108 की लचर सिस्टम के चलते तीन घंटे से जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझता रहा मरीज, न्यू बॉर्न बेबी भी को नहीं मिली सुविधा, युवाओं के हंगामे के बाद पहुंची 108
108 की लचर सिस्टम के चलते तीन घंटे से जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझता रहा मरीज, न्यू बॉर्न बेबी भी को नहीं मिली सुविधा, युवाओं के हंगामे के बाद पहुंची 108
गरियाबंद –
आपातकाल चिकित्सा सुविधा के लिए तैनात संजीवनी 108 के लचर सिस्टम के चलते जिला अस्पताल में एक मरीज 3 घंटे तक इलाज के अभाव में जिंदगी और मौत से जूझता रहा। करीब 3 घंटे से मरीज को रेफर करने के लिए अस्पताल प्रबंधन और मरीज के परिजन संजीवनी 108 का इंतजार करते रहे, लेकिन न टोल फ्री नंबर के माध्यम से संजीवनी 108 से संपर्क हो पाया और ना ही सीधे तौर पर अस्पताल प्रबंधन कोई व्यवस्था कर सका। जिसके चलते मरीज की स्थिति लगातार बिगड़ती चले गई। मामले की जानकारी जब नगर के स्थानीय समाज सेवी युवाओं को मिली तो उन्होंने अस्पताल पहुंच हंगामा किया जिसके बाद करीब रात 10:30 बजे मरीज को संजीवनी 108 एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई। जिसमे उसे रायपुर रिफर किया गया। घटना के बाद से युवाओं में संजीवनी 108 की लचर सिस्टम को लेकर काफी आक्रोश है।
जानकारी के मुताबिक शुक्रवार देर शाम 6:30 बजे के आसपास गरियाबंद छुरा मार्ग में ग्राम कोकड़ी के पास दो वाहनों की आपस में टक्कर में करीब दो लोग घायल हो गए। मौके पर से ही लोगों ने संजीवनी 108 एंबुलेस के लिए फोन लगाया गया लेकिन नंबर लगातार व्यस्त होने के कारण संजीवनी 108 एंबुलेंस से संपर्क ही नही। करीब आधा घंटा बाद राहगीर मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे जहां गंभीर चोट को देखते हुए डॉक्टर उसे रायपुर रिफर करने की सलाह दी। रायपुर रिफर करने के लिए भी 7:30 बजे से लेकर लगभग 9:30 बजे 2 घंटे तक लोग संजीवनी 108 को संपर्क करने की कोशिश करते रहे लेकिन किसी तरह का संपर्क नहीं हुआ ओर संपर्क हुआ तो लगातार आधा घंटा एक घंटा कर घूमते रहे। इस बीच घायल मरीज संजीवनी 108 के इंतजार में जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहा।
जब मामले की जानकारी स्थानीय युवाओं को मिली तो तत्काल अस्पताल पहुंचे और नारेबाजी शुरू की युवाओं के नारेबाजी के बाद अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया और किसी तरह वहां का प्रबंध कर मरीजों को रायपुर के लिए रेफर किया। स्थानीय समाज सेवी युवा छगन यादव ने बताया कि संजीवनी 108 एंबुलेंस की लचर व्यवस्था के चलते घायल मरीजों को समय में सुविधा उपलब्ध नहीं हो रही। घंटो सड़क में ही अस्पताल पहुंचने इंतजार करना पड़ता है। आज जैसी घटना देखी गई अगर ऐसी रहा तो जल्द इसके विरोध में हम आंदोलन करेंगे।
इधर, घटना के बीच ही एक और मामला इसी तरह का सामने आया। जहां न्यू बर्न बेबी को भी इलाज हेतु तत्काल रायपुर रिफर किया जाना था लेकिन उसे भी रायपुर पहुंचने अस्पताल में संजीवनी 108 की सुविधा उपलब्ध नहीं हुई। करीब 1 घंटे तक परिजन संजीवनी 108 के आने का इंतजार करते रहे। जिसके बाद राजीव नवापारा से प्राइवेट एंबुलेंस बुलाकर बच्ची को इलाज हेतु रायपुर ले गए।
इस संबंध में डॉक्टर हरीश चौहान ने बताया कि घायल मरीजों का प्राइमरी इलाज कर दिया गया था। हेड इंजरी के चलते सिटी स्कैन और एमआरआई के लिए रायपुर रिफर किया था। लेकिन एंबुलेस नहीं मिला। इसके पहले भी 108 एंबुलेस को लेकर ऐसी स्थिति हो चुकी है। इसमें सीधे तौर पर संजीवनी 108 की लापरवाही है।