भरी गर्मी और धूप में किसानों की पीड़ा,आखिर कौन देगा इन पर ध्यान और कौन समझेगा इनकी पीड़ा....अक्सर यह देखने को मिलता नजारा....??
भरी गर्मी और धूप में किसानों की पीड़ा,आखिर कौन देगा इन पर ध्यान और कौन समझेगा इनकी पीड़ा....अक्सर यह देखने को मिलता नजारा....??
आरंग
मोटरसाइकिल की संख्या और लोगों की भीड़ किसी सिनेमाघर या फ्री की मिलने वाली वस्तु की नही...? अपितु यह भीड़ जिला सहकारी बैंक शाखा आरंग में सैकड़ो ग्रामीण किसानों की है। यहां किसान दूर-दूर से अपनी राशि निकलने के लिए बैंक के बाहर तक लाईन में खड़े है और परेशान भी।
जिला सहकारी बैंक आरंग में यह भीड़ पूरे साल भर रहता है। ग्रामीण किसानों की यह भीड़ 10 से 25 किलोमीटर दूर तक गावों में रहनेवाले किसानों की है। हजारो खाताधारक यह किसान सिर्फ इतने दूर से बैंक में राशि निकालने के लिए ही आरंग आते है। इस कार्य के लिए किसानों को पूरा दिनभर का समय निकल जाता है।
यहां यह बताना भी लाजमी है कि किसानों के अतिरिक्त पांच हजार सामान्य खाताधारक भी है। इन्हें भी किसानों की भीड़ के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है। 17ग्रामीण समिति के कर्मचारियों को भी बैंक में आकर समिति के विभिन्न कार्य करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
ग्रामीण किसानों ने जोर देकर बताया कि समय की मांग के साथ यह अनिवार्य मांग है कि जिला सहकारी बैंक आरंग को दो या तीन शाखा या उपशाखा में विभाजित किया जावे। बैंक की शाखा या उपशाखा बड़े ग्राम समोदा नगर पंचायत, ग्राम पंचायत भिलाई-मोखला
और ग्राम पंचायत भानसोज- फरफौद में खोला जाना किसानों के लिए अधिक सुविधाजनक होगा। किसानों को बैंक के बाहर सालभर लंबी कतार, 10-20 किमी आना- जाना तथा लूट व पाकिटमारी के साथ बरसात,धूप व ठंड से भी कुछ राहत मिल सकेगा। किसानों ने बताया की 17 ग्रामीण समिति के लगभग 30 हजार किसानों को धान बोनस की चार किश्त की राशि, प्रधानमंत्री सम्मान निधि की राशि, अप्रेल माह से लगातार ऋण की राशि और दिसम्बर जनवरी फरवरी में धान बेचने के बाद बैंक से राशि निकालने के लिए किसानों की अधिक भीड़ पूरे वर्ष भर रहता है। किसानों को पूरा एक दिन का समय गाँव से आने जाने व राशि निकलने में ही यू ही निकल जाता है।इसके अतिरिक्त ग्रामीण मजदूर भी अन्य योजनाओं के तहत बैंक में राशि निकालने आते है।