत करते हैं वो हमारे Control में भी नहीं होता हमारी अपनी दुनियाँ इस बाहरी दुनियाँ के अनुसार बनती जा रही है...!

*•* जो-जो दुनियाँ में हो रहा हैं वो मैने ग्रहण कर लिया तो मेरी दुनियाँ भी कैसे होने लगी हैं वैसे ही ना वहीं Vibrations मुझसे भी जाने लगी...!

*•* जो हम पढ़ते हैं, सुनते हैं, देखते हैं वहीं हमारी सोच, व्यक्तित्व बन जाता हैं वही हमारा औरा हो जाता है...!

*•* आज दुनिया में जो हो रहा हैं हम शिकायत कर रहे हैं निंदा कर रहे हैं। हम भी उसके लिए जिम्मेदार है, क्योंकि हम वो सब ग्रहण करके उसे अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बना रहे हैं और वापिस उसे दुनिया में भेज रहे है...!

*•* अगर हम Negativity में जा रहे हैं तो ये आत्मा कि शक्ति को कमजोर कर देती हैं। आज हम Social Networking से बहुत जुड़े है What's App, Facebook, Instragram Etc... 
जहां पर बहुत सी पोस्ट होती हैं जो एक से अनेक लोगों तक फैलती हैं हमें ये पता हैं कि उसमे क्या अच्छा हैं और क्या बुरा तो हमें Negativity से बचने के लिए ऐसी पोस्ट को पढ़ने से पहले ही डिलीट करना हैं। उस Negativity से हमें अपने आपको Protect करने के लिए Read करने से पहले ही डिलीट करना हैं और Positive Information कि Diet करनी है...!

*•* हम अपने आस-पास के लोगों को बदल नहीं सकते, दुनिया में जो हो रहा हैं उसे बदल नहीं सकते। परन्तु हमें क्या ग्रहण करना हैं ये हमारी Choice हैं ये हमें तय करना हैं ये हमारा कर्म है...!

*•* मैं एक Powerful आत्मा हुँ इस दृढ़ निश्चिय के साथ हमें सिर्फ Positvity की ही Vibrations Create करनी है..!

                   *🙏 ओम् शान्ति*

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🙏 *ॐ शांति* 🙏

कल से *सीखें* ... आज के लिये *जियें*... कल के लिये उम्मीद करें..., क्योंकि आज है जो... वही सत्य है। कल जो होगा... वो *उम्मीद* होगी।

🌸 सुप्रभात...

💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐
मित्रों जब आप इस विचित्र ड्रामा के
दृश्यों को साक्षि होकर देखते रहेंगे तो
आपको अनुभव होगा कि मेरा कितना
बड़ा भाग्य है। हर व्यक्ति अपने भाग्य
के प्रति उत्सुक रहता है। जब हम
अपने भाग्य और भविष्य को स्पष्ट रुप
से देखेंगे तो हम खुश भी रहेंगे और
जागरुक भी रहेंगे।
हर क्षण और हर दिन कुछ-न-कुछ
नविनता भरने का दृढ़ संकल्प रखना,
यह बहुत अच्छा है। नविनता हमारे
पुरुषार्थ को रुचिकर तथा कुतूहलपूर्ण
बनाती है। बाबा कहते हैं कि मैं बच्चों
को सब-कुछ देना चाहता हूँ लेकिन
बच्चों में लेने की ताकत नहीं है। अपने
को चैक करो कि मैंने अपने लक्ष्य को
कहाँ तक प्राप्त किया है, पुरुशार्थ का
वेग और सन्तुलन कितना है? ज्ञान
इतना सहज है कि छोटे बच्चे भी किसी
को ज्ञान सुना सकते हैं। लेकिन ज्ञान
के हर प्वाइंट को अनुभव करने का
परुशार्थ करना है, बाबा के हर र्निदेश
को गहराई से समझना है और उसको
अपने
जीवन में लाना है। अति प्रेमपूर्ण याद
में बाबा के साथ बुध्दि को जोड़िए। हम
बाबा के पास पहुँच गये, बाबा हमारे
सामने हैं। हमें कोई इच्छा नहीं है लेकिन
वर्तमान में एक इच्छा जरुर है कि सदा
मैं बाबा के संग में रहूँ। यही योग है। जब
आप यह अनुभव करेंगे कि मैं बाबा के
सामने हूँ, पूर्णतः उनके साथ, तब बाबा
के जो भी गुण और शक्तियाँ हैं, आप
उन्हें अनुभव करेंगे। चाहे बाबा आपके
सामने साकार में हैं या सूक्ष्मवतन में
या मूलवतन(शान्तिधाम) में हैं लेकिन
बाबा आपको अपने गुणों के सिन्धु
स्वरुप का अनुभव कराएँगे। बाबा के
संग हमारी अवस्था भी उन्हीं के जैसी
रहेगी। जितना हम परमात्म -
स्मृतिस्वरुप होंगे उतना ही हमें प्रेम का
गहरा अनुभव होगा और सम्पूर्णता के
लक्षण प्रकट होंगे। अन्दर से आने
वाला यह अनुभव बहुत सूक्ष्म होता है
और बहुत मिठा भी होता है। ब्राह्मण
जीवन में आगे बड़ने के लिए पुरुशार्थ में
होने वाले अनुभव तथा उनसे होने वाले
फायदो को दिन-रात बढ़ाते जाना है।
अमृतवेले से ही पहला अभ्यास आरम्भ
कीजिए। अपने को मॉस्टर ज्ञाणसूर्य
समझकर ज्ञाणसूर्य के सामने
उपस्थित हो जाइए, कम से कम एक
घण्टा। उस समय आप, सब गुण और
शक्तियों का अनुभव करेंगे। आपकी
बुध्दि बहुत शक्तिशाली बन जाएगी।
इससे आप मुरली को अच्छी तरह समझ
पाएँगे और आपके मन में कोई प्रश्न ही
नहीं रहेगा, सारे प्रश्न और संशय
समाप्त हो जाएँगे। आपकी बुध्दि बाबा
की श्रिमत को अत्यन्त प्रेमपूर्वक
और मधुरता पूर्वक स्वीकार करगी।
अत्यन्त प्रमुख तपस्या यह है कि हम
कितने समय मन को अति सूक्ष्म रुप से
बाबा पर केन्द्रित करते हैं, खुद को
बाप समान और मास्टर सर्वशक्तिमान
की स्थिति में रखते हुए, बाबा के सर्व
गुणों को अपने में अनुभव करने का
तिव्र पुरुशार्थ करते हैं। सर्व गुणों के
सागर , सर्वशक्तिमान परम आत्मा
बाबा के संग में रंगने से आत्मा के
जन्म-जन्मान्तर के मैल धुल जाते हैं।
इससे आत्मा स्वतः ही सहज रुप से
भक्ति के पथ से निवृत्त हो जाती है।
जब हम तीसरा नेत्र बाबा पर एकाग्र
करते हैं तब आत्मा जैसे बाप समान बन
जाती है। किसी भी परिस्थिति में
नियमित रुप से योग करना और कलास
करना - यह नियम नहीं छोड़ना। सबके
लिए यह प्रथम नियम है। हमारा फ़ायदा
भी इसी में है।
विशेष रुप में जब हम मधुबन में रहते हैं,
इकट्ठे रहते हैं उस समय का सामूहिक
योग, शक्तिशली, श्रेष्ठ और सुन्दर
वायुमण्डल का निर्माण करता है। बाबा
को अनुसरण करने का भी हमारा विशेष
अभ्यास होना चाहिए।

