*उपकारी भी उपकार करने वाले को पाकर धन्य माने वही मार्दव धर्म हैं*--पूज्य निर्यापक मुनिश्री सुधा सागरजी* - fastnewsharpal.com
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*उपकारी भी उपकार करने वाले को पाकर धन्य माने वही मार्दव धर्म हैं*--पूज्य निर्यापक मुनिश्री सुधा सागरजी*

 *उपकारी भी उपकार करने वाले  को पाकर धन्य माने वही मार्दव धर्म हैं*--पूज्य निर्यापक मुनिश्री सुधा सागरजी*



   सुरेन्द्र जैन /धरसींवा 

 दिगंबर जैन समाज के पर्वाधिराज पर्युषण पर्व दशलक्षण पर्व पर उत्तम मार्दव धर्म पर पूज्य आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य पूज्य निर्यापक मुनिश्री सुधासागर जी ने कहा कि उपकारी भी उपकार करने वाले  को पाकर धन्य माने वही मार्दव धर्म हैं।





   पूज्य मुनिश्री ने कहा कि जिसने उपकार किया वह आकर कहें कि मैं धन्य हो गया आज ऐसे व्यक्ति की बात चल रही है गुरु ने दीक्षा दे दी अब बारी है कि हम ऐसा कुछ करें कि गुरु धन्य हो जाये उपकार का बदला जीवन में जरूर चुकना मां बाप ने तुम्हें जन्म देकर बहुत उपकार किया है पच्चीस वर्षों तक तुम्हें इस योग्य बना दिया कि आज तुम सब के बीच अपना स्थान बन रहें हैं इसी तरह गुरु ने दीक्षा देकर आपको उपकृत किया है ऐसा कुछ करें कि गुरु भी धन्य हो जाये दुसरा गोड़ गिफ्ट उपकार करने वाला को मिलता है इससे से वह धन्य हो जाये माता-पिता ने जन्म देकर  उपकार किया ऐसा कुछ करो कि उपकारी धन्य हो जाये माता - पिता बेटे को जन्म देकर धन्य हो जाये एक भिखारी को भी सोचना है कि भीख देने वाला भी धन्य हो जाये तुम्हारी जीवन मे गरीबी आ गयी गरीबी खतरनाक नही है गरीबी को धन्य करना है देने वाला धन्य हो जाये ये गोंड गिफ्ट है रोटी खिलाना कोई बड़ी बात नहीं है रोटी खिलाने वाला धन्य हो जाये रोटी खिलाना कोई बड़ी वात नहीं लेकिन जब आहार देने वाले को धन्यता लगें वह नाच उठे उसे महसूस हो की मैं धन्य हो गया तव मार्दव धर्म प्रकट होता है उक्त आश्य के उद्गार 29 वे अ भा श्रावक संस्कार शिविर ललितपुर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी महाराज ने व्यक्त किए 

मध्यप्रदेश महासभा के संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि श्रावक संस्कार शिविर में आज प्रातः काल की वेला में जगत कल्याण की कामना के लिए प्रथम महा शान्तिधारा थूवोनजी कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अरविंद कुमार मक्कू मुंगावली वह अतुल जैन आनंद कटपीस अशोक नगर के साथ अन्य सैकड़ों भक्तों ने की इसके बाद विनोद भइया के मधुर संगीत के साथ भगवान की महा पूजन की गई 

*जव अशोक जी ने छात्र को सहयोग कर उसकी प्रशंसा की*

  उन्होंने कहा कि एक वच्चा मेरे पास आया और पढ़ाई के लिए किसी सेठ से फीस भरवाने का निवेदन करने लगा मैंने कहा आप परेशानी मे हैं मदद की जरूरत हैं ऐसी स्थिति में कोई भी सेठ तुम्हारी मदद कर सकते हैं कर तो देगा लेकिन इस उपकार को चुकना पड़ेगा इसे कैसे चुकाओगे हम मुनियों की चर्या भी तो पराधीन होती है यह सुन  वह बच्चा घबरा गया वह रो पड़ा इतने में अशोक पाटनी आ गये यहां क्यो आये हो अशोक जी ने कहा मेरे पास आ जाते और उस वच्चे की फीस भर दी ये इतनी अच्छी पढ़ाई करें कि पूरा परिवार अच्छी तरह से पल जाये उस बच्चे को पांच वर्ष तक सहयोग किया पांच वर्ष बाद अशोक पाटनी ने आकर बताया कि महाराज जी उस बच्चे ऐसा स्थान बनाया मैं उस बच्चे का सहयोग करके धन्य हो गया जिनके ऊपर उपकार करने वाले हैं आज वे धन्य हो जाये तो समझ लेना कि उत्तम मार्दव धर्म प्रकट हो गया जब कोई तुम्हारे जीवन में आंसू पोंछने आ जाये किसी के सहयोग करने का भाव आ जाये तो समझ लेना कि मार्दव धर्म प्रकट हो गया तुम्हारी बुद्धि बहुत तेज है तो तुम्हें किसी को सहयोग करने का भाव आ रहा था।हमारे भारत में एक परम्परा है कि हम बड़ो के चरणों में झुकते है तो हमारे यहां बड़े पहले ही झुकने वाले को अपनी छाती से लगा लेते हैं मार्दव का अर्थ इतना सरल हो जाओ कि बड़े तुम्हे अपना बना ले

*हमारी संस्कृति पैर छूने वालों को गले लगातीं है*

-जब जब तुम अपने बड़ो के पैर छुने के लिए खड़े हुए तो तुम्हें मनुष्य गति का बंध होने लगेगा जव भी आप बड़ो को नमस्कार करते हों तुम नरक और तिर्यंच गति से बचते चलें जाओगे तुम्हारे लिए उच्च गोत्र का बंध होगा तुम घर में भी माता पिता के सामने खड़े नहीं तो तुम्हारे लिए नीच गोत्र का बंध होगा अपने वड़ो का सम्मान करते करते तुम मर भी गये तो उच्च पदों को प्राप्त करोगे प्रकृति भी हमे आदर्श के रूप मे सम्मान करे,मेरी आंख जिसको देख ले वह धन्य हो जाये, हमे हाथों से ऐसा कार्य करना है जिससे जगत का कल्याण हो जायें हमसे हवाये स्पर्श करे वह सुगन्धित हो जाये,जल हमारे सम्पर्क मे आये वो जल अशुद्ध न होकर  गंधोदक बन जाये-संकलन ब्र.महावीर भैया जी एवं विजय धुर्रा

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