*वैश्विक पटल पर भारत का पुनरुत्थान " विषय पर डॉ. अंबेडकर अन्तर्राष्ट्रीय केंद्र दिल्ली में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ संपन्न!* - fastnewsharpal.com
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*वैश्विक पटल पर भारत का पुनरुत्थान " विषय पर डॉ. अंबेडकर अन्तर्राष्ट्रीय केंद्र दिल्ली में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ संपन्न!*

*वैश्विक पटल पर भारत का पुनरुत्थान " विषय पर डॉ. अंबेडकर अन्तर्राष्ट्रीय केंद्र दिल्ली में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ संपन्न!*



आरंग 

*अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के तत्वाधान में शैक्षिक फाउंडेशन द्वारा शिवाजी महाविद्यालय एवं नेशनल कमिशन फॉर प्रमोशन ऑफ सिंधी लैंग्वेज (एनसीपीएस) के सहयोग से  ‘वैश्विक पटल पर भारत का पुनरुत्थान’ विषय पर दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रो. जे.पी. सिंघल (अध्यक्ष, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ) की  अध्यक्षता में डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में 25-26 फ़रवरी 2024 को आयोजित किया गया।*


*कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि माननीय केन्द्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, श्रम एवं रोजगार) एवं विशिष्ट अतिथि  प्रो. योगेश सिंह माननीय कुलपति दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना द्वारा किया गया। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने संबोधन में कहा की  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में भारत ने प्रगति के नए मुकाम हासिल किये हैं । उन्होंने व्यवहार में भारतीयता के विचार पर बल दिया। उन्होंने कहा भारत को विश्व गुरु बनाने की मार्ग प्रशस्ति में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।  कोई भी राष्ट्र तब तक प्रगति नहीं कर सकता जब तक उसके नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन न करें इसलिए शिक्षकों का दायित्व है कि वह शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों  को अपने नागरिक कर्तव्यों के प्रति संवेदनशील बनाएं। उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए कोई भी भारतीय छात्र देश से बाहर न जाए, भारत में ही विश्वस्तरीय शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है। विशिष्ट अतिथिदिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “हम वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में भारत के उल्लेखनीय उद्भव को देख रहे हैं, हमारे देश के भीतर निहित अंतर्निहित क्षमता को स्वीकार करना आवश्यक है।*


*अखिल भारतीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जे. पी. सिंघल ने अपने संबोधन में समग्र विकास पर प्रकाश डाला और पूरे भारत में शिक्षा के क्षेत्र में संगठनात्मक पहलों पर भी प्रकाश डाला। अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा में निवेश सर्वोपरि है। भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग कर देश को वैश्विक मंच पर ज्ञान के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जा सकता है। सम्मेलन के दूसरे दिन प्रोफेसर डॉ.चाँद किरण सलूजा प्रख्यात विद्वान और शिक्षाविद मुख्य अतिथि थे जबकि प्रोफेसर आर के मित्तल कुलपति चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी और प्रोफेसर अशोक के नागावत कुलपति दिल्ली कौशल और उद्यमिता विश्वविद्यालय, दिल्ली विशिष्ट अतिथि थेl प्रो. डॉ. चाँद किरण सलुजा ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों का समाधान प्राचीन भारतीय सभ्यता और भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने का सही तरीका है, जिसने वास्तव में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल किया है। प्रो. आर. के. मित्तल ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान गतिशील युग में समग्र विकास के लिए निरंतर तकनीकी उन्नयन और पंचकोशी शिक्षा के साथ बेरोजगारी की वृद्धि को बदला जा सकता है जो युवाओं को नौकरी चाहने वाले से लेकर नौकरी निर्माता तक ले जाएगा। प्रो. नागावत ने जोर देकर कहा कि दुनिया ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय योगदान को मान्यता दी है और भारतीयों द्वारा प्रदान किए जाने वाले उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं में उच्च अंत अनुसंधान उन्हें दुनिया में सर्वश्रेष्ठ श्रेणी में स्थापित कर सकता है।*


*सम्मेलन के द्वितीय दिवस समापन समारोह में प्रो. एम. जगदेश कुमार, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने बोलते हुए अपने मुख्य भाषण में अपनी दूरदर्शी अंतर्दृष्टि के साथ उपस्थित लोगों को प्रेरित करते हुए, विकसित भारत की नींव रखने में ज्ञान, प्रौद्योगिकी और मूल्यों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है ऐसे में विज्ञान और प्रौद्योगिकी दोनों ही विकसित भारत को आगे ले जाने में सक्षम साबित हो सकते हैं। उन्होंने इस वाक्य पर बोलते हुए कहा कि शिक्षा विकसित भारत बनाने में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है, ऐसे में शिक्षकों को चाहिए कि वह भारतीय ज्ञान परंपरा को लेते हुए भारत को विकसित बनाने में अपना कर्तव्य निभाएं।*


*दक्षिण अफ्रीका के क्वाज़ुलु-नताल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बृज महाराज ने भारतीय संस्कृति में निहित मूल्य पैटर्न को प्रतिध्वनित करने वाले वैश्विक नेतृत्व के एक साधन के रूप में वसुधैव कुटुम्बकम पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्याख्यान दिया और भारत और दक्षिण अफ्रीका में समानताओं को भी साझा किया। वक्ताओं ने शिक्षाविदों द्वारा उठाए गए प्रश्नों का भी उत्तर दिया।आयोजकों ने सभी प्रतिभागियों के उत्साहपूर्ण जुड़ाव और योगदान के लिए आभार व्यक्त किया, जिसने प्रवचन को समृद्ध किया और एक पुनरुत्थानशील भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया। इस आयोजन ने वैश्विक मंच पर भारत की प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सहयोग को बढ़ावा देने, विचारों के आदान-प्रदान और गठबंधन बनाने के लिए एक मंच के रूप में काम किया।*


*विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों के सैकड़ों प्रतिभागियों ने सम्मेलन में भाग लिया और "वैश्विक पटल पर भारत के पुनरुत्थान" पर चर्चा की और अंतर्दृष्टि साझा की, जिससे उपस्थित लोगों और प्रतिभागियों पर समान रूप से गहरा प्रभाव पड़ा। इस सम्मेलन में शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने भारत के पुनरुत्थान के बहुआयामी पहलुओं पर आधारित शोध-पत्र प्रस्तुत किए।*


*सम्मेलन के दौरान,प्रो. मनोज सिन्हा (प्राचार्य, आर्यभट्ट कॉलेज), प्रो. राकेश कुमार पांडेय (प्रोफेसर, किरोड़ीमल कॉलेज), प्रो. वीरेंद्र भारद्वाज (प्राचार्य, शिवाजी कॉलेज), प्रो. गीता भट्ट (निदेशक, NCWEB), नागेश्वर राव कुलपति IGNOU, आलोक चक्रवाल कुलपति गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़, प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय एवं प्रोफेसर डी.पी. अग्रवाल पूर्व अध्यक्ष यूपीएससी एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ से महेंद्र कपूर अखिल भारतीय संगठन मंत्री,  शिवानंद सिंदनकेरा महामंत्री, महेंद्र कुमार वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जी. लक्ष्मण राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री, प्रोफेसर नारायण लाल गुप्ता, संजय राऊत अतिरिक्त महामंत्री, मोहन पुरोहित, भगवती सिंह उपाध्यक्ष, राजेश पालीवाल अध्यक्ष दिल्ली प्रदेश, अजय कुमार महामंत्री दिल्ली प्रदेश  की गरिमामयी उपस्थिति रही l*


  

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