"सेवाकेंद्र मगरलोड में स्मृति (समथीऀ ) दिवस का आयोजन"
"सेवाकेंद्र मगरलोड में स्मृति (समथीऀ ) दिवस का आयोजन"
मगरलोड/धमतरी
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र मगरलोड में संस्था के संस्थापक, प्राण प्यारे, आदि पुरुष ब्रह्मा बाबा की पुण्यतिथि मनाई गई | कार्यक्रम का शुभारंभ सेवा केंद्र के वरिष्ठ भाइयों , बहनों एवं सेवा केंद्र संचालिका बीके अखिलेश दीदी के कर कमलों से दीप प्रज्वलन के साथ हुआ | तत्पश्चात सेवा केंद्र संचालिका राजयोगिनी बीके अखिलेश दीदी द्वारा ब्रह्मा बाबा की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि ब्रह्मा बाबा लेखराज से ब्रह्मा बाबा कैसे बने और उनके द्वारा संस्था के बच्चों को कैसी पालना दी गई |
दीदी जी ने बताया की ब्रह्मा बाबा बचपन से ही धार्मिक और भक्ति भाव वाले थे | 60 वर्ष की उम्र में परमात्मा शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा के शरीर को अपना रथ बनाया और तब से लेकर 1969 तक उनके तन में शिव बाबा की प्रवेशिता होती रही | इस दरमियान बाबा के जीवन में अनेकानेक मुश्किलें व परिस्थितियां आई, लेकिन बाबा एक रस, अचल अडोल स्थिति में रहते हुए उनका सामना किये तथा उनके साथ जुड़े हुए बच्चों की पालना करते हुए उन्हें परमात्मा की शिक्षाओं से जोड़ते रहे | जिस प्रकार उन्होंने संयम नियम और धैर्यता के साथ शिव बाबा से परमात्म शिक्षा प्राप्त किए उसी प्रकार ब्रह्मा बाबा के माध्यम से उनके अधीनस्थ सभी भाई बहनों ने भी बड़ी धैर्यता के साथ बाबा की ज्ञान को सुने, समझे और महसूस किये | इस प्रकार संस्था दिनोंदिन उन्नति की ओर बढ़ते हुए उनका फैलाव होता गया |सन 1969 में ब्रह्मा बाबा ने अपने पंचभूत शरीर का त्याग कर शिव बाबा की गोद में चले गये , तब से बाबा सूक्ष्म रूप में संगठन के कार्य में सहयोग करते आ रहे हैं | दीदी जी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा की पुण्यतिथि के अवसर पर हमें भी उसी की तरह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिव परमात्मा के प्रति नशा व निश्चय रखते हुए पुरुषार्थ करते रहना है | कार्यक्रम में उपस्थित संस्था के भाई बहनों ने भी ब्रह्मा बाबा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए संस्था से जुड़ने के बाद का अपने जीवन के अनुभव बांटे | अंत में सभी भाई बहनों ने ब्रह्मा बाबा के तैल चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें मौन श्रद्धांजलि दिये व बाप समान बनने का संकल्प लिये |