       Om shanti

♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️


*🔔👉🏿मंदिर में जाने से पहले आखिर क्यों बजाते है घंटी🔔, जानिये इसके वैज्ञानिक लाभ...!*🏵️


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आप जब कभी मंदिर जाते है तो आपने दरवाजे पर घंटी या घंटे जरूर देखी होगी और ये प्रचलन पौराणिक काल से चला आ रहा है। इस घंटे या घंटी लगाने के पीछे न सिर्फ धार्मिक महत्व है बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है।


लेकिन ये महत्व क्या है वो बहुत काम लोग ही जानते है। तो आईये जानते है इस परम्परा के पीछे क्या कारण है। असल में प्राचीन समय से ही देवालयों और मंदिरों के बाहर इन घंटियों को लगाया जाने की शुरुआत हो गई थी।


इसके पीछे यह मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है और नकारात्मक या बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं।


यही वजह है कि सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।


लोगों का मानना है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।


पुराणों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं। जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। उल्लेखनीय है कि यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जागृत होता है।


वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।


*'मन्दिरों में " घण्टा "🔔 क्यों लगाते और बजाते हैं ???'*     


"किसी भी मंदिर में प्रवेश करते समय आरम्भ में ही एक बड़ा घंटा बंधा होता है।  मंदिर में प्रवेश करने वाला प्रत्येक भक्त पहले घंटानाद करता है और फिर मंदिर में प्रवेश करता है।


 जब हम बृहद घंटे के नीचे खड़े होकर , अपना सिर ऊँचा करके व हाथ उठाकर घंटा बजाते हैं, तब प्रचंड घंटानाद होता है।


यह ध्वनि 330 मीटर प्रति सेकंड के वेग से अपने उद्गम स्थान से दूर जाती है। ध्वनि की यही शक्ति कंपन के माध्यम से प्रवास करती है। आप उस वक्त घंटे के नीचे खड़े होते हैं।


अतः ध्वनि का नाद आपके सहस्त्रारचक्र (ब्रह्मरन्ध्र,सिर के ठीक ऊपर) में प्रवेश कर शरीर मार्ग से  भूमि में प्रवेश करता है।


यह ध्वनि प्रवास करते समय आपके मन में (मस्तिष्क में) चलने वाले असंख्य विचार, चिंता, तनाव, उदासी, मनोविकार..इन समस्त नकारात्मक विचारों को अपने साथ ले जाती हैं,और आप निर्विकार अवस्था में परमेश्वर के सामने जाते हैं। 


तब आपके भाव शुद्धता पूर्वक परमेश्वर को समर्पित होते हैं। इसके साथ ही घंटे के नाद की तरंगों के अत्यंत तीव्र के आघात से आस-पास के वातावरण के व हमारे शरीर के सूक्ष्म कीटाणुओं का नाश होता है, जिससे वातावरण मे शुद्धता रहती है, हमें स्वास्थ्य लाभ होता है।


इसीलिए मंदिर मे प्रवेश करते समय घंटानाद अवश्य करें,और थोड़ा समय घंटे के नीचे खड़े रह कर घंटानाद का आनंद अवश्य लें। आप चिंतामुक्त व शुचिर्भूत बनेगें।


आप का मस्तिष्क ईश्वर की दिव्य ऊर्जा ग्रहण करने हेतु तैयार होगा। ईश्वर की दिव्य ऊर्जा व मंदिर गर्भ की दिव्य ऊर्जाशक्ति आपका मस्तिष्क ग्रहण करेगा।"


      


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