ब्रह्माकुमारीज़ मण्डला द्वारा 87वीं त्रिमूर्ति शिवजयंती के उपलक्ष्य पर सन्त सम्मेलन का किया आयोजन - fastnewsharpal.com
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ब्रह्माकुमारीज़ मण्डला द्वारा 87वीं त्रिमूर्ति शिवजयंती के उपलक्ष्य पर सन्त सम्मेलन का किया आयोजन

 ब्रह्माकुमारीज़ मण्डला  द्वारा 87वीं त्रिमूर्ति शिवजयंती के उपलक्ष्य पर सन्त सम्मेलन का किया आयोजन 



मण्डला

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मण्डला के द्वारा 87वीं त्रिमूर्ति शिवजयंती के पावन पर्व पर सन्त सम्मेलन कार्यक्रम "परमात्मा का सत्य परिचय क्या है?" विषय पर रखा गया। यह कार्यक्रम बस स्टैंड के पीछे स्थित स्थानीय सेवाकेंद्र "विश्व शान्ति भवन" के सभाग्रह में आयोजित हुआ।








इस कार्यक्रम में मण्डला क्षैत्रीय संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ममता दीदी, पड़ाव वार्ड सेवाकेंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ओमलता दीदी,  रामकृष्ण सेवाश्रम के संचालक भ्राता शारदात्मानन्द स्वामी, निर्भय नर्मदा आश्रम से भ्राता प्रेमानन्द स्वामी जी,देवबप्पा सेवाश्रम सुरँगदेवरी से भ्राता सच्चिदानंद स्वामी, काशी विश्वनाथ वैदिक गुरुकुल से भ्राता आचार्य भीमदेव, नर्मदा आश्रम खड़देवरा से भ्राता योगी रामेश्वरनाथ एवं अधिक से अधिक शिवभक्त उपस्थित रहे।


सर्वप्रथम ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी एवं ब्रह्माकुमारी शिवकुमारी बहन ने मंचासीन संतों का और अतिथियों का पुष्पगुच्छ और बैज, तिलक लगाकर स्वागत किया।






ब्रह्माकुमारी ओमलता दीदी ने सभी मंचासीन सन्तों का शब्द पुष्पों से स्वागत किया। साथ ही सभी को बताया कि शास्त्रों में वर्णित धर्म की अतिग्लानि का यह वही समय है। इस समय ही स्वयं परमपिता परमात्मा आकर मानव को फिर से देव बनने की शिक्षा देते हैं। यदि हम पवित्र बनें तो इस भूमि पर स्वर्ग आने में देरी नहीं लगेगी।


ब्रह्माकुमारी ममता दीदी जी ने कहा कि शिवलिंग पर तीन रेखाएं परमात्मा द्वारा रचे गए तीन देवताओं की ही प्रतीक हैं। परमात्मा शिव तीनों लोकों के स्वामी हैं। तीन पत्तों का बेल-पत्र और तीन रेखाएं परमात्मा के ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के भी रचयिता होने का प्रतीक हैं। वे प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सतयुगी दैवी सृष्टि की स्थापना, विष्णु द्वारा पालना और शंकर द्वारा कलियुगी आसुरी सृष्टि का विनाश कराते हैं। इस सृष्टि के सारे संचालन में इन तीनों देवताओं का ही विशेष अहम योगदान है।


स्वामी शारदात्मानन्द स्वामी जी ने सभी को  शिवजयंती की शुभकामनाएं दीं और सभी को परमपिता परमात्मा शिव का ध्यान से हमारा मन और बुद्धि स्वच्छ होती है।


स्वामी सच्चिदानंद जी ने कहा कि परमात्मा को जानने के लिए हमें स्वयं को पहचानना जरूरी है।


भीमदेव आचार्य जी ने कहा कि हमें अपने जीवन में अच्छे संस्कार लाने के लिए परमपिता परमात्मा शिव का ध्यान करना चाहिए।

इसके बाद सभी संतों को ईश्वरीय उपहार दिया गया।


कार्यक्रम के पश्चात शोभायात्रा निकाली गई। यह शोभायात्रा बस स्टैंड के पीछे स्थित स्थानीय सेवा केंद्र विश्व शांति भवन से प्रारंभ होकर ज्ञानदीप स्कूल, चिलमन चौक, लालीपुर, ईडन गार्डन, बिंझिया  होते हुए संजय नगर, ब्रह्माकुमारी गीता पाठशाला,वृंदावन गार्डन में संपन्न हुई। यहाँ पर पब्लिक प्रोग्राम का आयोजन किया।

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