*चंदखुरी में नम आंखों से दिए माता कौशल्या को विदाई*
*चंदखुरी में नम आंखों से दिए माता कौशल्या को विदाई*
पिछले वर्ष से हो रहा है माता कौशल्या संग तीजा तिहार का आयोजन
आरंग
माता कौशल्या की मायके चंदखुरी आने के उत्साह को लेकर वर्ष भर प्रतीक्षा रहती है।यह प्रतीक्षा तीजा पर्व के संपन्न होने के पश्चात पूरी होती है। पिछले वर्ष से प्रदेश के लोक कलाकारों ने माता कौशल्या संग तीजा तिहार मनाने की परंपरा की शुरुआत किए हैं। जिसमें अयोध्या की मिट्टी से माता कौशल्या की प्रतिमा चंदखुरी में स्थापित किया जाता है।
यह उत्सव अयोध्या से मिट्टी लाने से प्रारंभ होकर मूर्ति निर्माण एवं उस मूर्ति की प्रतिष्ठा के साथ-साथ तीजा पर्व के विधिवत ने़ग के साथ बड़े उत्साह के साथ पर्व काल व्यतीत होता है। जिसमें बड़ी संख्या में गांव व क्षेत्र के लोग भी शामिल होते हैं।परंपरा के अनुसार मायके आने वाली माता एवं बहनों को तीजा पर्व के बाद अपनी ससुराल लौटना होता है।
इसलिए यह परंपरा के अनुरूप ही ग्राम व क्षेत्र वासी बड़ी संख्या में पहुंचकर माता कौशल्या को विदाई देते हैं।
शनिवार को माता कौशल्या को विदा देने बड़ी संख्या में लोग चंदखुरी पहुंचे और भाव विभोर होकर नम आंखों से माता की मूर्ति को बाजे गाजे के साथ मांदर के थाप में पंथी नृत्य एवं रावत नाचा के नृत्य के साथ ग्राम भ्रमण कराते हुए जनसेल तालाब में विसर्जित किये। माता कौशल्या की विदाई की बेला में इस आयोजन की परिकल्पना कर अहम् भूमिका निभाने वाले राकेश तिवारी ने आयोजन में सम्मिलित होकर आयोजन को सफल बनाने पर आभार जताया है। साथ ही आगामी वर्षों में इस समारोह को और भी भव्य रूप देने की बात कहा है। वही शोभा यात्रा में माता कौशल्या संग तीजा तिहार के सह संयोजक डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर, हेमलाल पटेल, मनीष लदेर,नरेंद्र यादव मोहन साहू ,प्रभा यादव ,तनु यादव, दिनेश जांगड़े ,दयालु राम यादव, घासिया राम वर्मा, धनीराम आदि ने इस आयोजन में अहम भूमिका निभाए हैं। वहीं लोक कलाकारों द्वारा छत्तीसगढ़ की पारंपरिक पर्व तीजा पर माता कौशल्या संग तीजा तिहार मनाने की परंपरा का स्वयं सेवी सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन ने सराहना करते हुए स्वागत किया है।