*भाजपा कांग्रेस के लिए आसान नहीं धरसीवा कि डगर,त्रिकोणीय संघर्ष के बने समीकरण* - fastnewsharpal.com
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*भाजपा कांग्रेस के लिए आसान नहीं धरसीवा कि डगर,त्रिकोणीय संघर्ष के बने समीकरण*

 *भाजपा कांग्रेस के लिए आसान नहीं धरसीवा कि डगर,त्रिकोणीय संघर्ष के बने समीकरण*



*प्रदूषण व शोषण जैंसे मुद्दों पर दोनो दलों की सरकारें रहीं मौन*

     सुरेन्द्र जैन/ धरसीवा

 छ्त्तीसगढ की सबसे बड़ी ओर राजधानी रायपुर से सटी धरसीवा विधानसभा में इस बार कांग्रेस और भाजपा की डगर आसान नहीं दिख रही है पृथक छतीसगढ़ गठन के बाद से दोनो ही प्रमुख राजनीतिक दलों की सरकारों  के समय ओधौगिक प्रदूषण की भयावह तस्वीरे ओर स्थानियो की उपेक्षा व  शोषण देखती आ रही जनता मौन है जनता का यह मौन क्या गुल खिलायेगा समझना मुश्किल है वहीं छत्तीसगढ़िया के हक की आवाज उठाने वाली छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना जौहर छत्तीसगढ़ नाम से क्षेत्रीय पार्टी बनाकर मैदान में है इससे त्रिकोणीय संघर्ष के समीकरण पहले ही बन चुके हैं ऐंसे में यदि जनता ने तीसरा विकल्प चुनने का मन बना लिया तो यह कहना कठिन नहीं हॉगा कि दोनो ही प्रमुख राजनीतिक दल देखते रह जाएंगे और तीसरा बाजी मार लेगा।

   *भीतरघात से जूझेगी कांग्रेस*

    भीतरघात एक ऐंसा जहर है जो बड़ी से बड़ी राजनीतिक पार्टी के अच्छे से अच्छे उम्मीदवारों को पराजय का स्वाद चखा देती है इस बार कांग्रेस को भी भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है जो कांग्रेस के लिए घातक होगा दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी के लिए भी डगर कोई आसान नहीं है जौहर छत्तीसगढ़ से चुनावी मैदान में उतरे अमित बघेल कभी भाजपा की जीत की जड़ रह चुके हैं और चुनावी गणित बहुत अच्छी तरह से जानते हैं दोनो ही प्रमुख राजनीतिक दलों के जमीनी कार्यकर्ताओ के वह संपर्क में रहे हैं और अब भी हैं इसका लाभ  उन्हे मिला तो यह दोनो राष्ट्रीय पार्टियों को खतरे की घण्टी होगी।

   *प्रदूषण से न भाजपा न कांग्रेस सरकार दिला पाई मुक्ति*

    धरसीवा विधानसभा में प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है प्रदूषण से हर आम ग्रामीण हलाकान है 

   न भाजपा के 15 साल के शासनकाल में प्रदूषण से ग्रामीणो को मुक्ति मिली न का ग्रेस के 5 सालों के राज में  हालांकि भाजपा शासनकाल में सत्ताधारी दल के तत्कालीन  विधायक ने हल्का बोल अभियान भी चलाया था ओर अपनी ही पार्टी के मंत्रियों तक को घेरा था लेकिन कुछ दिन थोड़ा आराम रहने के बाद स्थिति जस की तस हो गई इसके बाद प्रदूषण या शोषण के खिलाफ कभी दोनो में से  कोई  भी राजनीतिक दल आवाज नहीं उठाया।

  *मीडिया प्रभारी हुए सक्रिय*

    एक प्रमुख राजनीतिक दल के मीडिया प्रभारी  बीते 5 सालों तक सत्ताधारी दल  से जुड़े रहे ओर खूब मलाई खाई लेकिन जैंसे ही चुनाव आया वह अपनी पार्टी में वापस पहुच गए पार्टी ने भी प्रचार प्रसार के लिए उन्हें गाड़ी दे दी है सत्ताधारी दल से 5 साल तक जुड़े रहकर उन्होंने जो पॉइंट हांसिल किये अब वह उन्हें उनकी असली पार्टी की जड़ें मजबूत करने में लाभदायक साबित हो रही हैं।

   *पूर्व विधायक की टीम सक्रिय*

    लगातार 3 बार विधायक रहे एक भूतपूर्व विधायक जी की टीम चुनावी मोर्चा संभाल चुकी है नेताजी बहुत अनुभवी हैं चतुर भी बहुत हैं ओर उनसे दोनो ही दलों के लोग शुरू से जड़े रहे जो उनकी जीत का कारण बनता था अब नेताजी स्वयं तो सामने नहीं आ रहे लेकिन उनकी पुरानी टीम मोर्चा संभाल चुकी है ।

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