नवापारा व राजिम नगर के मंदिरो मे मनाया बड़े ही धूमधाम से जन्माष्टमी - fastnewsharpal.com
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नवापारा व राजिम नगर के मंदिरो मे मनाया बड़े ही धूमधाम से जन्माष्टमी

नवापारा व राजिम नगर के मंदिरो मे मनाया बड़े ही धूमधाम से जन्माष्टमी 



नवापारा (राजिम)

 देश भर में श्रीकृष्ण भगवान के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया गया, भगवान श्री राजीवलोचन, श्रीराधाकृष्ण, श्रीसत्यनारायण मन्दिरों में भगवान श्रीकृष्ण के श्री विग्रहों को बड़े मनोहारी ढंग से सजाया गया था, पुष्टि मार्गीय श्री गोवर्धननाथ जी की हवेली में एवम  महाप्रभूजी की प्राकट्य स्थली चंपारण धाम में भी ठाकुरजी का अभिषेक पूजन विधि विधान से हुआ,हर्ष और उल्लास के इस उत्सव को लोगों ने अपने घरों में लड्डू गोपाल का श्रृंगार करके एवम अपने घर के नन्हे मुन्ने बच्चों को बाल कृष्ण के रूप में सजाकर मनाया, उनकी झांकियां निकाली गई,



 अर्द्ध रात्रि 12 बजते ही मन्दिरों में घंटे घड़ियाल, झालर, शंख बजने लगे और फिर भगवान को माखन मिश्री का, पंजीरी का भोग लगाकर उनकी आरती उतारी गई और भक्तजनों को प्रसाद वितरित किया गया, पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कहा की श्री कृष्ण का प्राकट्य तो हर युग में होता है, "संभवामी युगे यूगे" कभी वो रक्त वर्ण  में, तो कभी पीत वर्ण में, तो कभी श्वेत वर्ण में  अवतार लेते हैं, भगवान का नामकरण संस्कार  गोकुल में नन्द बाबा की गौशाला में गर्गाचार्य जी ने बताया कि इस बार यह कृष्ण वर्ण में हुआ है , इसलिए यह कृष्ण कहलाएगा, जब श्री कृष्ण हुए तो कहा गया कि नन्द घर आनन्द भयो, कृष्ण साक्षात आनन्द हैं, वही परमानन्द ब्रह्म हैं इस स्वार्थ और अवसाद से भरे संसार को आशा और आनन्द से भरने , नीरस जीवन को सरस बनाने के लिए ही तो श्री कृष्ण का प्राकट्य हुआ है, जेल में जन्म, पैदा होते ही उन्हें जान से मारने की अनगिनत कोशिशें, उनके पहले प्यार राधा का उनसे बिछड़ जाना, उनको  उनके अपनों से हमेशा के लिए अलग कर देना उसके बाद भी उनकी मनमोहनी मुस्कान को उनसे कोई भी नहीं छीन पाया, नाग के फन पर नाच कर , कुरुक्षेत्र के रण में गीता का अद्भुत उपदेश देकर, गायों को चराने के लिए जंगलों में उनके बीच रहकर भी वो द्वारकाधीश बने, यह सबकुछ उनके भक्तों को प्रेरणा देने के लिए अनोखा संदेश है, इसीलिए तो हम सब कहते हैं "श्री कृष्णम वन्दे जगत गुरूम" से अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक हैं, उनकी श्री मद्भागवत व गीता हमको जीने मरने की कला सिखाती है, ऐसे सर्वेश्वर श्री कृष्ण को बारम्बार प्रणाम है।

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