*जोगी कांग्रेस ने किया किसान आंदोलन का समर्थन,*
*जोगी कांग्रेस ने किया किसान आंदोलन का समर्थन,*
*भाजपा-कांग्रेस किसान विरोधी, एक सांपनाथ तो दूसरा नागनाथ - अमित*
*18 साल बाद भी किसानोँ को अधिकार नहीं मिला,भाजपा कांग्रेस के कथनी और करनी में अंतर - अमित*
*किसान ठगा सा महसूस कर रहे है, स्व जोगी को याद कर रहे है - JCCJ*
*नई राजधानी की मजबूत नींव स्व जोगी ने रखी, देश और दुनिया का बेहतर , खुशहाल और सुंदर राजधानी बनाना चाहता थे स्व जोगी -JCCJ*
रायपुर,
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि नया रायपुर में 27 गांव के हजारों किसानों के द्वारा 18 दिनों से कर रहे दिल्ली की तर्ज पर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए और भाजपा-कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा दोनों राष्ट्रीय दल किसान विरोधी है, एक सांपनाथ है तो दूसरा नागनाथ है दोनों के कथनी और करनी में अंतर है। 18 साल पहले जिन किसान भाईयों ने नई राजधानी के लिए अपनी जमीन दी । 2004 में किसानों को मुआवजा और रोजगार देने का अनुबंध हुआ था आज तक उन किसानों को उनका अधिकार नहीं मिला। इस दौरान भाजपा के 15 साल और कांग्रेस के 3 साल बीत गए लेकिन किसान भाइयों को न्याय नहीं मिला जिस कारण किसान आज ठगा सा महसुस कर रहे है । यही कारण है कि 27 गांव की हजारों किसान भाई-बहन, युवा साथी आज दिल्ली की तर्ज पर नया रायपुर में कड़ाके की ठंड के बावजूद बीते 18 दिनों से आंदोलनरत है।
अमित जोगी ने कहा किसान हितैषी होने का ठोंग करने वाली कांग्रेस सरकार किसानों के नाम पर सिर्फ वोट बटोरना जानती है, सरकार में थोड़ी सी भी नैतिकता है तो किसानों के मांगो को पूरा करे, तत्काल उन्हें 4 गुणा मुआवजा, नया रायपुर में आवासीय प्लाट, नया रायपुर में निर्माणाधीन व्यवसायिक में दुकान औऱ सम्मान जनक शासकीय नौकरी प्रदान करें।
अमित जोगी ने कहा छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने नई राजधानी की मजबूत नींव रखी। उन्होंने नई राजधनी को देश और दुनिया का सबसे खूबसूरत शहर खुशहाल और उनकी राजधानी बनाने का सपना देखा था। स्व अजीत जोगी ने अंतराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों से सलाह मंगवाई गई थी, जिसमें 9 में से 8 कंसल्टेंट्स ने मौजूदा स्थान को ही राजधानी के लिए उपयुक्त बताया था और नई राजधानी का काम शुरू हुआ परंतु आज 21 साल के बाद भी भाजपा और कांग्रेस सरकार के द्वारा नई राजधानी के लिए कुछ विशेष नहीं कर पाई बल्कि राजधानी के लिए अपने जमीन देने वाले किसानों को उनका हक और अधिकार का मुआवजा नहीं दे पाए जो किसानों के साथ घोर अन्याय है।