*गज है जीव रूप तो मगर है काल रूप * अवस्थी*
*गज है जीव रूप तो मगर है काल रूप * अवस्थी*
आरंग
गुरुवार को भागवत महापुराण के चतुर्थ दिवस पर गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल की कथा व्यास गद्दी से गजानंद अवस्थी महराज ने कहा कि गजेंद्र मोक्ष कथा में गज जीव रूप का प्रतीक है तो मगर काल रूप है और उन्होंने कहा कि संकट आने पर यदि समय विपरीत हो तो सांसारिक संबध धरे के धरे रह जाते है केवल अलौकिक सत्ता से संबद्ध ही शाश्वत सत्य है । भक्त प्रहलाद की पावन कथा समुद्र मंथन, देवासुर संग्राम,नर्सिंग अवतार आदि पौराणिक कथाओं को वैज्ञानिक तर्क कसौटी पर कसते हुए उन्होंने दार्शनिक अंदाज में कहा कि समुद्र मंथन से हलाहल विष निकला जिसे सम्मर्थ वान ही धारण कर सकते थे और वही शिव है जिन्होंने सब के कल्याण हेतु नीलकंठ बनना स्वीकार किया ।
इस अवसर पर उन्होंने चराचर जगत में जल के महत्व को भी प्रतिपादित किया और कहा सांसारिक कार्य तो चलते रहेंगे पर जीवन कल्याण के लिए हरि कथा श्रवण के लिए समय निकालना चाहिए। इस अवसर पर चतुर्वेदी परिवार के अलावा नगर के गणमान्य नागरिक गण माताओं एवं बहनों की अच्छी खासी उपस्थिति रही वाद्य यंत्रों के साथ संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा लोगों को भाव विभोर कर रही है।