विलक्षण प्रतिभा के धनी संत कवि पवन दीवान(1जनवरी जयंती विशेष)
विलक्षण प्रतिभा के धनी संत कवि पवन दीवान(1जनवरी जयंती विशेष)
संत कवि पवन दीवान राजिम क्षेत्र के आदर्श ग्राम किरवई के माटी में पले बढ़े एक ऐसा व्यक्तित्व था,जिन्होंने अपने जीवन काल में अपने साथ साथ अपने गाँव, गुरुजनों एवम पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया था, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर समाज के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है और उनसे हम सभी को काफी कुछ सीखने को मिला, आपने साहित्य,धर्म,राजनीति हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया,आदरणीय संत कवि पवन दीवान जी जब भागवत कथा करने हेतु मंच पर आसीन होते थेऔर अपनी धाराप्रवाह ज्ञान से दर्शकों को जिस अंदाज में प्रवचन देते थे तो ऐसा लगता था मानों साक्षात शुकदेव महाराज जी कथा कह रहे हो,दीवान जी के प्रति लोगों का दीवानगी एवम जुनून देखते ही बनता था, लोग जमीन पर लोट लोट कर भगवान के तुल्य प्रणाम करके आशीर्वाद लेते नहीं थकते थे|
संत कवि पवन दीवान जी जब भी कवि के रूप में साहित्यिक मंचों पर काव्य पाठ करते थे तो सारा माहौल ओज, श्रृंगार एवम देशभक्ति की भावना से झूम उठते थे| माँ शारदे की कृपा उन पर साक्षात बरसती थी, सरस्वती पुत्र के रूप में उनके द्वारा लिखा गया "अम्बर का आशीष,राख,जहाँ घंटियों की सरगम है, जैसे अनेक गीतों के काव्य संग्रह जैसे हजारों सुने अनसुने गीत आज भी सैकड़ों कवियों के लिए प्रेरणा श्रोत् के रूप में कार्य करती है। स्वामी कृष्णारंजन जी के साथ उनकी जोड़ी एवम वाकपटुता देखते ही बनता था| दीवान जी हिंदी, छत्तिसगढी, संस्कृत एवम अंग्रेजी भाषा के प्रकांड विद्वान के रूप में माने और जाने जाते थे|
दीवान जी ने राजनीति में कदम बड़े ही शांत भाव से किया था,विधायक,सांसद एवम मंत्री के रूप में आपके द्वारा किया गया कार्य आज भी लोगों को जुबानी याद है, छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नदृष्टा के रूप में आप सदैव याद किये जायेंगे,"पवन नहीं वह आँधी है,छत्तीसगढ़ के गाँधी है",यह नारे आपके राजनीतिक व्यक्तित्व को काफी ऊँचाई प्रदान करते थे,आपके ही कुशल नेतृत्व का परिणाम है कि आज पृथक छत्तीसगढ़ का न केवल जन्म हुआ बल्कि छत्तिसगढ़ीया लोगों का स्वप्न भी साकार हुआ है|समूचा छत्तीसगढ़ आपका सदैव ऋणी रहेगा|
सादा जीवन उच्च विचार आपके व्यक्तित्व की खासियत रही है, भगवा रंग में रंगा तन मन, प्रभु की भक्ति में रमा हुआ जीवन छोटे से लेकर बड़े तक हर वर्ग के लोगों के बीच आपका और आपके बीच लोगों का पहुँच बहुत ही सरल एवम सहज था, मुस्कुराते चेहरा,निश्चल हँसी की वो अट्ठाहस आज भी लोगों के मन में शहद घोलती है,तो गरीब और असहाय लोगों के प्रति आपकी करुणा एवम संवेदना मन को द्रवित कर देती है,तानाशाहों के निरंकुश रवैयों को आप कतई बर्दास्त नहीँ करते थे अन्याय और अन्यायी दोनों के प्रति आपका व्यवहार मुनि दुर्वासा की तरह बहुत कठोर हुआ करते थे|राजनीति में पक्ष एवम विपक्ष दोनों ही तरफ के राजनीतिज्ञ आपका सम्मान करते थे और आपके पल भर के साथ को अपने जीवन की अहम पूँजी मानते थे|
राजिम आज जिस रूप में विकास की ओर अग्रसर हो रहा है यह आपके बताये राह पर चलने का प्रतिफल है, चाहे राजिम माता धर्मशाला हो,कौशिल्या माता मंदिर हो, हर रूप में हर हालात मे आपने यहाँ की विकास को अपनी प्राथमिकता में रखा है, चंदखुरी में भव्य श्रीराम की आदम कद प्रतिमा हो या श्री राम वन गमन परिपथ निर्माण आज जो योजना शासन क्रियांवित कर रही है उसमें संत कवि पवन दीवान जी का मार्गदर्शन एवम आशीष मिला हुआ है|
अनेक विलक्षण प्रतिभाओं से भरपूर इस महामानव को मेरा सादर प्रणाम और शत शत नमन है|
आलेख
श्रवण कुमार साहू "प्रखर"
राजिम, गरियाबंद, (छ. ग.)