*ब्रम्हकुमारीज गरियाबंद में मकर सक्रांति के अवसर पर हल्दी कुमकुम कार्यक्रम*
*ब्रम्हकुमारीज गरियाबंद में मकर सक्रांति के अवसर पर हल्दी कुमकुम कार्यक्रम*
गरियाबंद
आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत के अग्रणी माताओं, बहनों के लिए ब्रम्हकुमारीज गरियाबंद में मकर सक्रांति के अवसर पर हल्दी कुमकुम कार्यक्रम किया गया ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हमारे गरियाबंद जिले से न्यायाधीश महोदया तेजेश्वरी देवी देवांगन जी के पावन सानिध्य में मंचासीन ब्रह्माकुमारीज गरियाबंद संस्था के संचालिका बी के बिंदु दीदी, संस्था संचालिका कोपरा बीके कुंती बहन, संस्था संचालिका खंडमा बीके अंसु बहन, महिला मंडल भा.ज.पा महामंत्री, श्रीमती रेणुका साहू, श्रीमती जानकी ध्रुव सरपंच आमदी गरियाबंद, पार्षद श्रीमति विमला साहू, पूर्व नगर नगर पालिका अध्यक्ष, श्रीमती मिलेश्वरी साहू, बीके गीता दीदी रहे। स्वर्णिम भारत की ध्वज वाहक नारी कार्यक्रम का उद्घाटन बीके लक्ष्मी बहन, बीके दामिनी के सहयोग से आत्मिक तिलक, गुलदस्ते व दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।
मकर सक्रांति पर आयोजित हल्दी कुमकुम कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। इस कार्यक्रम को संस्था की संचालिका बीके बिंदु दीदी ने ओजस्वी वचनों जिसमें की जीवन में सत्यज्ञान आता है तो उस से पवित्रता आती है ।पवित्रता का अर्थ है अंदर बाहर एक। इससे हमारा तन काया कल्प तरु समान बन जाती है ।हल्दी का आध्यात्मिक अर्थ होता है हेल्दि अर्थात स्वस्थ तन। जब हमारे जीवन में पवित्रता आ जाती है तो तन भी निरोगी बन जाता है और कुमकुम का अर्थ होता हैअविनाशी सुहाग। जैसे हमारी शरीर और आत्मा का कमाइंड है। पतिव्रता नारी की निशानी सदा वह अपने सिर पर कुमकुम लगाती है अर्थात उसका जीवन साथी इस दुनिया में है। ऐसे ही हम आत्माओं का पिता परमात्माहै। उसकी याद में ही यह कुमकुम लगाते हैं। जिससे हमारा जीवन सत्यम शिवम सुंदरम बन जाता है । अर्थात जीवन से मृत्यु का भय, चिंता, डर निकल जाती है। इस अवसर पर उपस्थित न्यायाधीश महोदया तेजेश्वरी देवी देवांगन ने अपने उद्बोधन में स्वर्णिम भारत की ध्वजवाहक नारी को संबोधित करते हुए बताया कि महिला अध्यात्म से परिपूर्ण हो जाए और निर्विकार बन जाए तो समाज का उत्थान होना ही है। कार्यक्षमता और कार्यकुशलता दोनों शाक्ति के कारण महिलाये आगे है। हम घर में ही रहकर अपने पति बच्चे भाई पड़ोसी को नशा मुक्त भ्रष्टाचार से दूर करके अच्छे राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं । इस अवसर पर सेवा केंद्र संचालिका कोपरा, ब्रह्माकुमारी कुन्ती बहन ने बताया कि नारी के अंदर एक अदृश्य शक्ति पवित्रता है और जिसके अंदर पवित्रता है वही नारी ध्वजवाहक बन सकती है।सभी के प्रति अच्छी भावना रखें, सबके साथ प्रेम का स्वरूप होना जरूरी है। परिवार को संस्कारित करने में माताओं का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मुख्य वक्ता के रुप में पधारे अंसू बहन ने कहा कि स्वर्णिम भारत की स्थापना करने के लिए नारी में क्षमा, सेवाभाव के कारण हम इतना असंभव कार्य भी संभव कर सकते हैं ।नारी शक्ति आदिकाल से पूज्य स्वरूप से चली आ रही है। अपनी सोई हुई शक्तियां अगर हम पहचान ले तो हम नारी अबला नहीं एक शक्तिशाली नारी बन सकते हैं। बीके गीता बहन ने कहा कि हमे प्रतिदिन विश्व के बारे में, देश के बारे में ,समाज के बारे में, फिर परिवार के बारे में ,अंत में अपने बारे में जरूर सोचना चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित सभी माताओं बहनों को विशेष भोग एवं अतिथियों को सम्मानित किया गया एवं अंत में धन्यवाद ज्ञापन सेवानिवृत्त शिक्षक श्री गंगासागर भाई के द्वारा गीत के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी बिंदु दीदी ने किया।