प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 55वी पुण्य तिथी विश्व शाँति दिवस के रूप में मनाया गया
प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 55वी पुण्य तिथी विश्व शाँति दिवस के रूप में मनाया गया
हर विपरित परिस्थिती मे संतुलन बनाए रखने के लिए ब्रह्मा बाबा की शिक्षाये मार्गदर्शक है-----ब्रह्माकुमारी अंशु दीदी
तेजस्वी /छुरा
18जनवरी ब्रह्मा बाबा का स्मृति दिवस को विश्व के 140 देशो मे विश्व शांति दिवस के रूप में गया। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक दादा लेखराज जिसका अलौकिक नाम ब्रह्मा बाबा था जिन्होने 18 जनवरी 1969 को अपना पार्थिव देह त्याग कर अव्यक्त हुए। इस दिन को ब्रह्माकुमारीज़ के सभी सेवा केन्द्रो में अव्यक्त दिवस के रुप मे मनाया जाता है । इसे शान्ती दिवस के रुप मे भी मनाया जा रहा है।ग्राम खड़मा स्थित ओम शांति भवन, सेवा केंद्र पर ब्रह्मावत्सो द्वारा ब्रह्मा बाबा की स्मृति दिवस मनाई गई ।सेवा केंद्र की राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अंशु बहन ने कहा कि जिन्हें अबला और अशिक्षित समझते रहे उस अबला को सबला, शिव की शक्ति और आत्मदर्शन, परमात्मदर्शन, कर्मदर्शन तथा राजयोग का दिव्य ज्ञान देकर, अष्टशक्तियों एवं 24 दिव्य गुणों से सजाया व
देवस्वरूपा बनाने की सद्प्रेरणा पिताश्री ब्रह्मा बाबा ने मातृशक्तियों को दी। उन्होंने कहा कि जितना योग यानि परमात्मा याद स्मृति में रहेंगे, प्रकृति की तमोप्रधानता का प्रभाव नहीं पड़ेगा और प्रकृतिजीत बनते जाएंगे। हर विपरीत परिस्थिति में संतुलन बनाए रखने के लिए बाबा की शिक्षाएं मार्गदर्शक हैं।
उन्होंने कहा कि कल्याणकारी परमात्मा के हर कार्य में, श्रीमत में कल्याण समाया हुआ है।वही बीके नम्रता बहन ने ब्रह्मा बाबा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रह्मा बाबा त्याग तपस्या के प्रतिमूर्ति थे। उनके त्याग से आज छोटी सी संस्था वट वृक्ष बन गई। ब्रह्मा बाबा ने सभी को आगे बढ़ाया। वो सभी की विशेषता को देखते थे। सभी में देवता स्वरूप को देखते थे। सेवा केंद्र अन्तर्गत विभिन्न आस पास के ग्रामो में संचालित ब्रह्माकुमारीज़ गीतापाठ शाला के ब्रह्मवात्सो ने ब्रह्मा बाबा के प्रतीकात्मक छाया चित्र पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए योग ध्यान किये।