दीवारें तो बहुत खड़ी हुई"--अशोक पटेल "आशु" - fastnewsharpal.com
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दीवारें तो बहुत खड़ी हुई"--अशोक पटेल "आशु"

 दीवारें तो बहुत खड़ी हुई"



       //कविता//

दीवारें तो बहुत खड़ी हुई

अब दीवारों को गिर जाने दो।

जो दफन हुई है राज

उस राज को बाहर आने दो।। 


धर्म कितने तार-तार हुए

उस धर्मों को हुँकार भरने दो।

जो हुँकारें दफन हुई

उसकी गर्जना बाहर आने दो।। 


सत्य बहुत परेशान हुई

उस सत्य का उद्घाटन होने दो

जिस सत्य को दबाया गया

उस सत्य नाद को गूँज जाने दो।। 


काल बिता कोई बात नही

महाकाल को अब नर्तन करने दो

बहुत हुई अब यह समाधि

अब महाकाल को तांडव करने दो।। 


अब न सहेंगे यह अपमान

अब तो तीसरा नेत्र खुल जाने दो

जो दफन है त्रिशूल डमरू

उस प्रमाण को अब डमडमाने दो।। 


धर्म अस्मिता की है यह रण

शम्भू की समाधि को हिल जाने दो

कब तक भस्मासुरों को झेलेंगे

अब अधर्मियों को भस्म हो जाने दो।। 


रचना-

अशोक पटेल "आशु"

व्याख्याता-हिंदी

तुस्मा,शिवरीनारायण(छ ग)

9827874578

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