रचनाकारों का प्रथम वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय सेदोका सम्मेलन सम्पन्न-
रचनाकारों का प्रथम वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय सेदोका सम्मेलन सम्पन्न-
नारनौल(हरियाणा)
'सभी रचनाकारों ने संवेदनाओं के विविध विषयों को स्पर्श करते हुए अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना यहाँ प्रस्तुत की है जिसमें इनके शब्द भंडार के साथ कथ्य शिल्प की सम्प्रेषणीयता सुंदर है। इनकी पृष्ठभूमि में लोकप्रिय होना इन्हीं रचनाओं की पंक्तियों पर निर्भर करता है, किसी भी रचनाकार के लिए ज्यादा जरूरी यह होता है कि उसका पाठक के साथ तादात्म्य स्थापित हो जिससे कि रचना मन को छू जाए।' उक्त आशय की बातें 'प्रथम वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय सेदोका सम्मेलन' में अतिथियों के द्वारा व्यक्त किए गए। मनु मुक्त मानव मेमोरियल ट्रस्ट नारनौल (हरियाणा) के चीफ ट्रस्टी डॉ रामनिवास मानव के संचालन में यह आयोजन संपन्न हुआ ।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अनिल जोशी,उपाध्यक्ष- केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा' अध्यक्ष- डॉ उमाशंकर यादव, कुलपति सिंघानिया विश्वविद्यालय- राजस्थान एवं सहायक निदेशक केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली से विशिष्ट अतिथि द्वय- डॉक्टर दीपक पांडेय एवं डॉ नूतन पांडेय रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ कांता भारती जी की प्रार्थना-' मानव हैं हम, मानवता में सबका विश्वास रहे......' से हुआ। सभी अतिथियों सहित संचालक डॉ रामनिवास मानव ने सेदोका विधा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए इसके किसी पत्रिका के विशेषांक निकालने सहित इसे लोकप्रिय बनाने पर सार्थक चर्चा की। ज्ञात हो कि सेदोका जापानी साहित्य की एक लेखन विधा है जिसका भारतीयकरण हो चुका है इसमें 6 पंक्तियों में कुल 38 वर्ण होते हैं , यह अपने आपमें एक पूर्ण कविता होती है। सेदोका के इस प्रथम वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 6 से अधिक देशों के कई सेदोकाकार ने अपनी सहभागिता दी वे इस प्रकार हैं- मॉरीशस से डॉक्टर कल्पना लाल,डॉ अंजू घरभरन, अमेरिका- डॉ अनीता कपूर एवं रेनू चंद्रा माथुर, नेपाल- रचना शर्मा,बुल्गारिया-डॉ मोना कौशिक, ऑस्ट्रेलिया- डॉ भावना कुँअर एवं प्रगित कुँअर जबकि भारत से डॉक्टर ज्योत्सना शर्मा, ज्योत्सना प्रदीप,प्रदीप कुमार दास 'दीपक',सहित रमेश कुमार सोनी ने इसमें अपनी सहभागिता दी। सभी सेदोकाकारों ने अपनी-अपनी श्रेष्ठ सुनाई।
इस अवसर पर अब तक प्रकाशित स्वतंत्र एवं साझा संकलनों पर बातें हुईं। अन्य उपस्थित जनों में-डॉ रमेश यादव मुंबई, शर्मिला यादव,कमलेश शर्मा,राजेश शर्मा,डॉ जितेंद्र भारद्वाज, डॉ पी एम गौर एवं सुरेश शबरवाल थे।