लाफिन कला में महिलाओं ने निभाई जंवारा बदने की परंपरा,विलुप्त होती जंवारा बदने की परंपरा को सहेजने युवाओं की अनूठी पहल - fastnewsharpal.com
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लाफिन कला में महिलाओं ने निभाई जंवारा बदने की परंपरा,विलुप्त होती जंवारा बदने की परंपरा को सहेजने युवाओं की अनूठी पहल

 लाफिन कला में महिलाओं ने निभाई जंवारा बदने की परंपरा,विलुप्त होती जंवारा बदने की परंपरा को सहेजने युवाओं की अनूठी पहल



महासमुंद

 सदियों से छत्तीसगढ़ में जंवारा बदने की परंपरा चली आ रही है। जिसमें नवरात्र में जंवारा समापन के पश्चात् समान विचार रखने वाले दो लोग एक दूसरे के कानों में जंवारा लगाते है।साथ ही अग्नि को साक्षी मानकर एक दूसरे को श्रीफल भेंटकर जंवारा बदते  हैं।जंवारा किसी भी जाति धर्म के महिला - महिला, पुरूष- पुरुष या बच्चे -बच्चे कोई भी उम्र के साथ जंवारा बद सकते हैं।इसी कड़ी में जिला मुख्यालय महासमुंद से संलग्न ग्राम लाफिन कला के उत्साही युवा महेन्द्र कुमार पटेल और गोवर्धन प्रसाद साहू के पहल पर ग्राम के पांच जोड़ी महिलाओं ने जंवारा बदने की परंपरा निभाई।ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में जंवारा बोने और विसर्जन की परंपरा नवरात्रि के दौरान एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन है।जंवारा गेहूं या जौ के अंकुरित पौधे होते हैं,जो देवी की शक्ति और करुणा का प्रतीक हैं।

इन्होंने निभाई जंवारा बदने की परंपरा तारा पटेल साथ दुर्गा यादव, सोनबती साहू साथ बिसनी निषाद,शांति पटेल साथ तुलसी यादव,चित्रेखा निषाद साथ हेमबाई साहू,चन्दा पटेल साथ पूनम निषाद बतादें कि जंवारा बदने के पश्चात एक दूसरे का नाम नहीं लिया जाता। जीवन भर कभी भी भेंट होने पर सीताराम जंवारा कहकर अभिवादन किया जाता है।


छत्तीसगढ़ में मित्र के रूप में मितान बदने की रही है परंपरा 






जिसमें जंवारा, गंगाजल,गंगा बारु,गेंदा फूल,धंवई फूल, भोजली, तुलसीजल,महाप्रसाद ,गोवर्धन, बदने का प्रचलन है।इन रिश्तों को पीढ़ी दर पीढ़ी निभाई जाती है।ग्राम लाफिन कला निवासी संस्कृति प्रेमी नवाचारी शिक्षक महेन्द्र पटेल बताते हैं उनके पिताजी स्वर्गीय शिवचरण पटेल और स्वर्गीय छत्तरसाय साहू के साथ बदे गंगाजल की रिश्तेदारी को उनके अगली पीढ़ी निभा रहे हैं। आज भी दोनों परिवारों के बीच सुख दुख के सभी कार्यक्रमों में आना जाना हैं। आज भी ऐसे अनेक उदाहरण देखने सुनने को मिलता है।

वही इस परंपरा को आगे बढ़ाने में ग्राम के बइगा

घसिया पटेल, सुकदेव साहू, महेन्द्र पटेल, गोवर्धन साहू 

जनक राम साहू, तोषकुमार साहू,रामकुमार साहू,नेतन पटेल, हरिराम साहू, पवन साहू,जनकराम साहू, रामजी साहू, कमलेश साहू आदि की अहम् भूमिका रही।

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