*ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका आदरणीया दादी डॉ जानकी जी की चतुर्थ पुण्य स्मृति दिवस को "वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस" के रूप में मनाया* - fastnewsharpal.com
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*ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका आदरणीया दादी डॉ जानकी जी की चतुर्थ पुण्य स्मृति दिवस को "वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस" के रूप में मनाया*

 *ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका आदरणीया दादी डॉ जानकी जी की चतुर्थ पुण्य स्मृति दिवस को "वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस" के रूप में मनाया*




मण्डला-

 ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका आदरणीया राजयोगिनी डॉ. दादी जानकी जी के चतुर्थ पुण्य स्मृति दिवस को " वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस" के रूप में मनाया गया। यह कार्यक्रम बस स्टैंड के पीछे स्थित "विश्व शांति भवन" के सभाग्रह में किया गया।

 कार्यक्रम में मण्डला सेवाकेंद्र संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ममता दीदी , ब्रह्माकुमारी ओमलता दीदी एवं ब्रह्माकुमार भाई बहने उपस्थित रहे।

   सर्वप्रथम  मुरली क्लास के बाद दादी जी को भोग स्वीकार कराया गया तत्पश्चात दादी जी के संस्मरण सुनाए।

 राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ममता दीदी जी ने दादी जी की पुण्य स्मृति दिवस पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की और सभी को दादी जी के संस्मरण सुनाते हुए विशेषताओं पर प्रकाश डाला। दीदी जी ने बताया कि विकारों से सभी को सच्ची सच्ची आजादी दिलाने वाली दादी डॉ. जानकी जी ने देश-विदेशों में भी अपनी सेवायें दीं और सभी जगह परमात्मा का संदेश दिया और विश्व की दादी कहलायीं। दादी जी को डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया।

ब्रह्माकुमारी ममता दीदी ने बताया कि दादी जी को विश्व की मां का दर्जा हासिल है। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्था में समर्पित 46000 से अधिक बहनों की अभिभावक व संरक्षक बन पालना की। आपके सानिध्य से प्राप्त पालना में सभी बहने दिन रात विश्व नव निर्माण के सेवा में जुटती गई।

ब्रह्माकुमारी ओमलता दीदी ने बताया कि "मैं कौन?मेरा कौन?" की सत्य पहचान के सम्मान से दादी जी ने विश्व भर में अपनी एक अनोखी पहचान बनाई। सदा सर्व के लिए सच्चे और साफ दिल की आपकी विशेषता ने स्वयं परमात्मा के हृदय में आपका विशेष स्थान स्थापित किया।


सभी ने इस कार्यक्रम में  विशेष शांति का अनुभव किया, सभी ने दादी जी को शांति के वातावरण में  अनुभूतियों के साथ भावांजलि, पुष्पांजलि और श्रद्धांजलि  अर्पित की। इसके बाद सभी को भोग दिया गया।

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