किसी की बद्दुआएं हमारे जीवन में बीमारी समस्याओं को आमंत्रित करती है--ब्रहमा कुमार नारायण भाई*
किसी की बद्दुआएं हमारे जीवन में बीमारी समस्याओं को आमंत्रित करती है--ब्रहमा कुमार नारायण भाई*
नवापारा नगर
जब जब हमारे कर्मों की वजह से किसी को दुख लगेगा उनके मन से हमारे लिए बददुआएं निकलेगी यह बद्दुआऐं हमारे जीवन में नकारात्मक परिस्थिति , स्वास्थ्य समस्याएं , वित्तीय संकट , संबंधों में दूरियां अर्थात जीवन में हर तरह की समस्या को आमंत्रित करती है भले यह आज हमें अनुभव न हो पर एक दिन यह ज़रूर होगा क्योंकि संसार के सामाजिक नियम समय के साथ बदल सकते हैं पर कर्म सिद्धांत कभी नहीं बदलता...
जो_बोया_है_वह_काटना_ही_पड़ता_है" यह विचार इंदौर से पधारे खुशनुमा जीवन सिविर के विशेषज्ञ ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने ओम शांति कालोनी में ब्रह्माकुमारी के विशाल सभागृह में तीन दिवसीय चलो चलें आसमां की और, बढ़ते कदम खुशनुमा जीवन की ओर आयोजित शिविर में बडी संख्या में उपस्थित सैकड़ों नगरवासियों को दितीय दिन के संबोधन में संबोधित करते हुए बताया कि ऐसे कर्म करें जो हमारे आज और आने वाले कल को सुखद बनाए और उसका तरीका है यह समझ कि जो बोएंगे वही काटेंगे!
कर्म केवल हाथ से किए गए काम व मुख से बोले गए शब्द नहीं! कर्म की शुरुआत संकल्पों से होती है हमारी हर सोच उस आत्मा तक पहुंचती है जिसके बारे में हम सोच रहे हो! इसलिए वही सोचें, बोलें और करें जो जब आपको वापिस आए तो आपको कष्ट न दे!
यदि हमें सत्य भगवान का सत्य ज्ञान समझ नहीं आता इसका मतलब हमारा जीवन झूठ में पूरी तरह लिप्त है पर कोई बात नहीं, इससे छूटने का भी एक तरीका है सत्य पर चलने वालों को सहयोग देना शुरु कर दीजिए इससे जैसे ही आपका पुण्य का खाता बढ़ना शुरु होगा आपका दीप भी जलने लगेगा फिर आएगा जीवन में सच्चा सुख, शान्ति और समृद्धि !
सदा याद रखें भगवान हमें सन्यासी नहीं बनाता,भिखारी से राजकुमार और राजकुमारी बनाता है पर इसके लिए वह आपमें वो सारे गुण डवलप करवाएगा जो एक रॉयल व्यक्ति में होने चाहिए !
जो अन्दर बाहर पवित्र है वही रॉयल है!
केवल अपने जीवन पर केंद्रित किजीए क्योंकि किसी और की थाली का भोजन देखने से खुद की भूख नहीं मिटती !
समाज क्या कहता है इसकी फिक्र छोड़ कर इस पर किजीए कि भगवान क्या कहता है क्योंकि इतिहास गवाह है संसार को संतुष्ट करने की कितनी भी कोशिश कर लिजिए वह कभी संतुष्ट नहीं हुआ पर भगवान को संतुष्ट करने की थोड़ी सी कोशिश में भी संसार नतमस्तक हुआ है !
गुलाम बनना ही है तो भगवान का बनिए, संसार का नहीं !संसार में सबसे बड़ा दुर्भाग्य उसका है जिसे भगवान और उसका ज्ञान समझ नहीं आता !
अपने इस दुर्भाग्य को बदलने के लिए उन लोगो के जीवन को अनुसरण करना शुरु कर दीजिए जिनका जीवन इस मार्ग पर श्रेष्ठ बना है क्योंकि जो देखेंगे वही बनेंगे ! ज़रूरी नहीं कि ईश्वरीय पाठशाला का हर विद्यार्थी मेधावी हो पर इसमें ज्ञान और भगवान का कोई दोष नहीं इसलिए हमें उन विद्यार्थियों नहीं गुरु को देखना है और यदि विद्यार्थियों को देखना ही है तो उनको देखें जो कक्षा में प्रथम आते हैं न कि उनको जो ज्ञान को सही रिति जीवन में धारण करने में असमर्थ हैं ! कार्यक्रम के अंत में सभी को गहन राजयोग की अनुभूति द्वारा शांति व खुशी का अनुभव कराया गया।