*निर्वाण भूमि सम्मेदशिखरजी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने से भड़की जैन समाज,सौपा ज्ञापन*
*निर्वाण भूमि सम्मेदशिखरजी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने से भड़की जैन समाज,सौपा ज्ञापन*
*व्यापारिक प्रतिष्ठान रखे बन्द,काली पट्टी लगाकर जताया विरोध*
सुरेन्द्र जैन/ धरसीवा
झारखंड स्थित बीस तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि पावन पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र सम्मीदशिखर जी को केंद्र सरकार द्वारा पर्यटन क्षेत्र घोषित करने से जैन समाज भड़क उठी है बुधवार को सांकरा सिलतरा धरसीवा की जैन समाज ने प्रतिष्ठान बंद रखकर काली पट्टी लगाकर विरोध जताया और राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के नाम तहसीलदार धरसीवा एवं पीसीसी चीफ मोहन मारकाम व विधायक अनिता शर्मा को ज्ञापन सौपा।
झारखंड के मधुवन स्थित तीर्थराज सम्मेदशिखरजी के प्रति भारतवर्ष ही नहीं अपितु विदेशों में निवासरत जैनियो की भी अटूट आस्था व श्रद्धा है क्योकि यह कोई मामूली तीर्थ नहीं बल्कि यह बीस तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि है इसलिए इस पावन पावित्र पर्वत पर स्थित प्राचीन जैन तीर्थ मंदिरों की 27 किलो मीटर की तीर्थ वन्दना के समय कोई भी जैन वहां किसी भी प्रकार की अपवित्रता नहीं फैलाता पूरी तरह संयम नियम के साथ तीर्थ वन्दना की जाती है
लेकिन तत्कालीन राज्य व केंद्र सरकार द्वारा उसे पर्यटन क्षेत्र बनाने से उस पावन पावित्र पर्वत निर्वाण भूमि की पवित्रता भी नष्ट होगी इसीलिए केंद्र सरकार द्वारा उसे पर्यटन घोषित किये जाने से जैन समाज आहत है और देशभर में समाज आआन्दोलन प्रदर्शन कर रही है
सांकरा सिलतरा धरसीवा कूँरा की जैन समाज के पुरुष व महिलाओं ने अपने प्रतिष्ठान बन्द रखकर काली पट्टी लगाकर सांकरा में विरोध स्वरूप मौन जुलूस निकाला ततपश्चात धरसीवा में मौज जुलूस निकालकर तहसील कार्यालय जाकर तहसीलदार अजय चंद्रवंशी को ज्ञापन सौपा।
*पीसीसी चीफ मरकाम बोले तीर्थ स्थल को पर्यटन घोषित करना उचित नहीं*
जैन समाज ने धरसीवा विश्राम गृह में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मारकाम एवं क्षेत्रीय विधायक अनिता शर्मा को भी ज्ञापन सौपा पीसीसी चीफ मोहन मारकाम ने जैन समाज की भावनाओ की कद्र करते हुए कहा कि तीर्थ ओर पर्यटन में बहुत अंतर होता है तीर्थ स्थल पावन पावित्र होते हैं उन्हें कभी पर्यटन घोषित नहीं किया जाना चाहिए जैन समाज की भावनाओ को हम राष्ट्रपतिजी व केंद्र सरकार तक पहुचायेगे ओर पूरा प्रयास करेंगे कि केंद्र अपना निर्णय वापस ले