संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज का देवलोक गमन धर्म एवम आध्यात्म जगत की एक अपूरणीय क्षति- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री - fastnewsharpal.com
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संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज का देवलोक गमन धर्म एवम आध्यात्म जगत की एक अपूरणीय क्षति- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री

संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज का देवलोक गमन धर्म एवम आध्यात्म जगत की एक अपूरणीय क्षति- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री




नवापारा(राजिम)

 संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज का देवलोक गमन धर्म एवम आध्यात्म जगत की एक अपूरणीय क्षति है, अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने उक्त वचन कहे, विदित हो कि 17 फरवरी की अर्धरात्रि पश्चात 2:35 पर गुरु भगवंत की समाधि हो गई, वे चिर निद्रा में विलीन हो गए, समूचे भारत वर्ष में धर्म जागरण की अलख जगाता हुआ यह अनथक पथिक 78 वर्ष की आयु पूरी करके हम सबको रोता बिलखता छोड़ गया, संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, मराठी, कन्नड़ आदि अनेक भाषाओं के ज्ञाता की विभिन्न कालजई रचनाएं हैं, जिन पर अनेक शोधार्थियों ने अध्ययन कर मास्टर्स और डॉक्टर्स की डिग्री ली, उनके महाकाव्य "मूकमाटी"  को हिंदी के पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया,  ब्रह्मदत्त ने याद किया कि विगत शिक्षक दिवस पर रायपुर में आयोजित  अखिल भारतीय शिक्षक दिवस पर महाराज श्री विद्यासागर जी के चंद्रगिरी ट्रस्ट के द्वारा आयोजित  एक गरिमामय आयोजन में मुझे राज्यसभा सदस्य श्री वीरेन्द्र हेगड़े जी द्वारा सम्मानित किया गया,यह गुरु कृपा ही तो है, उन्होंने याद किया कि आज से 10 वर्ष पहले जब महाराज जी अपने संघ के साथ नवापारा आए थे तो अपने विहार से पहले उन्होंने अपना अंतिम आशीष प्रवचन वृंदावन कुंज में दिया था, उनके प्रवचन से पूर्व मैने उनकी भाव स्तुति करते हुए कहा था कि "गुरु से शिष्य की क्या बात अनजानी है, सागर को मालूम है कि बूंद में कितना पानी है" और बाद में जब उन्होंने अपने प्रवचन की शुरुआत की थी तो कहा था कि बूंद कभी यह ना समझे कि वो छोटी सी है, बूंद बूंद से ही तो सागर बनता है, हर बूंद में सागर समाया हुआ है, अपने करुणा बरसाते नयनों से  जब वे यह कह रहे थे तो लगा कि अंतर्यामी सदगुरु भगवान क्यों सभी के हृदय सम्राट कहलाते हैं, अभी छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के समय हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री मोदीजी भी उनके दर्शन करने के लिए डोंगरगढ़ गए थे, विदित हो कि हमारे देश को इण्डिया ना कहकर "भारत" कहकर पुकारा जाय, यह विचार महाराज श्री विद्यासागर जी का ही था, जिसे मोदी जी ने आदेश मानकर स्वीकार किया, चरितार्थ किया, सकल संसार की ओर से ऐसे विश्व वन्द्य संत को हम सबकी ओर से भाव भरी श्रद्धांजलि, डॉक्टर राजेंद्र गदिया, संजय शैलेश सिंघई परिवार, लालचन्द भागचंद बंगानी , रमेश सौरभ पहाड़िया परिवार, गिरधारी अग्रवाल, विजय गोयल, डॉक्टर बलजीत सिंग, आर  बी शर्मा सरडॉक्टर टी एन रमेश, मनीष जैन, रमेश चौधरी, अशोक गंगवाल, बिनोद जैन सहित नगर के सकल समाज और सामाजिक धार्मिक संस्थाओं ने इस महान संत को अपने अश्रु पुरीत श्रद्धा सुमन भेंट किए हैं

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